लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शहरों का नाम बदलने के बाद अब आवारा पशुओं के आश्रय स्थल कांजी हाउस का नाम बदलकर गो-संरक्षण केन्द्र कर दिया है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने सभी जिला अधिकारियों को निर्देश दिया कि आगामी 10 जनवरी तक बेसहारा एवं आवारा पशुओं को गो-संरक्षण केन्द्रों में पहुंचाए जाएं। इस तरह से अब यूपी के प्रत्येक जिले में काजी हाउस का नाम गौ संरक्षण केंद्र हो जाएगा।
सीएम योगी ने कहा कि आवारा पशुओं के मालिकों का पता लगाकर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। गो-संरक्षण केन्द्र से अपने पशु को छुड़ाने के लिए आने वालों से आर्थिक दण्ड वसूला जाए। योगी ने जिलाधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि सभी गो-संरक्षण केन्द्रों में गोवंश का रख-रखाव भली-भांति हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि नगर निकायों में कान्हा गौशाला एवं बेसहारा पशु आश्रय योजना के लिए वित्तीय वर्ष 2017-18 में 60 करोड़ रुपये तथा वित्तीय 2018-19 में निर्माण कार्य हेतु 95 करोड़ रुपये तथा भूसे, चारे आदि के लिए 23.5 करोड़ रुपये की व्यवस्था बजट के जरिये की गई। उन्होंने कहा कि इस धनराशि का शीघ्रता से इसके उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाए।
मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक के बाद राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया था कि गोवंशीय पशुओं के अस्थायी आश्रय स्थलों की स्थापना एवं संचालन के लिए मंडी शुल्क से प्राप्त आय का दो फीसदी, प्रदेश के लाभकारी उद्यमों एवं निर्माणदायी संस्थाओं के लाभ का 0।5 प्रतिशत तथा यूपीडा जैसी संस्थाओं के टोल टैक्स में 0।5 प्रतिशत अतिरिक्त राशि गो कल्याण उपकर (सेस) के रूप में ली जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कुछ समय पहले लावारिस गायों के लिए आश्रय स्थल बनाने की बात कही थी। अब कल उप्र मंत्रिमंडल ने उन उत्पादों पर 0.5 प्रतिशत अतिरिक्त लेवी लगाने का फैसला किया है, जिन पर एक्साइज ड्यूटी लगती है।
मंत्रिमंडल ने मंगलवार को इससे संबंधित फैसले को मंजूरी दी। इसे 'गौ कल्याण सेस' नाम दिया गया है और इसका इस्तेमाल प्रदेशभर में गौ रक्षा के साथ-साथ सड़क पर घूमने वाले आवारा पशुओं के लिए आश्रय स्थल बनाने में किया जाएगा। इन आश्रय स्थलों के लिए विभन्न विभागों से ही कोष जुटाया जाना है, जिसके तहत एक्साइज आइटम पर 0.5 फीसदी अतिरिक्त लेवी लगाने के साथ-साथ यूपीडा जैसी सरकारी एजेंसियों की ओर से वसूले जाने वाले टोल टैक्स पर 0.5 प्रतिशत सेस लगाने का फैसला भी किया गया है।
गौरतलब है कि यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद अवैध बूचड़खानों को बंद करने का फैसला किया गया था। इसके बाद से किसानों के खेतों में जानवरों की भीड़ आ गई है। पिछले डेढ़ साल से किसान अपने घरों पर कम फसलों को रखाने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। इसका गुस्सा पूर्वी यूपी के किसानों के अंदर दिखाई भी दे रहा है। हाथरस में किसानों ने सैकड़ों गायें प्राथमिक स्कूल में बंद कर दी थीं। किसानों के पास खेती ही अधिकांश तौर पर उनके जीवनयापन का हिस्सा हैं ऐसे में आवारा जानवर उनकी फसलें चर जाते हैं जिसके चलते किसानों के अंदर योगी सरकार के खिलाफ नाराजगी है। इसके चलते योगी आदित्यनाथ ने आवारा गायों का इंतजाम करने का निर्देश दिया है।
सीएम योगी ने कहा कि आवारा पशुओं के मालिकों का पता लगाकर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। गो-संरक्षण केन्द्र से अपने पशु को छुड़ाने के लिए आने वालों से आर्थिक दण्ड वसूला जाए। योगी ने जिलाधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि सभी गो-संरक्षण केन्द्रों में गोवंश का रख-रखाव भली-भांति हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि नगर निकायों में कान्हा गौशाला एवं बेसहारा पशु आश्रय योजना के लिए वित्तीय वर्ष 2017-18 में 60 करोड़ रुपये तथा वित्तीय 2018-19 में निर्माण कार्य हेतु 95 करोड़ रुपये तथा भूसे, चारे आदि के लिए 23.5 करोड़ रुपये की व्यवस्था बजट के जरिये की गई। उन्होंने कहा कि इस धनराशि का शीघ्रता से इसके उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाए।
मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक के बाद राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया था कि गोवंशीय पशुओं के अस्थायी आश्रय स्थलों की स्थापना एवं संचालन के लिए मंडी शुल्क से प्राप्त आय का दो फीसदी, प्रदेश के लाभकारी उद्यमों एवं निर्माणदायी संस्थाओं के लाभ का 0।5 प्रतिशत तथा यूपीडा जैसी संस्थाओं के टोल टैक्स में 0।5 प्रतिशत अतिरिक्त राशि गो कल्याण उपकर (सेस) के रूप में ली जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कुछ समय पहले लावारिस गायों के लिए आश्रय स्थल बनाने की बात कही थी। अब कल उप्र मंत्रिमंडल ने उन उत्पादों पर 0.5 प्रतिशत अतिरिक्त लेवी लगाने का फैसला किया है, जिन पर एक्साइज ड्यूटी लगती है।
मंत्रिमंडल ने मंगलवार को इससे संबंधित फैसले को मंजूरी दी। इसे 'गौ कल्याण सेस' नाम दिया गया है और इसका इस्तेमाल प्रदेशभर में गौ रक्षा के साथ-साथ सड़क पर घूमने वाले आवारा पशुओं के लिए आश्रय स्थल बनाने में किया जाएगा। इन आश्रय स्थलों के लिए विभन्न विभागों से ही कोष जुटाया जाना है, जिसके तहत एक्साइज आइटम पर 0.5 फीसदी अतिरिक्त लेवी लगाने के साथ-साथ यूपीडा जैसी सरकारी एजेंसियों की ओर से वसूले जाने वाले टोल टैक्स पर 0.5 प्रतिशत सेस लगाने का फैसला भी किया गया है।
गौरतलब है कि यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद अवैध बूचड़खानों को बंद करने का फैसला किया गया था। इसके बाद से किसानों के खेतों में जानवरों की भीड़ आ गई है। पिछले डेढ़ साल से किसान अपने घरों पर कम फसलों को रखाने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। इसका गुस्सा पूर्वी यूपी के किसानों के अंदर दिखाई भी दे रहा है। हाथरस में किसानों ने सैकड़ों गायें प्राथमिक स्कूल में बंद कर दी थीं। किसानों के पास खेती ही अधिकांश तौर पर उनके जीवनयापन का हिस्सा हैं ऐसे में आवारा जानवर उनकी फसलें चर जाते हैं जिसके चलते किसानों के अंदर योगी सरकार के खिलाफ नाराजगी है। इसके चलते योगी आदित्यनाथ ने आवारा गायों का इंतजाम करने का निर्देश दिया है।