यूपी में कांवड़ यात्रा के मार्ग की दुकानों में दुकानदार का नाम के बजाय दुकान का नाम लिखना अनिवार्य कर दिया गया है।

प्रतीकात्मक तस्वीर ; साभार : एनडीटीवी
सावन की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है। सावन के पहले दिन से ही कांवड़ यात्रा भी प्रारंभ हो जाएगी। ऐसे में उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों पर नाम लिखने को लेकर नया तरीका अपनाया गया है। अब दुकानों पर दुकानदारों के नाम लिखने के बजाय दुकान का नाम लिखा जाएगा। यदि कोई व्यक्तिगत तौर पर जानना चाहता है तो वह एप से जान सकेगा। इसके लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) ने प्रपत्र जारी कर दिया है।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग वाली दुकानों पर दुकानदार के नाम लिखने की बात कही गई है, लेकिन एफएसडीए के एक्ट में इसका कोई प्रावधान नहीं है। तमाम कोशिशों के बाद भी इसका विकल्प नहीं मिला। ऐसे में विभाग ने नई रणनीति अपनाते हुए ग्राहक संतुष्टि फीडबैक प्रपत्र तैयार किया है। इस प्रपत्र को हर दुकानदार को अपनी दुकान पर लगाना अनिवार्य कर दिया गया है।
इस प्रपत्र में लाइसेंस नंबर, दुकान का नाम, पता, मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी (यदि उपलब्ध हो) दर्ज की जाएगी। इसके साथ ही इसमें टोल-फ्री नंबर और 'फूड सेफ्टी कनेक्ट' ऐप के अंतर्गत एक क्यूआर कोड भी होगा। ग्राहक इस क्यूआर कोड को स्कैन करके दुकानदार से संबंधित सभी जानकारी हासिल कर सकेंगे। स्कैन करने पर दुकानदार का नाम और उससे जुड़े अन्य विवरण भी दिखने लगेंगे, जिससे ग्राहक अपनी प्रतिक्रिया (फीडबैक) भी दे सकेंगे।
मिलावट संबंधी फीडबैक का तेजी से निस्तारण
एप के माध्यम से ग्राहक मिलावट से जुड़ी फीडबैक भी दे सकेंगे। इसके लिए उन्हें यह बताना होगा कि उन्होंने किस दुकान पर क्या खाया और उन्हें किस चीज में मिलावट की आशंका है। जैसे ही ग्राहक अपनी फीडबैक अपलोड करेगा, वह संदेश सीधे विभाग की टीम तक पहुंच जाएगा। इसके बाद कंट्रोल रूम से उस इलाके के खाद्य निरीक्षक को सूचना दी जाएगी। निरीक्षक मौके पर जाकर संबंधित खाद्य सामग्री की जांच करेगा। अगर प्रारंभिक जांच में मिलावट की पुष्टि होती है, तो उस खाद्य पदार्थ को नष्ट कर दिया जाएगा।
ग्राहकों को भी जागरूक किया जाएगा
अब तक खाद्य सामग्री की जांच को लेकर सुस्त रहने वाला खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) विभाग अब सक्रिय हो गया है। प्रदेशभर में लगातार मिलावट के मामले सामने आने के बाद इसे रोकने के लिए ठोस रणनीति तैयार की गई है। विशेष रूप से कांवड़ यात्रा मार्गों और धार्मिक स्थलों पर मिलावट पर नियंत्रण के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे। इन अभियानों के जरिए श्रद्धालुओं को यह सिखाया जाएगा कि कैसे वे खाद्य सामग्री में मिलावट की पहचान कर सकते हैं। इसके अलावा, विभाग की मोबाइल वैन भी मौके पर मौजूद रहेगी, जहां लोग स्वयं खाद्य सामग्री की जांच करवा सकेंगे।
विपक्ष हमलावर
कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों के नाम और पहचान सार्वजनिक करने को लेकर सरकार के आदेश पर राजनीतिक बहस तेज हो गई है। इस मुद्दे को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) एक बार फिर आमने-सामने आ गई हैं। सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा के तीखे बयान ने विवाद को और उग्र बना दिया है। उन्होंने अपने बयान में सत्तारूढ़ बीजेपी की तुलना आतंकवादियों से करते हुए तीखा हमला बोला, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है।
एनबीटी की रिपोर्ट के अनुसार, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ विधायक रविदास मेहरोत्रा ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानदारों से उनका जाति और धर्म पूछना पूरी तरह से अनुचित है। उन्होंने सत्तारूढ़ बीजेपी की तुलना आतंकवादियों से करते हुए कहा, "बीजेपी और आतंकवादियों में कोई अंतर नहीं है, क्योंकि दोनों ही धर्म पूछकर हमला करते हैं।" सपा विधायक के इस विवादास्पद बयान से सियासी हलचल तेज हो गई है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने भी मेहरोत्रा के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
साझी विरासत पर हमला
कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों की पहचान सार्वजनिक करने के सरकार के फैसले को लेकर अब कांग्रेस ने भी मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि दुकानदारों के लिए लाइसेंस नंबर प्रदर्शित करना पर्याप्त है, नाम और पहचान से जुड़ी नेम प्लेट की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए। वहीं, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने इस आदेश को देश की "साझी विरासत पर हमला" करार दिया।
इस मामले में मौलाना तौकीर रजा ने कहा कि मैं खुले में मांस की बिक्री का विरोध करता हूं, खासकर ऐसे मौके पर जब श्रद्धालु बड़ी संख्या में यात्रा करते हैं। हालांकि, उन्होंने सवाल किया कि नेम प्लेट का उद्देश्य क्या है? यह स्पष्ट किया जाना चाहिए।

