बुनियादी सुविधाओं से वंचित छत्तीसगढ़ के गांव

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: October 31, 2018
केवल भ्रष्टाचार और अनैतिक कार्यों के लिए बदनाम रही छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार के 15 साल पूरे होने के बाद भी कई गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।

Chhattisgarh villages
Representation Image

परेशान होकर ऐसे गांव अब चुनाव बहिष्कार की बात करने लगे हैं। आदिवासी बहुल कोरबा जिले का केराकछार गांव भी सुविधाओं से एकदम वंचित गांव है।

इस गांव में न तो सड़क है, न इलाज या पढ़ाई-लिखाई की सुविधा है। केराकछार से लगे बगधरीडांड़, मदनपुर, आमकछार, कोलगा और बाकी कई गांवों का भी यही हाल है।

छत्तीसगढ़ सरकार बिजली सरप्लस होने के दावे करती रहती है और अन्य राज्यों को भी बिजली बेचती है, लेकिन वनांचल के गांवों को बिजली देना उसकी प्राथमिकता में कभी नहीं रहा। कोरबा और पोड़ी-उपरोड़ा के दर्जनों गांव शाम ढलते ही अंधेरे में डूब जाते हैं। मोरगा, लेमरू, लामपहाड़ सहित दूरदराज के रहवासी अंधेरे में ही रहते आए हैं और रह रहे हैं।

वैसे इनमें से कई गांवों में बिजली के तार लगाए जा चुके हैं, लेकिन सप्लाई नहीं होगी तो उजाला होने का सवाल ही नहीं उठता। दिक्कत तो ये है कि इन गांवों में केरोसिन भी मुश्किल से मिलता है जिस कारण लालटेन तक जलाना मुश्किल होता है।

यही हाल अस्पतालों और स्कूलों का है। कहीं-कहीं स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्कूल हैं, लेकिन इन नाम के अस्पतालों में डॉक्टर नहीं रहते और स्कूलों में शिक्षक भी आना ज़रूरी नहीं समझते। आठवीं के बाद तो बच्चों का पढ़ाई बंद करना तय ही रहता है।

सवाल यह है कि 15 साल में एक पूरी पीढ़ी पैदा होकर स्कूल पास करने की उम्र तक पहुंच चुकी है और तब से लगातार भारतीय जनता पार्टी और रमन सिंह का शासन है। ऐसे गांव इन विधानसभा चुनावों में अगर भाजपा को सबक सिखाने पर उतारू हो जाएंगे तो भाजपा दो अंकों तक में नहीं पहुंच पाएगी। यहां तक कि चुनावों का बहिष्कार भी ये गांव कर देंगे तो भी भाजपा को भारी नुकसान होना तय है।
 
 

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