अब तक मध्यप्रदेश में भाजपा को कड़ी चुनौती पेश करने का दावा करने वाली सपाक्स पार्टी को करारा झटका लगा है।
सवर्ण कर्मचारियों के संगठन सपाक्स में वैसे तो सवर्णों का ही वर्चस्व है, लेकिन एससी और एसटी के विरोध में ये संगठन दावा करता रहा है कि ओबीसी भी उसके साथ है।
अब तक कांग्रेस के भी कुछ नेता भाजपा को कमजोर करने के लिए सपाक्स का परोक्ष समर्थन कर रहे थे, लेकिन जब से सपाक्स ने कांग्रेस का भी विरोध करना शुरू किया है तब से कांग्रेस ने भी सपाक्स से दूरी बनानी शुरू कर दी है।
इसके अलावा, पिछड़ा वर्ग के नेताओं ने भी सपाक्स को केवल सवर्ण कर्मचारियों की पार्टी बताते हुए ऐलान करना शुरू कर दिया है कि ओबीसी इस सवर्ण संगठन के साथ कतई नहीं है क्योंकि ये संगठन सामाजिक न्याय की अवधारणा के ही खिलाफ है।
सपाक्स जहां अपने को ताकतवर दिखाने की कोशिश कर रहा है, वहीं उसके विरोध में ओबीसी के नेता खुलकर बोलने लगे हैं। इससे आशंका हो गई है कि सपाक्स बिलकुल अलग-थलग पड़ गया है।
कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेशसिंह यादव ने भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ही विधानसभा चुनावों में जीत के लिए जातिगत भेदभाव फैला रही है, और सपाक्स तथा अजाक्स दोनों को ही सीएम ठग रहे हैं।
कांग्रेस का कहना है कि पहले मुख्यमंत्री ने कहा था कि न तो आरक्षण खत्म होगा और न ही एससी-एसटी वर्ग की सुरक्षा के लिए बना कानून कमजोर होगा, लेकिन अब उन्होंने सपाक्स नेताओं से वादा किया है कि एसटी-एसटी एक्ट में चुनाव के बाद संशोधन का पत्र मध्यप्रदेश की ओर से केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।
मप्र ओबीसी पिछड़ा वर्ग मोर्चा ने भी कहा है कि सपाक्स ओबीसी का प्रतिनिधित्व नहीं करता। सरकार ने मध्यप्रदेश में ओबीसी का 27 प्रतिशत आरक्षण लागू नहीं किया है, और ओबीसी तथा दलितों के आरक्षण को ताक पर रखा जा रहा है।
सवर्ण कर्मचारियों के संगठन सपाक्स में वैसे तो सवर्णों का ही वर्चस्व है, लेकिन एससी और एसटी के विरोध में ये संगठन दावा करता रहा है कि ओबीसी भी उसके साथ है।
अब तक कांग्रेस के भी कुछ नेता भाजपा को कमजोर करने के लिए सपाक्स का परोक्ष समर्थन कर रहे थे, लेकिन जब से सपाक्स ने कांग्रेस का भी विरोध करना शुरू किया है तब से कांग्रेस ने भी सपाक्स से दूरी बनानी शुरू कर दी है।
इसके अलावा, पिछड़ा वर्ग के नेताओं ने भी सपाक्स को केवल सवर्ण कर्मचारियों की पार्टी बताते हुए ऐलान करना शुरू कर दिया है कि ओबीसी इस सवर्ण संगठन के साथ कतई नहीं है क्योंकि ये संगठन सामाजिक न्याय की अवधारणा के ही खिलाफ है।
सपाक्स जहां अपने को ताकतवर दिखाने की कोशिश कर रहा है, वहीं उसके विरोध में ओबीसी के नेता खुलकर बोलने लगे हैं। इससे आशंका हो गई है कि सपाक्स बिलकुल अलग-थलग पड़ गया है।
कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेशसिंह यादव ने भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ही विधानसभा चुनावों में जीत के लिए जातिगत भेदभाव फैला रही है, और सपाक्स तथा अजाक्स दोनों को ही सीएम ठग रहे हैं।
कांग्रेस का कहना है कि पहले मुख्यमंत्री ने कहा था कि न तो आरक्षण खत्म होगा और न ही एससी-एसटी वर्ग की सुरक्षा के लिए बना कानून कमजोर होगा, लेकिन अब उन्होंने सपाक्स नेताओं से वादा किया है कि एसटी-एसटी एक्ट में चुनाव के बाद संशोधन का पत्र मध्यप्रदेश की ओर से केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।
मप्र ओबीसी पिछड़ा वर्ग मोर्चा ने भी कहा है कि सपाक्स ओबीसी का प्रतिनिधित्व नहीं करता। सरकार ने मध्यप्रदेश में ओबीसी का 27 प्रतिशत आरक्षण लागू नहीं किया है, और ओबीसी तथा दलितों के आरक्षण को ताक पर रखा जा रहा है।