प्रतीकात्मक तस्वीर ; साभार : एनडीटीवी
सावन की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है। सावन के पहले दिन से ही कांवड़ यात्रा भी प्रारंभ हो जाएगी। ऐसे में उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों पर नाम लिखने को लेकर नया तरीका अपनाया गया है। अब दुकानों पर दुकानदारों के नाम लिखने के बजाय दुकान का नाम लिखा जाएगा। यदि कोई व्यक्तिगत तौर पर जानना चाहता है तो वह एप से जान सकेगा। इसके लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) ने प्रपत्र जारी कर दिया है।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग वाली दुकानों पर दुकानदार के नाम लिखने की बात कही गई है, लेकिन एफएसडीए के एक्ट में इसका कोई प्रावधान नहीं है। तमाम कोशिशों के बाद भी इसका विकल्प नहीं मिला। ऐसे में विभाग ने नई रणनीति अपनाते हुए ग्राहक संतुष्टि फीडबैक प्रपत्र तैयार किया है। इस प्रपत्र को हर दुकानदार को अपनी दुकान पर लगाना अनिवार्य कर दिया गया है।
इस प्रपत्र में लाइसेंस नंबर, दुकान का नाम, पता, मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी (यदि उपलब्ध हो) दर्ज की जाएगी। इसके साथ ही इसमें टोल-फ्री नंबर और 'फूड सेफ्टी कनेक्ट' ऐप के अंतर्गत एक क्यूआर कोड भी होगा। ग्राहक इस क्यूआर कोड को स्कैन करके दुकानदार से संबंधित सभी जानकारी हासिल कर सकेंगे। स्कैन करने पर दुकानदार का नाम और उससे जुड़े अन्य विवरण भी दिखने लगेंगे, जिससे ग्राहक अपनी प्रतिक्रिया (फीडबैक) भी दे सकेंगे।
मिलावट संबंधी फीडबैक का तेजी से निस्तारण
एप के माध्यम से ग्राहक मिलावट से जुड़ी फीडबैक भी दे सकेंगे। इसके लिए उन्हें यह बताना होगा कि उन्होंने किस दुकान पर क्या खाया और उन्हें किस चीज में मिलावट की आशंका है। जैसे ही ग्राहक अपनी फीडबैक अपलोड करेगा, वह संदेश सीधे विभाग की टीम तक पहुंच जाएगा। इसके बाद कंट्रोल रूम से उस इलाके के खाद्य निरीक्षक को सूचना दी जाएगी। निरीक्षक मौके पर जाकर संबंधित खाद्य सामग्री की जांच करेगा। अगर प्रारंभिक जांच में मिलावट की पुष्टि होती है, तो उस खाद्य पदार्थ को नष्ट कर दिया जाएगा।
ग्राहकों को भी जागरूक किया जाएगा
अब तक खाद्य सामग्री की जांच को लेकर सुस्त रहने वाला खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) विभाग अब सक्रिय हो गया है। प्रदेशभर में लगातार मिलावट के मामले सामने आने के बाद इसे रोकने के लिए ठोस रणनीति तैयार की गई है। विशेष रूप से कांवड़ यात्रा मार्गों और धार्मिक स्थलों पर मिलावट पर नियंत्रण के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे। इन अभियानों के जरिए श्रद्धालुओं को यह सिखाया जाएगा कि कैसे वे खाद्य सामग्री में मिलावट की पहचान कर सकते हैं। इसके अलावा, विभाग की मोबाइल वैन भी मौके पर मौजूद रहेगी, जहां लोग स्वयं खाद्य सामग्री की जांच करवा सकेंगे।
विपक्ष हमलावर
कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों के नाम और पहचान सार्वजनिक करने को लेकर सरकार के आदेश पर राजनीतिक बहस तेज हो गई है। इस मुद्दे को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) एक बार फिर आमने-सामने आ गई हैं। सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा के तीखे बयान ने विवाद को और उग्र बना दिया है। उन्होंने अपने बयान में सत्तारूढ़ बीजेपी की तुलना आतंकवादियों से करते हुए तीखा हमला बोला, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है।
एनबीटी की रिपोर्ट के अनुसार, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ विधायक रविदास मेहरोत्रा ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानदारों से उनका जाति और धर्म पूछना पूरी तरह से अनुचित है। उन्होंने सत्तारूढ़ बीजेपी की तुलना आतंकवादियों से करते हुए कहा, "बीजेपी और आतंकवादियों में कोई अंतर नहीं है, क्योंकि दोनों ही धर्म पूछकर हमला करते हैं।" सपा विधायक के इस विवादास्पद बयान से सियासी हलचल तेज हो गई है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने भी मेहरोत्रा के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
साझी विरासत पर हमला
कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों की पहचान सार्वजनिक करने के सरकार के फैसले को लेकर अब कांग्रेस ने भी मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि दुकानदारों के लिए लाइसेंस नंबर प्रदर्शित करना पर्याप्त है, नाम और पहचान से जुड़ी नेम प्लेट की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए। वहीं, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने इस आदेश को देश की "साझी विरासत पर हमला" करार दिया।
इस मामले में मौलाना तौकीर रजा ने कहा कि मैं खुले में मांस की बिक्री का विरोध करता हूं, खासकर ऐसे मौके पर जब श्रद्धालु बड़ी संख्या में यात्रा करते हैं। हालांकि, उन्होंने सवाल किया कि नेम प्लेट का उद्देश्य क्या है? यह स्पष्ट किया जाना चाहिए।
Related
हिंदू-मुस्लिम एकता: कांवड़ यात्रा का दूसरा पहलू