मोदी राज में कुछ राज्यों में बिल्कुल राम राज्य आ गया है। इन राज्यों के शराब ठेकेदार शराब की दुकाने खोलने से ही मना कर रहे हैं लेकिन हमारा देश का मीडिया इतना खराब है कि वह ऐसा सिर्फ पंजाब के बारे में ही दिखा रहा है। पंजाब में के बारे में यह खबर दिखाई गयी थी कि मंत्रियों और अधिकारियों की बैठक में पंजाब के कैबिनेट मंत्री मनप्रीत सिंह बादल व चरणजीत चन्नी की मुख्य सचिव करण अवतार के साथ शराब पॉलिसी को लेकर जमकर कहासुनी हुई। इसके बाद वित्तमंत्री मनप्रीत बादल मीटिंग को बीच में ही छोड़कर चले गए।
लेकिन मामला क्या था यह नही बताया गया। दरअसल मसला ये था कि सीनियर आईएएस अधिकारी ये चाह रहे थे कि साल 2020-21 के लिए आबकारी नीति इस तरह से बनाई जाए, ताकि सरकार के राजस्व में किसी तरह की कमी न आए और सरकार अपने तय राजस्व के टारगेट को पूरा करे। हालांकि मंत्रियों की दलील थी कि शराब के ठेकेदारों की हालत खस्ता है। पंजाब में ज्यादातर शराब का इस्तेमाल होटलों और शादियों में होता है, लेकिन होटल भी बंद हैं और किसी तरह के आयोजन और फंक्शन भी नहीं हो रहे हैं, इसी वजह से शराब के ठेकेदारों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उनका भी ख्याल रखा जाए।
सच्चाई यह है कि पंजाब में शराब ठेकेदारों के सिंडिकेट ने सरकार को हर महीने दी जाने वाली फीस को मुद्दा बनाकर ठेके खोलने से इनकार कर दिया है। वो कह रहे कि राज्य में शराब का कारोबार करीब 6000 करोड़ का है और उसी हिसाब से सरकार को लाइसेंस फीस आदि अदायगियां की जाती हैं। आम दिनों में 14 घंटे ठेके खोले जाते हैं लेकिन अब कर्फ्यू में ढील के दौरान राज्य सरकार केवल 4 घंटे के लिए ठेके खोलने की अनुमति देने का मन बना रही है जबकि मासिक फीस को लेकर कोई बात नहीं कर रही।
ठीक यही समस्या मध्यप्रदेश की भी है यहाँ भी भारी ड्यूटी से बचने के लिए खुद शराब ठेकेदार ही दुकान खोलने के लिए तैयार नहीं हैं। ज़्यादातर जगहों पर दुकानें बंद हैं। ठेकेदार लॉबी की आपत्ति फीस को लेकर है। साल 2020 21 के लिए 10, 650 करोड़ रुपए रेवेन्यू के साथ शराब दुकानें आवंटित हुई थीं। यह एक्साइज ड्यूटी 1 अप्रैल से प्रभावी है। लॉक डाउन के कारण महीना भर से ज़्यादा वक्त से दुकानें बंद हैं। इसलिए बिक्री भी चौपट है। ठेकेदार इतनी ड्यूटी कैसे पे करें। ये बड़ी समस्या है।
मध्यप्रदेश के गृह मंत्री श्री नरोत्तम मिश्रा ने बयान दिया है कि जो शराब ठेकेदार दुकाने नहीं खोलेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ओर उधर शराब ठेकेदारों का कहना है कि प्रदेश में शराब का विक्रय शुरू करने के कारण कोरोनावायरस का इन्फेक्शन बढ़ने की 100% संभावना है, इसलिए हम अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए शराब की दुकान नहीं खोलेंगे, मतलब क्या ग़जब का मजाक चल रहा है प्रदेश में देख लीजिए?
ठीक यही हाल उत्तर प्रदेश के भी है। उत्तर प्रदेश के शराब और बीयर विक्रेता भी अब कारोबार करने को तैयार नहीं हैं। कोरोना संकट की वजह से उपजे हालात में बढ़ती आर्थिक दिक्कतों के चलते शराब और बीयर की लगातार घटती जा रही बिक्री और प्रदेश सरकार की नई आबकारी नीति में देसी व अंग्रेजी शराब का निर्धारित कोटा हर हाल में उठाने की बाध्यता की वजह से इन विक्रेताओं को अब राज्य में मयखाने चलाने का कारोबार रास नहीं आ रहा। सरकार कह रही है कि दारू बेचो लेकिन ठेकेदार ही मना कर रहे हैं। फिर आया कि नही राम राज्य?
लेकिन मामला क्या था यह नही बताया गया। दरअसल मसला ये था कि सीनियर आईएएस अधिकारी ये चाह रहे थे कि साल 2020-21 के लिए आबकारी नीति इस तरह से बनाई जाए, ताकि सरकार के राजस्व में किसी तरह की कमी न आए और सरकार अपने तय राजस्व के टारगेट को पूरा करे। हालांकि मंत्रियों की दलील थी कि शराब के ठेकेदारों की हालत खस्ता है। पंजाब में ज्यादातर शराब का इस्तेमाल होटलों और शादियों में होता है, लेकिन होटल भी बंद हैं और किसी तरह के आयोजन और फंक्शन भी नहीं हो रहे हैं, इसी वजह से शराब के ठेकेदारों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उनका भी ख्याल रखा जाए।
सच्चाई यह है कि पंजाब में शराब ठेकेदारों के सिंडिकेट ने सरकार को हर महीने दी जाने वाली फीस को मुद्दा बनाकर ठेके खोलने से इनकार कर दिया है। वो कह रहे कि राज्य में शराब का कारोबार करीब 6000 करोड़ का है और उसी हिसाब से सरकार को लाइसेंस फीस आदि अदायगियां की जाती हैं। आम दिनों में 14 घंटे ठेके खोले जाते हैं लेकिन अब कर्फ्यू में ढील के दौरान राज्य सरकार केवल 4 घंटे के लिए ठेके खोलने की अनुमति देने का मन बना रही है जबकि मासिक फीस को लेकर कोई बात नहीं कर रही।
ठीक यही समस्या मध्यप्रदेश की भी है यहाँ भी भारी ड्यूटी से बचने के लिए खुद शराब ठेकेदार ही दुकान खोलने के लिए तैयार नहीं हैं। ज़्यादातर जगहों पर दुकानें बंद हैं। ठेकेदार लॉबी की आपत्ति फीस को लेकर है। साल 2020 21 के लिए 10, 650 करोड़ रुपए रेवेन्यू के साथ शराब दुकानें आवंटित हुई थीं। यह एक्साइज ड्यूटी 1 अप्रैल से प्रभावी है। लॉक डाउन के कारण महीना भर से ज़्यादा वक्त से दुकानें बंद हैं। इसलिए बिक्री भी चौपट है। ठेकेदार इतनी ड्यूटी कैसे पे करें। ये बड़ी समस्या है।
मध्यप्रदेश के गृह मंत्री श्री नरोत्तम मिश्रा ने बयान दिया है कि जो शराब ठेकेदार दुकाने नहीं खोलेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ओर उधर शराब ठेकेदारों का कहना है कि प्रदेश में शराब का विक्रय शुरू करने के कारण कोरोनावायरस का इन्फेक्शन बढ़ने की 100% संभावना है, इसलिए हम अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए शराब की दुकान नहीं खोलेंगे, मतलब क्या ग़जब का मजाक चल रहा है प्रदेश में देख लीजिए?
ठीक यही हाल उत्तर प्रदेश के भी है। उत्तर प्रदेश के शराब और बीयर विक्रेता भी अब कारोबार करने को तैयार नहीं हैं। कोरोना संकट की वजह से उपजे हालात में बढ़ती आर्थिक दिक्कतों के चलते शराब और बीयर की लगातार घटती जा रही बिक्री और प्रदेश सरकार की नई आबकारी नीति में देसी व अंग्रेजी शराब का निर्धारित कोटा हर हाल में उठाने की बाध्यता की वजह से इन विक्रेताओं को अब राज्य में मयखाने चलाने का कारोबार रास नहीं आ रहा। सरकार कह रही है कि दारू बेचो लेकिन ठेकेदार ही मना कर रहे हैं। फिर आया कि नही राम राज्य?