गंतूर। रोहित वेमुला की जाति को लेकर बवाल जारी है। गंतूर जिला कलेक्टर ने रोहित वेमुला की माँ राधिका वेमुला को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। कलेक्टर के भेजे नोटिस में कहा गया है कि वह 15 दिन के भीतर यह बताएं कि उनका वास्ता अनुसूचित जाति से है, नहीं तो उनके परिवार को दिया गया अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र रद्द कर दिया जाएगा। राधिका वेमुला की जाति को लेकर उनकी राजस्व जांच का आदेश दिया गया है।
जिला कलेक्टर ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को 2016 में समिट किए गए जाति प्रमाण पत्र में रोहित वेमुला को अनुसूचित जाति का बताया था। अब रोहित वेमुला की जाति की जांच का दोबारा आदेश दिया गया है। इस मुद्दे पर दलित जाति छात्र संगठनों ने कड़ा एतराज जताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये जांच केंद्र सरकार और प्रदेश में बीजेपी समर्थित टीडीपी सरकार के दबाव के चलते की जा रही है।
वहीं रोहित के परिजनों का कहना है कि वे इस नोटिस का माकूल जवाब देंगे। रोहित के भाई राजा चैतन्य ने कहा राजस्व जांच के मुद्दे को कोर्ट में उठाएंगे। परिवार इस मामले पर विचार कर रहा है। राजस्व जांच के मुद्दे पर राधिका वेमुला ने कहा, "मुझे गरुजाला के राजस्व मंडलीय अधिकारों के सामने कई बार अपमानित होना पड़ा है। कार्यलय में मुझसे अधिकारियों ने बार-बार पूछा रोजमर्रा का काम कैसे चलता है?"
रोहित वेमुला हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में शोध कर रहे थे। विश्वविद्यालय प्रशासन के जातिगत भेदभाव के चलते 17 जनवरी 2016 को रोहित ने आत्महत्या कर ली थी। जिसके बाद सैबराबाद पुलिस ने अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत विश्वविद्यालय के कुलपति पोदिली आप्पराव, केंद्रीय मंत्री बंडारु दत्तात्रेय, बीजेपी नेता रामचंद्र राव, एबीवीपी नेता सुशील कुमार और कृष्ण चैतन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
रोहित वेमुला की आत्महत्या को सांस्थानिक हत्या माना गया। जिसके चलते तमाम विश्वविद्यालयों सहित देश भर में रोहित के लिए न्याय की मांग की जा रही है। वहीं सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन इस केस को लगातार दबाने की कोशिश कर रहे हैं। राधिका वेमुला की जाति की दोबारा जांच के आदेश ने इस मुद्दे पर नही बहस छेड़ दी है।
जिला कलेक्टर ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को 2016 में समिट किए गए जाति प्रमाण पत्र में रोहित वेमुला को अनुसूचित जाति का बताया था। अब रोहित वेमुला की जाति की जांच का दोबारा आदेश दिया गया है। इस मुद्दे पर दलित जाति छात्र संगठनों ने कड़ा एतराज जताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये जांच केंद्र सरकार और प्रदेश में बीजेपी समर्थित टीडीपी सरकार के दबाव के चलते की जा रही है।
वहीं रोहित के परिजनों का कहना है कि वे इस नोटिस का माकूल जवाब देंगे। रोहित के भाई राजा चैतन्य ने कहा राजस्व जांच के मुद्दे को कोर्ट में उठाएंगे। परिवार इस मामले पर विचार कर रहा है। राजस्व जांच के मुद्दे पर राधिका वेमुला ने कहा, "मुझे गरुजाला के राजस्व मंडलीय अधिकारों के सामने कई बार अपमानित होना पड़ा है। कार्यलय में मुझसे अधिकारियों ने बार-बार पूछा रोजमर्रा का काम कैसे चलता है?"
रोहित वेमुला हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में शोध कर रहे थे। विश्वविद्यालय प्रशासन के जातिगत भेदभाव के चलते 17 जनवरी 2016 को रोहित ने आत्महत्या कर ली थी। जिसके बाद सैबराबाद पुलिस ने अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत विश्वविद्यालय के कुलपति पोदिली आप्पराव, केंद्रीय मंत्री बंडारु दत्तात्रेय, बीजेपी नेता रामचंद्र राव, एबीवीपी नेता सुशील कुमार और कृष्ण चैतन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
रोहित वेमुला की आत्महत्या को सांस्थानिक हत्या माना गया। जिसके चलते तमाम विश्वविद्यालयों सहित देश भर में रोहित के लिए न्याय की मांग की जा रही है। वहीं सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन इस केस को लगातार दबाने की कोशिश कर रहे हैं। राधिका वेमुला की जाति की दोबारा जांच के आदेश ने इस मुद्दे पर नही बहस छेड़ दी है।