अप्रैल 2022 में देशभर से सांप्रदायिक सौहार्द के ताने बाने को तोड़ने वाली खबरें आई हैं। राजनेता और मीडिया इसी मामले पर बहस में जुटे हैं। टीवी डिबेट में सांप्रदायिक हिंसा पर इस तरह से बहस की जा रही है जैसे देश में दूसरा कोई मामला ही न हो। जनता से जुड़े सवालों पर खुद जनता को ही नहीं आऩे दिया जा रहा। इस बीच थोक मूल्य मुद्रास्फीति तीन दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मूल्य वृद्धि केंद्र सरकार के लिए सिरदर्द बनती नजर आ रही है। यह वित्त वर्ष 2022 में 30 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि और वित्त वर्ष 2021 में 1.3% के निम्न आधार पर वर्तमान में मूल्य वृद्धि दर 12.96% पर पहुंच गई है। पिछली बार थोक मुद्रास्फीति तीन दशक पहले इसी उच्च स्तर को वित्त वर्ष 92 में 13.7% (1981-82 के आधार वर्ष पर) छू गई थी।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, मार्च में WPI आधारित मुद्रास्फीति एक साल पहले की अवधि में 7.89% की तुलना में चार महीने के उच्चतम पर 14.5% थी। इस साल फरवरी में WPI मुद्रास्फीति 13.11% थी।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च के महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति भी 17 महीने के उच्च स्तर 6.95% पर पहुंच गई।
एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है, "मार्च में मुद्रास्फीति की उच्च दर रूस-यूक्रेन संघर्ष के फलस्वरूप वैश्विक आपूर्ति चेन में व्यवधान के चलते कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, मूल धातुओं की कीमतों में वृद्धि के कारण है।"
मार्च में फ्यूल और पावर बास्केट के लिए WPI में महीने-दर-महीने बदलाव फरवरी की तुलना में 2.69% रहा, जबकि विनिर्मित उत्पादों के लिए इसी अवधि में 2.31% की वृद्धि हुई। WPI में ईंधन और बिजली और विनिर्मित उत्पाद क्रमशः 13.15% और 64.23% हैं।
WPI खाद्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर फरवरी में 8.47% से बढ़कर मार्च में 8.71% हो गई। खाद्य सूचकांक में प्राथमिक समूह से 'खाद्य पदार्थ' और निर्मित उत्पाद समूह से 'खाद्य उत्पाद' शामिल हैं।
इंडिया रेटिंग्स के प्रमुख अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, "मार्च 2022 में प्राथमिक वस्तुओं, ईंधन और बिजली और विनिर्माण में दोहरे अंकों की मुद्रास्फीति दर्ज की गई है।" ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति, जो गिरती हुई प्रक्षेपवक्र पर थी, मार्च में एक महीने पहले के 31.5% के मुकाबले बढ़कर 34.5% हो गई।
आरबीआई ने अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम का संकेत दिया
आरबीआई ने एक नोट में कहा कि भारत ने महामारी को अच्छी तरह से प्रबंधित किया है और आर्थिक गतिविधि गति पकड़ रही है, लेकिन ये लाभ "भू-राजनीतिक शत्रुता से विघटनकारी स्पिलओवर से जोखिम में हैं ..."
