मध्य प्रदेश में अघोषित आपातकाल: लगभग 1500 नर्मदा घाटी के लोगों को गिरफ्तार

Published on: July 19, 2017



मध्य प्रदेश पुलिस ने लगभग 1500 नर्मदा घाटी के लोगों और नर्मदा बचाओ आन्दोलन के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर शाम में बढ़ते दवाब के बाद रिहा किया। 
गिरफ्तार लोगों में मेधा पाटकर व आप पार्टी के नेता अलोक अग्रवाल भी शामिल। मध्य प्रदेश सरकार कर रही लोगों के लोकतान्त्रिक अधिकारों का हनन, 192 गाँव और 1 शहर डूब की कगार पर। कल नई दिल्ली में गिरफ्तारी के बाद आज भोपाल में शर्मनाक करतूत की सरकारी ताकतों ने
 
भोपाल | 19 जुलाई, 2017: आज सुबह नर्मदा घाटी के लोग जैसे ही भोपाल पहुंचे, मध्य प्रदेश पुलिस ने रेलवे स्टेशन से ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया। पहले भोपाल रेलवे स्टेशन और फिर हबीबगंज रेलवे स्टेशन से लगभग 1500 लोगों को गिरफ्तार कर सेंट्रल जेल, गाँधी नगर, भोपाल ले गई। अलग अलग समय पहुंचे लोगों ने रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तारी के वक़्त प्रदर्शन किया और अपनी बात आम जनता के बीच रखी। मेधा पाटकर के भोपाल पहुँचते ही स्टेशन पर उनको पहले गाँधी भवन जाने से रोका और बाद में जब उन्होंने नर्मदा घाटी के लोगों की समस्या को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने का आग्रह किया तो समर्थन में आये आप पार्टी के नेता आलोक अग्रवाल के साथ गिरफ्तार कर सेंट्रल जेल ले गए। लगभग 2 घंटे लम्बी बातचीत के बाद भी पुलिस कोई कारण बताने में असमर्थ रही और ऊपर से आदेश का हवाला देती रही। आखिरकार शाम में 4:30 बजे के करीब पूरे देश से लोगों के बढ़ते दवाब के बाद मध्य प्रदेश पुलिस को सभी गिरफ्तार लोगों को छोड़ना पड़ा।
 
आज का पूरा प्रकरण जनता के सामने सरकारों का तानाशाही रवैया सामने लाता है जिसमें कल दिल्ली में नर्मदा घाटी के लोगों द्वारा किये गए शांतिपूर्ण कफ़न सत्याग्रह और प्रदर्शन पर दिल्ली पुलिस द्वारा बर्बर लाठी चार्ज के बाद आज लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों की धज्जियाँ उड़ाई गयी। एक तरफ दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा नर्मदा घाटी से आये लोगों पर, उनकी बात सुने बिना बड़ी बर्बरता के साथ लाठियां बरसाना और दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में रासुका कानून की घोषणा कर हर बार बात सुनने से पहले ही गिरफ्तारी करना, केंद्र और राज्य सरकार का नर्मदा घाटी के लाखों लोगो के लोकतांत्रिक अधिकारों पर सीधा नियोजित हमला साबित करता है। सरकार बात करने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं है।
 
कल जल संसाधन मंत्रालय के सचिव अमरजीत सिंह से लगभग 1 घंटे की बैठक के बाद R&R Subgroup के सभी सदस्य और शिकायत निवारण प्राधिकरण के सभी सदस्य की मंजूरी सरदार सरोवर बाँध की ऊंचाई बढाने के बारे में बताई। लेकिन सच्चाई से वाकिफ कोई नहीं होना चाहते और लोगों के खुद आकर अपनी बात बताने पर भी मध्य प्रदेश सरकार उन्हें सुनने को तैयार नहीं हो रही।
 
सरदार सरोवर बाँध की ऊंचाई बढाकर 138.68 मीटर कर दी गयी है जिससे लगभग 40000 हज़ार परिवार नर्मदा घाटी में डूबने की कगार पर आ खड़े हुए है। वहीँ पुनर्वास स्थल में सिर्फ बारिश होने जलजमाव हो रहा है, बाकी की समस्याएं जस की तस है, कोई भी नागरिक सुविधा पुनर्वास स्थल में नहीं और लोगों ने खुद शिवराज सिंह चौहान को चुनौती दी है कि वो अपने परिवार के साथ आकर एक महिना पुनर्वास स्थल में बिताये उसके बाद लोगों को हटाने का साहस करें।
 
लेकिन हमेशा की तरह लोगों की बात सुनने के बजाये सरकार उनकी गिरफ़्तारी करती आ रही है चाहे वो गुजरात सीमा पर पिछले महीने 7 जून को हो, या कल 18 जुलाई को नई दिल्ली या फिर आज। सरकार लोगों को नर्मदा घाटी से जबरन बेदखल करने को आतुर है बिना सम्पूर्ण पुनर्वास के। मध्यप्रदेश के 192 गाँव और 1 नगर की आहुति देकर, गुजरात के भी आधिकांश किसानो को नर्मदा के पानी से वंछित करके, अडानी, अम्बानी और अन्य कंपनियों को पानी देकर नर्मदा सेवा यात्रा किसके लिए “अच्छे दिन” लाएगी? प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने आजतक सरदार सरोवर प्रभावित एक भी गाँव का दौरा नहीं किया है तो किस आधार पर लाखों को डूबाने का निर्णय?
 
नर्मदा बचाओ आन्दोलन व जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय सरकार के इस रवैये का बहिष्कार करती है और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलोकतांत्रिक और जन विरोधी कार्यवाही के बदले इस्तीफे की मांग करती है। नर्मदा घाटी के लोगों का संघर्ष अनवरत जारी रहेगा और बिना सम्पूर्ण और न्यायपूर्ण पुनर्वास के नर्मदा घाटी से कोई भी नहीं हटेगा ऐसा संकल्प नर्मदा घाटी के लोगों ने ले लिया है।
 

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