छत्तीसगढ़ में 15 सालों से एक छत्र राज्य कर रहे डॉ रमन सिंह इस बार सत्ता विरोधी लहर तथा अजीत जोगी-बीएसपी के गठबंधन से तो परेशान थे ही, लेकिन अब उनके सामने एक और मुश्किल पैदा हो गई है जो कांग्रेस ने की है।
कांग्रेस ने रमन सिंह के खिलाफ राजनांदगांव से करुणा शुक्ला को टिकट दे दिया है जो कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी है।
इस बात का महत्व इसलिए भी है क्योंकि भाजपा अब तक इन विधानसभा चुनावों में अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर भी वोट मांगने की प्लानिंग कर रही थी।
इसके लिए भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी के अस्थि कलश भाजपा के शासन वाले हर राज्य के हर जिले में भिजवाने की व्यवस्था भी की थी। इतना ही नहीं, उसने साल में एक बार मनाई जाने वाली बरसी की जगह अटल बिहारी की मासिक पुण्यतिथि मनाने का भी ऐलान कर दिया था।
इसके पीछे कोशिश यही थी कि मतदान के समय तक मतदाताओं के मन में अटल बिहारी वाजपेयी का नाम जीवित रखा जाए, लेकिन अब ये दांव उलटा पड़ने वाला है।
खुद वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला बीजेपी में उपेक्षित होने के बाद कांग्रेस ज्वाइन की थी। अब कांग्रेस ने मौके का फायदा उठाते हुए करुणा को राजनांदगांव से रमन सिंह के ही खिलाफ खड़ा कर दिया है।
इस चुनौती का रमन सिंह के लिए भले ही खास महत्व न हो, लेकिन व्यापक रूप से भाजपा की छवि खराब करने में ये काफी काम आएगा। भाजपा के पास इस बात का कोई जवाब नहीं होगा कि आडवाणी की उपेक्षा के बाद अब वह वाजपेयी के परिवार की भी उपेक्षा क्यों करने लगी है।
कांग्रेस ने रमन सिंह के खिलाफ राजनांदगांव से करुणा शुक्ला को टिकट दे दिया है जो कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी है।
इस बात का महत्व इसलिए भी है क्योंकि भाजपा अब तक इन विधानसभा चुनावों में अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर भी वोट मांगने की प्लानिंग कर रही थी।
इसके लिए भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी के अस्थि कलश भाजपा के शासन वाले हर राज्य के हर जिले में भिजवाने की व्यवस्था भी की थी। इतना ही नहीं, उसने साल में एक बार मनाई जाने वाली बरसी की जगह अटल बिहारी की मासिक पुण्यतिथि मनाने का भी ऐलान कर दिया था।
इसके पीछे कोशिश यही थी कि मतदान के समय तक मतदाताओं के मन में अटल बिहारी वाजपेयी का नाम जीवित रखा जाए, लेकिन अब ये दांव उलटा पड़ने वाला है।
खुद वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला बीजेपी में उपेक्षित होने के बाद कांग्रेस ज्वाइन की थी। अब कांग्रेस ने मौके का फायदा उठाते हुए करुणा को राजनांदगांव से रमन सिंह के ही खिलाफ खड़ा कर दिया है।
इस चुनौती का रमन सिंह के लिए भले ही खास महत्व न हो, लेकिन व्यापक रूप से भाजपा की छवि खराब करने में ये काफी काम आएगा। भाजपा के पास इस बात का कोई जवाब नहीं होगा कि आडवाणी की उपेक्षा के बाद अब वह वाजपेयी के परिवार की भी उपेक्षा क्यों करने लगी है।