छत्तीसगढ़ में पुलिसकर्मियों के परिवारों के आंदोलन को देखते हुए राज्य सरकार अब दमन पर उतर आई है। परिजनों के आंदोलन को रोकने के लिए सरकार अब पुलिसवालों को बर्खास्त करने, नोटिस जारी करने, और शपथ पत्र भरवाने में जुट गई है।

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तृतीय श्रेणी के पुलिसकर्मियों को सुविधाएं बढ़ाने की मांग को लेकर पुलिसवालों के परिवार आंदोलन पर हैं और 25 जून को रायपुर में बड़े आंदोलन की तैयारी चल रही है।
दैनिक भास्कर ने खबर दी है कि पुलिस ने आंदोलन का सूत्रधार बताए जा रहे राकेश यादव नाम के बर्खास्त पुलिस कांस्टेबल को गिरफ्तार कर लिया है। बिलासपुर के एसपी आरिफ शेख ने इसकी पुष्टि कर दी है। उस पर देशद्रोह, पुलिसकर्मियों को भड़काने और आईटी एक्ट के तहत मामले दर्ज हैं।
आंदोलन को हर हाल में दबाने में जुटी सरकार ने दो सीनियर आईपीएस अफसरों के प्रभार भी बदले हैं। आंदोलन रोकने के लिए खुफिया तंत्र को सक्रिय कर दिया गया है। कई अफसरों और जवानों के मोबाइलों की निगरानी की जा रही है। आंदोलन के लिए संसाधनों के स्रोत का पता लगाया जा रहा है।
पुलिस कर्मचारियों के परिजन 13 मांगों को लेकर 25 जून का रायपुर में मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने की तैयारी में हैं। पुलिसकर्मियों से इस आशय का शपथ पत्र भी भरवाया जा रहा है कि उनके परिजन आंदोलन से दूर रहेंगे।
दरअसल 2009 में मदनवाड़ा नक्सली वारदात में तत्कालीन एसपी वीके चौबे और 26 जवानों के मारे जाने के बाद से ही पुलिसकर्मी बुलेट प्रूफ जैकेट मुहैया कराने की मांग कर रहे हैं। बाद में छुट्टी और भत्तों की मांग भी शामिल हो गई। तीन साल पहले रायगढ़ में आरक्षक राकेश यादव ने एक दिन की छुट्टी, काम के घंटे कम करने और भत्ता बढ़ाने की मांग को लेकर पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन दिया था जिसके बाद उसे बर्खास्त कर दिया गया था। राजनांदगांव में एक और सिपाही वीरेंद्र सिन्हा को भी ऐसी ही मांग उठाने पर बर्खास्त किया गया है।
पुलिसकर्मियों के परिजनों के प्रदर्शन के बाद अब तक 52 पुलिस जवानों को नोटिस दिए जा चुके हैं। इनमें दंतेवाड़ा के 30, कांकेर के 7 और बस्तर के 15 जवान शामिल हैं। इनके परिवार वालों ने बुधवार को प्रदर्शन किया था। वीडियो फुटेज के आधार पर महिलाओ की पहचान की जा रही है और उनके पतियों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं।