सहारनपुर। उत्तर प्रदेश की पिछली सरकार में दो बड़े मामले हुए थे जिनमें दादरी का अखलाक कांड और मुजफ्फर नगर दंगे शामिल हैं। इन दो बड़ी घटनाओं के बाद जिन अफसरों को सस्पेंड कर दिया गया था उन्हें उत्तर प्रदेश की नई योगी सरकार में सहारनपुर में नियुक्त किया गया था। जिन्हें अब जातीय हिंसा के बाद सस्पेंड किया गया है।
बता दें कि सहारनपुर मामले में स्स्पेंड हो चुके डीएम एनपी सिंह और एसएसपी एस सी दुबे अखिलेश य़ादव की सरकार के दौरान हुई दो बड़ी घटनाओं में भी सुर्खियों में थे। सिंह 2005 बैच के आईएएस अफसर हैं वह पहले गौतम बुद्ध नगर के डीएम थे। उन्हें दादरी में 2015 में मोहम्मद अखलाक की पीट-पीटकर हुई हत्या के बाद हुई विस्फोटक स्थिति का सामना करना पडा था। जबकि मुजफ्फरनगर में जब दंगे भड़के तो सिंह के बैचमेट दुबे 2013 में वहां के एसएसपी थे, जब वहां दंगे भड़के। मुजफ्फरनगर में महज दो हफ्ते बिताने के बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया और बाद में दंगों में लापरवाही बरतने के मामले में ज्यूडिशियल कमीशन की तरफ से उन्हें दोषी बताया गया। दोनो बैचमैट सहारनपुर कमें उस वक्त एक साथ हुए, जब 26 अप्रैल को योगी सरकार ने उन्हें इस जिले का डीएम और एसएसपी नियुक्त किया।
यूपी एक सीनियर अधिकारी ने बताया, सिंह ने दादरी कांड से निपटने में शानदार काम किया। यह एक तरह से ठाकुर मुस्लिम का झगड़ा था और मोह्म्मद अखलाक की हत्या के बाद सिंह ठाकुरों को कंट्रोल करने और आगे उपद्रव फैलाने से रोकने में सफल रहे। उस वक्त उनकी शांति बैठकेों ने सरकार को और फजीहत से बचाने में मदद की। लिहाजा यह एक सफलता और अब सहारनपुर में असफलता का मामला है।
उन्होने बताया कि दुबे की छवि भी ईमानदार अफसर की है, जिन्होने यूपीएससी में ऊंची रैंक बावजूद आईपीएस का विकल्प चुना, जबकि उन्हें आईएएस का पद भी मिल सकता था। अधिकारी ने कहा, हालांकि उनकी छवि में अब दो दाग हैं मुजफ्फरनगर और सहारनपुर के दंगे।
Courtesy: National Dastak
बता दें कि सहारनपुर मामले में स्स्पेंड हो चुके डीएम एनपी सिंह और एसएसपी एस सी दुबे अखिलेश य़ादव की सरकार के दौरान हुई दो बड़ी घटनाओं में भी सुर्खियों में थे। सिंह 2005 बैच के आईएएस अफसर हैं वह पहले गौतम बुद्ध नगर के डीएम थे। उन्हें दादरी में 2015 में मोहम्मद अखलाक की पीट-पीटकर हुई हत्या के बाद हुई विस्फोटक स्थिति का सामना करना पडा था। जबकि मुजफ्फरनगर में जब दंगे भड़के तो सिंह के बैचमेट दुबे 2013 में वहां के एसएसपी थे, जब वहां दंगे भड़के। मुजफ्फरनगर में महज दो हफ्ते बिताने के बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया और बाद में दंगों में लापरवाही बरतने के मामले में ज्यूडिशियल कमीशन की तरफ से उन्हें दोषी बताया गया। दोनो बैचमैट सहारनपुर कमें उस वक्त एक साथ हुए, जब 26 अप्रैल को योगी सरकार ने उन्हें इस जिले का डीएम और एसएसपी नियुक्त किया।
यूपी एक सीनियर अधिकारी ने बताया, सिंह ने दादरी कांड से निपटने में शानदार काम किया। यह एक तरह से ठाकुर मुस्लिम का झगड़ा था और मोह्म्मद अखलाक की हत्या के बाद सिंह ठाकुरों को कंट्रोल करने और आगे उपद्रव फैलाने से रोकने में सफल रहे। उस वक्त उनकी शांति बैठकेों ने सरकार को और फजीहत से बचाने में मदद की। लिहाजा यह एक सफलता और अब सहारनपुर में असफलता का मामला है।
उन्होने बताया कि दुबे की छवि भी ईमानदार अफसर की है, जिन्होने यूपीएससी में ऊंची रैंक बावजूद आईपीएस का विकल्प चुना, जबकि उन्हें आईएएस का पद भी मिल सकता था। अधिकारी ने कहा, हालांकि उनकी छवि में अब दो दाग हैं मुजफ्फरनगर और सहारनपुर के दंगे।
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