नई दिल्ली। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा जमानत मिलने के बाद शुक्रवार को श्रम अधिकार कार्यकर्ता नवदीप कौर जेल से बाहर आ गईं। अदालत ने कहा कि कौर के खिलाफ हत्या के प्रयास जैसे आरोप लगाना एक बहस का मुद्दा है जिस पर सुनवाई के दौरान बाद में विचार किया जाएगा।
नवदीप कौर को शाम करीब 7:30 बजे करनाल जेल से रिहा कर दिया गया। करीब 6 सप्ताह पहले कौर को हत्या के प्रयास सहित कई आरोपों में एक आपराधिक मामला दर्ज किए जाने के बाद गिरफ्तार किया गया था। कौर को गत 12 जनवरी को हरियाणा के सोनीपत जिले में एक औद्योगिक इकाई का कथित तौर पर घेराव करने और एक कंपनी से धनराशि की मांग करने को लेकर गिरफ्तार किया गया था।
कौर की गिरफ्तारी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया था। जेल से बाहर आने आने के बाद उनका दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा के नेतृत्व में उनके परिवार के सदस्यों और समर्थकों ने जेल के बाहर स्वागत किया।
पत्रकारों से बात करते हुए, कौर ने दावा किया कि उन्होंने किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया है और किसानों, मजदूरों और महिलाओं के अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक विरोध जारी रखेंगी। उन्होंने कहा कि मैं उन लोगों की बदौलत जेल से बाहर आई हूं जिनकी मैं मदद कर रही थी और लड़ रही थी।
कौर ने आगे कहा कि अगर मैंने कुछ गलत किया होता, तो लोग मेरे लिए नहीं बोलते। मैं दुनिया भर के उन सभी लोगों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहूंगी, जिन्होंने मेरे लिए बात की। इसके साथ ही उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों को अपना समर्थन देने के लिए "सिंघू वापस जाने" का संकल्प व्यक्त किया।
उनकी बहन राजवीर कौर ने कहा कि उनका परिवार खुश है कि अब उन्हें जेल से रिहा कर दिया जाएगा। राजवीर कौर ने कहा, ‘‘उन्हें जेल में डेढ़ महीना बिताना पड़ा।’’ उच्च न्यायालय ने 24 फरवरी को याचिका को शुक्रवार (26 फरवरी) को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था। इससे पहले, सोनीपत की एक अदालत ने उगाही के दो अन्य मामले में कौर को जमानत दे दी थी। कौर के परिवार ने कार्यकर्ता को जमानत मिलने पर खुशी जाहिर की है।
नवदीप कौर को शाम करीब 7:30 बजे करनाल जेल से रिहा कर दिया गया। करीब 6 सप्ताह पहले कौर को हत्या के प्रयास सहित कई आरोपों में एक आपराधिक मामला दर्ज किए जाने के बाद गिरफ्तार किया गया था। कौर को गत 12 जनवरी को हरियाणा के सोनीपत जिले में एक औद्योगिक इकाई का कथित तौर पर घेराव करने और एक कंपनी से धनराशि की मांग करने को लेकर गिरफ्तार किया गया था।
कौर की गिरफ्तारी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया था। जेल से बाहर आने आने के बाद उनका दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा के नेतृत्व में उनके परिवार के सदस्यों और समर्थकों ने जेल के बाहर स्वागत किया।
पत्रकारों से बात करते हुए, कौर ने दावा किया कि उन्होंने किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया है और किसानों, मजदूरों और महिलाओं के अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक विरोध जारी रखेंगी। उन्होंने कहा कि मैं उन लोगों की बदौलत जेल से बाहर आई हूं जिनकी मैं मदद कर रही थी और लड़ रही थी।
कौर ने आगे कहा कि अगर मैंने कुछ गलत किया होता, तो लोग मेरे लिए नहीं बोलते। मैं दुनिया भर के उन सभी लोगों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहूंगी, जिन्होंने मेरे लिए बात की। इसके साथ ही उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों को अपना समर्थन देने के लिए "सिंघू वापस जाने" का संकल्प व्यक्त किया।
उनकी बहन राजवीर कौर ने कहा कि उनका परिवार खुश है कि अब उन्हें जेल से रिहा कर दिया जाएगा। राजवीर कौर ने कहा, ‘‘उन्हें जेल में डेढ़ महीना बिताना पड़ा।’’ उच्च न्यायालय ने 24 फरवरी को याचिका को शुक्रवार (26 फरवरी) को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था। इससे पहले, सोनीपत की एक अदालत ने उगाही के दो अन्य मामले में कौर को जमानत दे दी थी। कौर के परिवार ने कार्यकर्ता को जमानत मिलने पर खुशी जाहिर की है।