भारत खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता दे: IMF
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने बजट में सार्वजनिक निवेश को प्राथमिकता देने के लिए भारत की सराहना की है। साथ ही उसने भारत से खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता देने और यूक्रेन युद्ध के कारण उत्पन्न वैश्विक आर्थिक संकट को देखते हुए आर्थिक रूप से कमजोर तथा वंचित तबकों तक इसके स्थानांतरण का दायरा बढ़ाने का आग्रह किया है।
बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक, मुद्राकोष और विश्वबैंक की सालाना बैठक के दौरान आयोजित संवाददाता सम्मेलन में संस्थान के राजकोषीय मामलों के वित्तीय निदेशक पाउलो माउरो ने अलग से बातचीत में कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के आर्थिक प्रभाव काफी गंभीर हैं।
महंगाई का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक के संतोषजनक दायरे से कुछ ऊपर है। हालांकि, वे उसपर अंकुश लगाने को लेकर कदम उठाना शुरू कर चुके हैं।
एक सवाल के जवाब में माउरो ने कहा कि राजकोषीय मोर्चे पर बजट का रुख लगभग तटस्थ है। यह मौजूदा समय में सूझबूझ को दर्शाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन खाद्य वस्तुओं, ऊर्जा की बढ़ती कीमतों को देखते हुए, साफ है कि परिवारों को इस समय परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।’’
आईएमएफ अधिकारी ने कहा, ‘‘इसीलिए, हम सबसे पहले खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता देने की सिफारिश करते हैं। सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित लोगों के लिये खाद्य स्थानान्तरण का दायरा बढ़ाया जाए। भारत में लोगों के खातों में नकद अंतरण के साथ विभिन्न प्रकार की सहायता को लेकर हस्तांतरण का एक प्रभावी इतिहास रहा है। हम चाहते हैं कि यह जारी रहे और इसका दायरा बढ़ाया जाए।’’
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केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, मार्च में WPI आधारित मुद्रास्फीति एक साल पहले की अवधि में 7.89% की तुलना में चार महीने के उच्चतम पर 14.5% थी। इस साल फरवरी में WPI मुद्रास्फीति 13.11% थी।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च के महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति भी 17 महीने के उच्च स्तर 6.95% पर पहुंच गई।
एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है, "मार्च में मुद्रास्फीति की उच्च दर रूस-यूक्रेन संघर्ष के फलस्वरूप वैश्विक आपूर्ति चेन में व्यवधान के चलते कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, मूल धातुओं की कीमतों में वृद्धि के कारण है।"
मार्च में फ्यूल और पावर बास्केट के लिए WPI में महीने-दर-महीने बदलाव फरवरी की तुलना में 2.69% रहा, जबकि विनिर्मित उत्पादों के लिए इसी अवधि में 2.31% की वृद्धि हुई। WPI में ईंधन और बिजली और विनिर्मित उत्पाद क्रमशः 13.15% और 64.23% हैं।
WPI खाद्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर फरवरी में 8.47% से बढ़कर मार्च में 8.71% हो गई। खाद्य सूचकांक में प्राथमिक समूह से 'खाद्य पदार्थ' और निर्मित उत्पाद समूह से 'खाद्य उत्पाद' शामिल हैं।
इंडिया रेटिंग्स के प्रमुख अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, "मार्च 2022 में प्राथमिक वस्तुओं, ईंधन और बिजली और विनिर्माण में दोहरे अंकों की मुद्रास्फीति दर्ज की गई है।" ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति, जो गिरती हुई प्रक्षेपवक्र पर थी, मार्च में एक महीने पहले के 31.5% के मुकाबले बढ़कर 34.5% हो गई।
आरबीआई ने अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम का संकेत दिया
आरबीआई ने एक नोट में कहा कि भारत ने महामारी को अच्छी तरह से प्रबंधित किया है और आर्थिक गतिविधि गति पकड़ रही है, लेकिन ये लाभ "भू-राजनीतिक शत्रुता से विघटनकारी स्पिलओवर से जोखिम में हैं ..."
भारत खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता दे: IMF
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने बजट में सार्वजनिक निवेश को प्राथमिकता देने के लिए भारत की सराहना की है। साथ ही उसने भारत से खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता देने और यूक्रेन युद्ध के कारण उत्पन्न वैश्विक आर्थिक संकट को देखते हुए आर्थिक रूप से कमजोर तथा वंचित तबकों तक इसके स्थानांतरण का दायरा बढ़ाने का आग्रह किया है।
बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक, मुद्राकोष और विश्वबैंक की सालाना बैठक के दौरान आयोजित संवाददाता सम्मेलन में संस्थान के राजकोषीय मामलों के वित्तीय निदेशक पाउलो माउरो ने अलग से बातचीत में कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के आर्थिक प्रभाव काफी गंभीर हैं।
महंगाई का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक के संतोषजनक दायरे से कुछ ऊपर है। हालांकि, वे उसपर अंकुश लगाने को लेकर कदम उठाना शुरू कर चुके हैं।
एक सवाल के जवाब में माउरो ने कहा कि राजकोषीय मोर्चे पर बजट का रुख लगभग तटस्थ है। यह मौजूदा समय में सूझबूझ को दर्शाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन खाद्य वस्तुओं, ऊर्जा की बढ़ती कीमतों को देखते हुए, साफ है कि परिवारों को इस समय परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।’’
आईएमएफ अधिकारी ने कहा, ‘‘इसीलिए, हम सबसे पहले खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता देने की सिफारिश करते हैं। सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित लोगों के लिये खाद्य स्थानान्तरण का दायरा बढ़ाया जाए। भारत में लोगों के खातों में नकद अंतरण के साथ विभिन्न प्रकार की सहायता को लेकर हस्तांतरण का एक प्रभावी इतिहास रहा है। हम चाहते हैं कि यह जारी रहे और इसका दायरा बढ़ाया जाए।’’
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