कल शाम झारखण्ड के पाकुर जिले में जाने-माने समाजसेवी स्वामी अग्निवेश के साथ कथित तौर पर भाजपा के युवा मोर्चा के सदस्यों ने मार पीट की. ऐसा माना जा रहा है कि ये फासीवादी हरकत, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और हिन्दुत्वादियों की स्वामीजी के द्वारा की गई आलोचना के चलते हुआ है.
ऐसा क्या कहा स्वामीजी ने, जिससे भाजपाईओं की नींद उड़ गयी और उन्हें लाचारी में ऐसा हिंसक कदम उठाना पड़ा. हाल ही में आए एक विडियो में इसके कुछ सुराग मिलते है . कुछ समय पहले मुकेश अम्बानी के मुंबई में नव निर्मित अस्पताल के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्राचीन भारतीय शल्य – चिकित्सा की प्रशंसा में यह कह डाला था कि भगवान गणेश का सिर प्लास्टिक सर्जरी के द्वारा ही दुबारा उनके शरीर से जोड़ा गया था। मोदीजी ने तो एक बार यह तक कह डाला था कि 100 कौरवों का जन्म इसलिए हो पाया क्यूंकि उस जमाने में भी स्टेम-सेल की तकनीक उपलब्ध थी। विडियो में स्वामी अग्निवेश कहते है कि
जिस तरीके से प्रधानमंत्री ऐसे बयान देते है उस से देश का प्रगति की ओर अग्रसर होने की बजाय, पिछड़ेपन की ओर जाता जाएगा. उसके बाद स्वामीजी ने कहा कि जब नरेन्द्र मोदी बतौर प्रधान मंत्री नेपाल और बांग्लादेश जाते है तो वहां जाकर 2-2 घंटे तक पूजा – पाठ करते है, मंदिर में रहते है, जो कि गैर –संवैधानिक है, क्योंकि वहां वे सिर्फ खुद के बजाय पूरे देश का प्रतिनिधित्व करते है और इस रवैए से वे भारत की धर्म – निरपेक्ष छवि का खंडन करते है। यही नहीं, समाज में फैले अन्य मान्यताओं को लेकर भी स्वामीजी ने अपने विचार प्रस्तुत किए. उन्होंने अमरनाथ, तिरुपति और सबरीमाला मंदिर दर्शन के पीछे छिपे अंध – विश्वास के ऊपर चोट किया। खासकर अमरनाथ के बारे में यह कहा कि जिसको लोग बराफानी बाबा या फिर शिव – लिंग समझते है वो तो असल में स्कूली भूगोल में पढ़ाया जाने वाला स्टेलेगमाइट (stalagmite) और स्टेलैकटाइट (stalactite) मात्र है । ये एक प्राकृतिक घटना है जिसका देवत्व या धर्म से कोई भी रिश्ता नहीं है। इस तीर्थ पर खर्च किए गए रुपए और संपदा जिसमें सेना के जवानों का भी सहयोग लिया जाता है सब एक धोखा है, पाखंड है। उनके मुताबिक एक वर्ष अमरनाथ यात्रा से पहले सारा का सारा बर्फ ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पिघल गया। उसके बाद गवर्नर जनरल एस. के. सिन्हा की देखरेख में हेलीकॉप्टर द्वारा कृत्रिम बर्फ ले जाया गया और शिव – लिंग का निर्माण हुआ ताकि भक्तों की आस्था को ठेस न पहुंचे। कुम्भ मेले को लेकर स्वामीजी ने कहा कि उसको लेकर भी लोगों के मन में अंध – विश्वास बैठा हुआ है। लोगों को लगता है कि कुंभ – स्नान करने की वजह से उनके पाप धुल जाएंगे। लेकिन कुंभ मेले में गए हुए श्रद्धालुओं के बीच भगदड़ की वजह से कइयों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।
शायद स्वामी अग्निवेश के बुध्दिसंपन्न, तर्कसंगत वाक्य, हिंदुत्ववादी संगठनों के गले से उतरी नहीं. वैसे इसमें कोई शंका नहीं है कि जिन संगठनों की शाखाओं में व्यायाम के नाम पर लाठी भांजना और इतिहास के नाम पर फेक न्यूज़ सिखाया जाता हो, उनमें कार्यरत बेरोजगार युवक कुंठित ही होंगे. लात-घूसों से एक स्वामी अग्निवेश को तो रोका जा सकता है, उनके विचारों को नहीं.
