राजस्थान। राजस्थान में आदिवासी बच्चे कुपोषण के शिकार हो रहे हैं जिससे उनका मानसिक विकास तक रुक रहा है। गरीबी के कारण ये परिवार अपने बच्चों को पौष्टिक आहार नहीं दे पा रहे हैं जिससे इन बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है।
आरएनटी मेडिकल कॉलेज के चार चिकित्सकों के कुपोषित बच्चों पर किए गए दो अलग-अलग शोधों में ये खुलासा हुआ है। भास्कर में छपी खबर के अनुसार, डॉक्टर ने 6 से 12 माह की आयु के 50-50 कुपोषित बच्चों में कुपोषण का बड़ा कारण खोजने के लिए रिसर्च की।
पहली रिसर्च में पाया कि कुपोषित बच्चों के शरीर में आयरन और फोलिक एसिड की तुलना विटामिन बी-12 नहीं था, जिससे खून की कमी के कारण वे कुपोषित हुए। दूसरे रिसर्च में भी यही कारण पता लगा लेकिन “इन्फेंटाइल ट्रेमर सिंड्रोम’ नाम का नया कुपोषण सामने आया।
बाल चिकित्सालय के एचओडी डॉ. सुरेश गोयल, डॉ. लाखन पोसवाल, डॉ. कुलदीप सिंह और डॉ. याई तोइराम की टीम ने ये रिसर्च किया। पहली रिसर्च में प्रदेश में आदिवासी बच्चों के “इन्फेंटाइल ट्रेमर सिंड्रोम’ नाम के कुपोषण से पीड़ित होने का पता लगा।
इस कारण खून की कमी के साथ बच्चे का मानसिक विकास भी रुक रहा है। ये उन बच्चों में सबसे ज्यादा पाया गया, जिन्हें 6 माह उम्र के बाद माँ के दूध के साथ पूरक आहार नहीं मिल पाया। दूसरी रिसर्च के मुताबिक, कुपोषण का बड़ा कारण बच्चों में विटामिन बी-12 की कमी है।
हालाँकि सरकार के राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत सभी स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में गर्भवती मां को आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां मुफ्त दी जाती हैं जिससे गर्भ में पल रहे शिशुओं को भी पोषण मिल सके, लेकिन विटामिन बी-12 राष्ट्रीय कार्यक्रम में नहीं है।
यह रिसर्च एम्स दिल्ली की पत्रिका “इंडियन जरनल ऑफ पीडियाट्रिक’ में भी प्रकाशित हो चुका है, लेकिन इससे भाजपा सरकार की किरकिरी होती, इस कारण अधिकांशी मीडिया ने इस खबर को महत्व नहीं दिया।
भास्कर की खबर के मुताबिक वर्ष 2015-16 का नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे-4 के अनुसार भी उदयपुर जिले में 97 फीसदी बच्चों (6-23 माह के) को माँ के दूध के साथ पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता। इसके अलावा जिले में 5 साल तक के 11% बच्चे गंभीर कुपोषण के शिकार हैं।
खबर में बताया गया है कि विटामिन बी-12 को राष्ट्रीय कार्यक्रम में जोड़ने को आईसीएमआर को भेजा सुझाव बाल चिकित्सालय के डॉक्टर लाखन पोसवाल ने रिसर्च के बाद इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की चेयरमैन डॉ. सौम्या स्वामीनाथन को एक सुझाव भेजा है। इसमें आयरन और फोलिक एसिड की तरह विटामिन बी-12 को भी राष्ट्रीय कार्यक्रम में जोड़ने की बात कही है।
Courtesy: National Dastak
आरएनटी मेडिकल कॉलेज के चार चिकित्सकों के कुपोषित बच्चों पर किए गए दो अलग-अलग शोधों में ये खुलासा हुआ है। भास्कर में छपी खबर के अनुसार, डॉक्टर ने 6 से 12 माह की आयु के 50-50 कुपोषित बच्चों में कुपोषण का बड़ा कारण खोजने के लिए रिसर्च की।
पहली रिसर्च में पाया कि कुपोषित बच्चों के शरीर में आयरन और फोलिक एसिड की तुलना विटामिन बी-12 नहीं था, जिससे खून की कमी के कारण वे कुपोषित हुए। दूसरे रिसर्च में भी यही कारण पता लगा लेकिन “इन्फेंटाइल ट्रेमर सिंड्रोम’ नाम का नया कुपोषण सामने आया।
बाल चिकित्सालय के एचओडी डॉ. सुरेश गोयल, डॉ. लाखन पोसवाल, डॉ. कुलदीप सिंह और डॉ. याई तोइराम की टीम ने ये रिसर्च किया। पहली रिसर्च में प्रदेश में आदिवासी बच्चों के “इन्फेंटाइल ट्रेमर सिंड्रोम’ नाम के कुपोषण से पीड़ित होने का पता लगा।
इस कारण खून की कमी के साथ बच्चे का मानसिक विकास भी रुक रहा है। ये उन बच्चों में सबसे ज्यादा पाया गया, जिन्हें 6 माह उम्र के बाद माँ के दूध के साथ पूरक आहार नहीं मिल पाया। दूसरी रिसर्च के मुताबिक, कुपोषण का बड़ा कारण बच्चों में विटामिन बी-12 की कमी है।
हालाँकि सरकार के राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत सभी स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में गर्भवती मां को आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां मुफ्त दी जाती हैं जिससे गर्भ में पल रहे शिशुओं को भी पोषण मिल सके, लेकिन विटामिन बी-12 राष्ट्रीय कार्यक्रम में नहीं है।
यह रिसर्च एम्स दिल्ली की पत्रिका “इंडियन जरनल ऑफ पीडियाट्रिक’ में भी प्रकाशित हो चुका है, लेकिन इससे भाजपा सरकार की किरकिरी होती, इस कारण अधिकांशी मीडिया ने इस खबर को महत्व नहीं दिया।
भास्कर की खबर के मुताबिक वर्ष 2015-16 का नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे-4 के अनुसार भी उदयपुर जिले में 97 फीसदी बच्चों (6-23 माह के) को माँ के दूध के साथ पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता। इसके अलावा जिले में 5 साल तक के 11% बच्चे गंभीर कुपोषण के शिकार हैं।
खबर में बताया गया है कि विटामिन बी-12 को राष्ट्रीय कार्यक्रम में जोड़ने को आईसीएमआर को भेजा सुझाव बाल चिकित्सालय के डॉक्टर लाखन पोसवाल ने रिसर्च के बाद इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की चेयरमैन डॉ. सौम्या स्वामीनाथन को एक सुझाव भेजा है। इसमें आयरन और फोलिक एसिड की तरह विटामिन बी-12 को भी राष्ट्रीय कार्यक्रम में जोड़ने की बात कही है।
Courtesy: National Dastak