घर वापसी: वर्ष 2002 में नीतीश जहां थें वहीं वापस पहुंचे

Written by Teesta Setalvad | Published on: July 27, 2017
 

नीतीश ने साल 2013 में हिटलर और सांप्रदायिक ताकतों को खारिज कर दिया था और दूसरी राह अपनाई थी।



Cartoon Courtesy: India Today


नीतीश कुमार अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में गोधरा कांड (27 फरवरी 2002) के दौरान रेल मंत्री थें। वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के साथ एनडीए प्रथम के वक्त सत्ता में थें। साबरमती एक्सप्रेस की एस-6 कोच के जलने पर 59 लोगों की मौत को विशेष रूप से अतिवादियों द्वारा सांप्रदायिक रंग देने की यह ऐसी घटना है जो सभी को याद है।

इस गोधरा कांड के चलते गुजरात के दूर-दराज के इलाकों में करीब 1926 मुस्लिमों की हत्या कर कहर ढाया गया। हिंसक भीड़ ने गुजरात के 25 जिलों में से 19 जिलों में नरसंहार किया। उस वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थें।

धर्मनिरपेक्ष दलों राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस से महागठबंधन तोड़कर और अति उत्साही बीजेपी के साथ मिलकर नीतीश कुमार अब फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बन गए। कुमार ने गोधरा कांड का दाग बिल्कुल नहीं छोड़ा।
 
‘गुजरात में कानून-व्यवस्था की तुलना में रेल मंत्री के रूप में साल 2002 में रेल सुरक्षा और संबंधित मुद्दों के लिए मैं ज्यादा जिम्मेदार था।’ नीतीश कुमार 17 वर्षों तक एनडीए के साथ रहे और साल 2013 में बीजेपी द्वारा नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर चुने जाने पर वे एनडीए से अलग हो गए। वर्ष 2002 में केसरिया पार्टी के मित्र बने राम विलास पासवान ने गुजरात दंगा के बाद इस्तीफा दे दिया।  
  
रेलवे दुर्घटनाओं में आम तौर पर रेल मंत्री का दौरा होता है, भले ही इस दौरे को कई तरह के टोकनवाद के रूप में खारिज कर दिया जाए। गोधरा कांड अपने आप में एक अलग प्रकार की घटना थी।

जस्टिस वीआर कृष्णा अय्यर के नेतृत्व में पीबी सावंत और होसबेट सुरेश की पुस्तक ‘क्राईम्स अगेंस्ट ह्यूमनिटी-गुजरात 2002’ (सीसीटी) में केंद्र सरकार की भूमिका को लेकर चर्चा की गई है।

वाजपेयी सरकार की असंतोषजनक भूमिका पर टिप्पणी करने के अलावा, "सीसीटी" ने स्पष्ट रूप से केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में नीतीश कुमार की जिम्मेदारी पर स्पष्ट रूप से टिप्पणी की।

‘1.8. रेल मंत्री का आचरण गोधरा का दौरे करने में असफल रहा जबकि अमूमन कोई रेल दुर्घटना होने पर रेल मंत्री उस जगह का दौरा करते हैं, रेलमंत्री स्थिति का जायजा लेते हुए आग लगने की घटना के कारणों का फौरन जांच का आदेश देते।’

ट्राइब्यूनल ने गोधरा कांड की तह तक जाने के लिए रेल मंत्रालय की अनिच्छा पर सवाल किए।
 
‘...गोधरा में रेलवे कंपार्टमेंट में आग लगने के सवाल पर अभी भी जवाब का इंतजार है। किलने चैन खिंची? आग कैसे लगी? वास्तव में इसने रेल मंत्री का तत्काल ध्यान और तत्काल हस्तक्षेप  का स्वागत किया? आज तक मंत्री ने गोधरा का दौरा नहीं किया। क्या उन्होंने अपनी पूर्ण निष्क्रियता को दिखाया? ’
जजों ने एक स्वर में कहा रेल मंत्री का आचरण चौंकाने वाला है।


 

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