ऐसा क्या कहा स्वामीजी ने, जिससे भाजपाईओं की नींद उड़ गयी और उन्हें लाचारी में ऐसा हिंसक कदम उठाना पड़ा. हाल ही में आए एक विडियो में इसके कुछ सुराग मिलते है . कुछ समय पहले मुकेश अम्बानी के मुंबई में नव निर्मित अस्पताल के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्राचीन भारतीय शल्य – चिकित्सा की प्रशंसा में यह कह डाला था कि भगवान गणेश का सिर प्लास्टिक सर्जरी के द्वारा ही दुबारा उनके शरीर से जोड़ा गया था। मोदीजी ने तो एक बार यह तक कह डाला था कि 100 कौरवों का जन्म इसलिए हो पाया क्यूंकि उस जमाने में भी स्टेम-सेल की तकनीक उपलब्ध थी। विडियो में स्वामी अग्निवेश कहते है कि
जिस तरीके से प्रधानमंत्री ऐसे बयान देते है उस से देश का प्रगति की ओर अग्रसर होने की बजाय, पिछड़ेपन की ओर जाता जाएगा. उसके बाद स्वामीजी ने कहा कि जब नरेन्द्र मोदी बतौर प्रधान मंत्री नेपाल और बांग्लादेश जाते है तो वहां जाकर 2-2 घंटे तक पूजा – पाठ करते है, मंदिर में रहते है, जो कि गैर –संवैधानिक है, क्योंकि वहां वे सिर्फ खुद के बजाय पूरे देश का प्रतिनिधित्व करते है और इस रवैए से वे भारत की धर्म – निरपेक्ष छवि का खंडन करते है। यही नहीं, समाज में फैले अन्य मान्यताओं को लेकर भी स्वामीजी ने अपने विचार प्रस्तुत किए. उन्होंने अमरनाथ, तिरुपति और सबरीमाला मंदिर दर्शन के पीछे छिपे अंध – विश्वास के ऊपर चोट किया। खासकर अमरनाथ के बारे में यह कहा कि जिसको लोग बराफानी बाबा या फिर शिव – लिंग समझते है वो तो असल में स्कूली भूगोल में पढ़ाया जाने वाला स्टेलेगमाइट (stalagmite) और स्टेलैकटाइट (stalactite) मात्र है । ये एक प्राकृतिक घटना है जिसका देवत्व या धर्म से कोई भी रिश्ता नहीं है। इस तीर्थ पर खर्च किए गए रुपए और संपदा जिसमें सेना के जवानों का भी सहयोग लिया जाता है सब एक धोखा है, पाखंड है। उनके मुताबिक एक वर्ष अमरनाथ यात्रा से पहले सारा का सारा बर्फ ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पिघल गया। उसके बाद गवर्नर जनरल एस. के. सिन्हा की देखरेख में हेलीकॉप्टर द्वारा कृत्रिम बर्फ ले जाया गया और शिव – लिंग का निर्माण हुआ ताकि भक्तों की आस्था को ठेस न पहुंचे। कुम्भ मेले को लेकर स्वामीजी ने कहा कि उसको लेकर भी लोगों के मन में अंध – विश्वास बैठा हुआ है। लोगों को लगता है कि कुंभ – स्नान करने की वजह से उनके पाप धुल जाएंगे। लेकिन कुंभ मेले में गए हुए श्रद्धालुओं के बीच भगदड़ की वजह से कइयों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।
शायद स्वामी अग्निवेश के बुध्दिसंपन्न, तर्कसंगत वाक्य, हिंदुत्ववादी संगठनों के गले से उतरी नहीं. वैसे इसमें कोई शंका नहीं है कि जिन संगठनों की शाखाओं में व्यायाम के नाम पर लाठी भांजना और इतिहास के नाम पर फेक न्यूज़ सिखाया जाता हो, उनमें कार्यरत बेरोजगार युवक कुंठित ही होंगे. लात-घूसों से एक स्वामी अग्निवेश को तो रोका जा सकता है, उनके विचारों को नहीं.