सहारनपुर। सहारनपुर के बड़गांव इलाके के शब्बीरपुर गांव में जातीय संघर्ष के दौरान पुलिस लाचार नजर आई। मौका नाजुक था लेकिन नजारा अजीब। इधर उपद्रवी हिंसा कर रहे थे तो उधर पुलिस सख्ती के बजाय उपद्रवियों के हाथ-पांव जोड़ रही थी। पुलिस को भी उपद्रवियों ने पीटा और गाड़ियों में तोड़फोड़ की। सब कुछ नजरों के सामने होता रहा लेकिन कमजोरों पर रौब गालिब करने वाली पुलिस के हाथ इस वक्त बंधे रहे। यहां तक कि उपद्रव की वीडियोग्राफी कर रहे सिपाही का हाथ रोक दिया गया।

दैनिक जागरण के मुताबिक, इस गिरते इकबाल पर पुलिस बेशक खुद को शाबासी दे रही हो लेकिन लोकतंत्र के आइने में यह पुलिस की ‘पराजय’ है। सहारनपुर के इतिहास में एक बार फिर इस तरह की हिंसा हुई, जब सब कुछ नजरों के सामने होने के बावजूद पुलिस उपद्रवियों को रोकने की हिम्मत नहीं जुटा सकी। एसपी देहात, एसडीएम देवबंद व सीओ समेत कई थानों की पुलिस के सामने उपद्रवी एक दूसरे को ललकारते रहे। कुछ तो अधिकारियों को अधिकारी समझने के लिए तैयार नहीं थे। भद्दी गालियां दे रहे थे लेकिन इसके बाद भी पुलिस मूकदर्शक बनी रही और अपनी आंखों के सामने ही आगजनी होती देखती रही।
सीओ के साथ चल रहे एक पुलिसकर्मी ने उपद्रव की वीडियो बनाने की कोशिश की तो उसे रोक दिया गया। उपद्रवियों ने पुलिस की एक जीप पलट दी और तीन पुलिस जीप में तोड़फोड़ की। पुलिस को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया।
आगजनी से धुंआ आवारा होकर आसमान में फिरने लगा। चीख-पुकार के बीच हाहाकार मच गया। ठाकुरों का गुट गांव के दोनों छोर पर पर्याप्त संख्या में था। दलितों की बस्ती में आगजनी हुई। घर व दुकान को फूंक दिया गया। दलित चीख-चीख कर ठाकुरों पर आरोप लगा रहे थे।
महाराणा प्रताप सिंह जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे ठाकुर समाज के लोगों को रोकने के बाद बवाल शुरू हुआ। नाचते-गाते युवक जैसे ही दलित बस्ती के सामने पहुंचे तो हंगामा खड़ा हो गया। पुलिस की मानें तो पथराव की शुरुआत दलितों ने की, जिसके बाद ठाकुर पक्ष की ओर से री-एक्शन हुआ। बस्ती के बाहर दलितों के बिटौड़े और दुकानों में आग लगा दी गई। धीरे-धीरे आग की लपटें दलितों की बस्ती के हर दूसरे मकान के अंदर से आने लगीं। दलित अनिल, कमला, डा. नरेश, सचिन, बबलू, संतरपाल, धुम्मन, शैलेंद्र तथा लाली आदि का आरोप है कि ठाकुरों ने घर में घुस कर उन पर कातिलाना हमला किया। उन्हें तो अधमरा किया ही, साथ ही घर व दुकान में आग लगा दी। घर में खड़े वाहनों को बाहर लाकर आग के हवाले किया।
संपादन- भवेंद्र प्रकाश
Courtesy: National Dastak

दैनिक जागरण के मुताबिक, इस गिरते इकबाल पर पुलिस बेशक खुद को शाबासी दे रही हो लेकिन लोकतंत्र के आइने में यह पुलिस की ‘पराजय’ है। सहारनपुर के इतिहास में एक बार फिर इस तरह की हिंसा हुई, जब सब कुछ नजरों के सामने होने के बावजूद पुलिस उपद्रवियों को रोकने की हिम्मत नहीं जुटा सकी। एसपी देहात, एसडीएम देवबंद व सीओ समेत कई थानों की पुलिस के सामने उपद्रवी एक दूसरे को ललकारते रहे। कुछ तो अधिकारियों को अधिकारी समझने के लिए तैयार नहीं थे। भद्दी गालियां दे रहे थे लेकिन इसके बाद भी पुलिस मूकदर्शक बनी रही और अपनी आंखों के सामने ही आगजनी होती देखती रही।
सीओ के साथ चल रहे एक पुलिसकर्मी ने उपद्रव की वीडियो बनाने की कोशिश की तो उसे रोक दिया गया। उपद्रवियों ने पुलिस की एक जीप पलट दी और तीन पुलिस जीप में तोड़फोड़ की। पुलिस को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया।
आगजनी से धुंआ आवारा होकर आसमान में फिरने लगा। चीख-पुकार के बीच हाहाकार मच गया। ठाकुरों का गुट गांव के दोनों छोर पर पर्याप्त संख्या में था। दलितों की बस्ती में आगजनी हुई। घर व दुकान को फूंक दिया गया। दलित चीख-चीख कर ठाकुरों पर आरोप लगा रहे थे।
महाराणा प्रताप सिंह जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे ठाकुर समाज के लोगों को रोकने के बाद बवाल शुरू हुआ। नाचते-गाते युवक जैसे ही दलित बस्ती के सामने पहुंचे तो हंगामा खड़ा हो गया। पुलिस की मानें तो पथराव की शुरुआत दलितों ने की, जिसके बाद ठाकुर पक्ष की ओर से री-एक्शन हुआ। बस्ती के बाहर दलितों के बिटौड़े और दुकानों में आग लगा दी गई। धीरे-धीरे आग की लपटें दलितों की बस्ती के हर दूसरे मकान के अंदर से आने लगीं। दलित अनिल, कमला, डा. नरेश, सचिन, बबलू, संतरपाल, धुम्मन, शैलेंद्र तथा लाली आदि का आरोप है कि ठाकुरों ने घर में घुस कर उन पर कातिलाना हमला किया। उन्हें तो अधमरा किया ही, साथ ही घर व दुकान में आग लगा दी। घर में खड़े वाहनों को बाहर लाकर आग के हवाले किया।
संपादन- भवेंद्र प्रकाश
Courtesy: National Dastak