मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने संवेदनहीनता की सारी सीमाएं पार करते हुए पुलिस में भर्ती के लिए आईं लड़कियों को न केवल गिरफ्तार करके जेल भेज दिया बल्कि जेल में उनका प्रेगनेंसी टेस्ट तक करा डाला।
दरअसल, ये लड़कियां महिला कांस्टेबल भर्ती में लंबाई में छूट की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रही थी, जिसका वादा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कर चुके थे। ये लड़कियां कम ऊंचाऊ के कारण कांस्टेबल भर्ती में सिलेक्ट होने से रह गई हैं।
भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में भी ये लड़कियां अपनी मांग को लेकर पहुंचीं तो पुलिस ने इन 9 लड़कियों को गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया।
प्रभात खबर में छपे समाचार के मुताबिक लड़कियों का आरोप है कि जेल में उनके साथ बदसलूकी की गई और उनकी मर्जी के बिना प्रेगनेंसी टेस्ट भी कराया गया। इसके पहेल एक वैन में भरकर तीन घंटे तक पुलिस उन्हें शहर भर में इधर से उधर घुमाती रही। लड़कियों के मोबाइल भी छीन लिए और घर वालों से बात भी नहीं करने दी गई।
लड़कियों को रात में जेल ले जाया गया जहां उन्हें यूरिन देकर प्रेगनेंसी टेस्ट कराने पर भी मजबूर किया गया।
लड़कियों का आरोप है कि टेस्ट के दौरान एक पुलिस अधिकारी उनके कमरे में भी झांकने लगा। जेल में इन प्रदर्शनकारी लड़कियों को आदतन अपराधियों के साथ रखा गया।
ज़ीन्यूज़ की खबर के मुताबिक लड़कियों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने खुद ही लंबाई में छूट का वादा किया था और जब हमने उनसे ये वादा पूरा करने की मांग की तो उनके साथ जानवरों जैसा सलूक किया गया।
पुलिस इन सारे आरोपों को सिरे से नकार रही है। भोपाल के डीआईजी धर्मेंद्र चौधरी का कहना है कि पुलिस इन लड़कियों के साथ एकदम सही तरीके से पेश आई। हालांकि भोपाल सेंट्रल जेल के अधीक्षक दिनेश नरगावे ने स्वीकार किया कि जेल मैन्युअल के मुताबिक महिलाओं को जेल में डालने से पहले प्रेगनेंसी टेस्ट और कई यूरिनल टेस्ट कराए जाते हैं, लेकिन इन लड़कियों के टेस्ट पुरुषों के सामने नहीं हुए।
अगले दिन जेल से छूटने के बाद ये लड़कियां मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ और महिला कांग्रेस अध्यक्ष दीप्ति सिंह से भी मिलीं। कमलनाथ ने सरकार की निंदा करते हुए कहा कि लड़कियों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार करके भाजपा सरकार ने संवेदनहीनता का प्रदर्शन किया है। कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कहा कि लाड़ली लक्ष्मी की बात करने वाली सरकार अब दादागिरी पर उतारू हो गई है।
दरअसल, ये लड़कियां महिला कांस्टेबल भर्ती में लंबाई में छूट की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रही थी, जिसका वादा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कर चुके थे। ये लड़कियां कम ऊंचाऊ के कारण कांस्टेबल भर्ती में सिलेक्ट होने से रह गई हैं।
भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में भी ये लड़कियां अपनी मांग को लेकर पहुंचीं तो पुलिस ने इन 9 लड़कियों को गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया।
प्रभात खबर में छपे समाचार के मुताबिक लड़कियों का आरोप है कि जेल में उनके साथ बदसलूकी की गई और उनकी मर्जी के बिना प्रेगनेंसी टेस्ट भी कराया गया। इसके पहेल एक वैन में भरकर तीन घंटे तक पुलिस उन्हें शहर भर में इधर से उधर घुमाती रही। लड़कियों के मोबाइल भी छीन लिए और घर वालों से बात भी नहीं करने दी गई।
लड़कियों को रात में जेल ले जाया गया जहां उन्हें यूरिन देकर प्रेगनेंसी टेस्ट कराने पर भी मजबूर किया गया।
लड़कियों का आरोप है कि टेस्ट के दौरान एक पुलिस अधिकारी उनके कमरे में भी झांकने लगा। जेल में इन प्रदर्शनकारी लड़कियों को आदतन अपराधियों के साथ रखा गया।
ज़ीन्यूज़ की खबर के मुताबिक लड़कियों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने खुद ही लंबाई में छूट का वादा किया था और जब हमने उनसे ये वादा पूरा करने की मांग की तो उनके साथ जानवरों जैसा सलूक किया गया।
पुलिस इन सारे आरोपों को सिरे से नकार रही है। भोपाल के डीआईजी धर्मेंद्र चौधरी का कहना है कि पुलिस इन लड़कियों के साथ एकदम सही तरीके से पेश आई। हालांकि भोपाल सेंट्रल जेल के अधीक्षक दिनेश नरगावे ने स्वीकार किया कि जेल मैन्युअल के मुताबिक महिलाओं को जेल में डालने से पहले प्रेगनेंसी टेस्ट और कई यूरिनल टेस्ट कराए जाते हैं, लेकिन इन लड़कियों के टेस्ट पुरुषों के सामने नहीं हुए।
अगले दिन जेल से छूटने के बाद ये लड़कियां मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ और महिला कांग्रेस अध्यक्ष दीप्ति सिंह से भी मिलीं। कमलनाथ ने सरकार की निंदा करते हुए कहा कि लड़कियों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार करके भाजपा सरकार ने संवेदनहीनता का प्रदर्शन किया है। कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कहा कि लाड़ली लक्ष्मी की बात करने वाली सरकार अब दादागिरी पर उतारू हो गई है।