झारखंड। हमारे देश में आदिवासी लोगों की हालत को सब जानते हैं। हाल ही में दंतेवाड़ा में कटे कल्याण ब्लॉक के सरकारी बालक आश्रम में बाल मजदूरी का मामला सामने आया है। इस मामले को लेकर शिकायत भी की गई है।
बताया जा रहा है कि मामले पर संज्ञान लेते हुए जिला पंचायत सीईओ गौरव सिंह ने जांच के आदेश दे दिए हैं। गौरव सिंह का कहना था कि उनके पास इस प्रकार की शिकायत आई है कि बच्चों से पढ़ाई के समय बोरों में इमली भरने का काम लिया जाता है जो कि बेहद आपत्तीजनक एवं गैरकानूनी है।
बताया जा रहा है कि हाल ही में पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक टीम ने इस बालक आश्रम का भ्रमण किया था। इस दौरान उन्हें पढ़ने के समय बच्चे क्लास में नजर नहीं आए। जिसमें अधिकांश आदिवासी बच्चे थे।
वहीं जब इनके बारे में पूछने पर पता चला तो सभी बच्चे एक व्यापारी के यहां इमली को बोरों में भरने का काम कर रहे थे। इतना ही नहीं इस खुलासे में बच्चों ने यह भी कहा कि आश्रम अधीक्षक धीरज नाग अक्सर आश्रम में थे ही नहीं। इसके साथ उन्हें सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं मिलता है।
बच्चों को अक्सर अपने भोजन की व्यवस्था खुद ही करनी पड़ती है। उन्हें स्थानीय व्यापारी राजू के यहां एक बोरा इमली भरने पर एक रुपए दिए जाते हैं। आदिवासी अंचल के इस 100 सीटर आश्रम का यह हाल है तो नक्सल प्रभावित क्षेत्र में अन्य आश्रमों का क्या हाल होता होगा इसका आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है।
Courtesy: National Dastak
बताया जा रहा है कि मामले पर संज्ञान लेते हुए जिला पंचायत सीईओ गौरव सिंह ने जांच के आदेश दे दिए हैं। गौरव सिंह का कहना था कि उनके पास इस प्रकार की शिकायत आई है कि बच्चों से पढ़ाई के समय बोरों में इमली भरने का काम लिया जाता है जो कि बेहद आपत्तीजनक एवं गैरकानूनी है।
बताया जा रहा है कि हाल ही में पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक टीम ने इस बालक आश्रम का भ्रमण किया था। इस दौरान उन्हें पढ़ने के समय बच्चे क्लास में नजर नहीं आए। जिसमें अधिकांश आदिवासी बच्चे थे।
वहीं जब इनके बारे में पूछने पर पता चला तो सभी बच्चे एक व्यापारी के यहां इमली को बोरों में भरने का काम कर रहे थे। इतना ही नहीं इस खुलासे में बच्चों ने यह भी कहा कि आश्रम अधीक्षक धीरज नाग अक्सर आश्रम में थे ही नहीं। इसके साथ उन्हें सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं मिलता है।
बच्चों को अक्सर अपने भोजन की व्यवस्था खुद ही करनी पड़ती है। उन्हें स्थानीय व्यापारी राजू के यहां एक बोरा इमली भरने पर एक रुपए दिए जाते हैं। आदिवासी अंचल के इस 100 सीटर आश्रम का यह हाल है तो नक्सल प्रभावित क्षेत्र में अन्य आश्रमों का क्या हाल होता होगा इसका आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है।
Courtesy: National Dastak