राम चन्द्र कह गए सिया से कलियुग ऐसा आएगा...

Written by एच. आइ. पाशा | Published on: October 24, 2017

राम चन्द्र कह गए सिया से कलियुग ऐसा आएगा / हंस  चुकेगा  दाना-दुनका, कव्वा  मोती  खाएगा *



आज के नज़ारों पर थोड़ा सा विस्तार और संजीदगी से नज़र डालने वाला हर संवेदनशील इंसान यही कहेगा कि राम चन्द्र ने जो कहा था बिलकुल सही कहा था.

कव्वे...
 झूठे, मक्कार, सत्ता के लिए सारी इंसानी मूल्यों की अनदेखी कर देने वाले लोग, अपहरण और जबरन वसूली जैसे अपराधों से अपनी शुरआत करके सत्ता में आने वाले, कुर्सी की खातिर बेगुनाह इंसानों का क़त्ल करने वाले, न्याय मांगने वाली सच की आवाजों को कुचलने वाले, खुद दुनिया भर के ऐश करने और आम इंसानों को देश हित के नाम पर भूख और बदहाली के कगार पर पहुंचा देने वाले लोग, औरतों की ग़ुलामी में विश्वास रखने वाले, शिक्षा का तमाशा बना कर आम आदमी को मूढ़ बनाए रखने के षड्यंत्र में लिप्त लोग, पढ़-लिखे और सोचने की काबिलियत रखने वाले लोगों का मज़ाक उड़ाने और झूठी डिग्रियों से उनसे ऊंचा होने के लिए हताश लोग, धर्मान्धता को धर्म बनाने और इस धर्मान्धता के हथियार से समाज में दीवारें खड़ी करने वाले, अपने स्वार्थ के लिए इतिहास को सिर के बल खड़ा कर देने वाले, झूठ, झूठ और झूठ के सिवा कुछ न कहने वाले लोग... ये सारे कव्वे ही तो आज मोती खा रहे हैं.

हंस...
होश की आवाजों वाले, किसी और को न्याय दिलाने के लिए अपनी सलामती को खतरे में डाल देने वाले लोग, सच के राज्य की चाहत रखने वाले, अमन और भाई-चारा को कायम रखने की ज़िद में सर पर कफ़न बाँध कर सड़कों पर आ जाने वाले, अपना काम मुश्किल से मुश्किल हालात में भी ईमानदारी से करने वाले, सच को सच और झूठ को झूठ कहने की हिम्मत रखने वाले, औरतों की आज़ादी को पुरुषों की आज़ादी की ही तरह अहम् मानने और उनकी प्रतिभा और संभानाओं में भरपूर विश्वास रखने वाले, इंसानी अधिकारों को अव्वल समझने वाले लोग, धर्म और धर्मान्धता का फर्क समझने और इतिहास को तथ्य और तार्किकता के आधार पर देखने पर जोर देने वाले, दिमाग़ खोलने वाली शिक्षा के हिमायती लोग, पढ़े-लिखे काबिल लोग...इन हंसों से तो अब दाना-दुनका भी छीन लेने की कोशिश हो रही है.

* एक पुरानी फिल्म “ गोपी “ का गाना


 

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