सर्वविदित है कि पीएम मोदी पत्रकारों तक से बात नहीं करते हैं बल्कि नागरिकों से भी रैलियों व रेडियो आदि के माध्यम से, अपने मन की ही बात करते हैं। उनकी 'एकतरफा' संवाद की कार्यशैली को लेकर अक्सर सवाल भी उठते रहे हैं। लेकिन प्रोटोकॉल कहें या कुछ और, उनके एकतरफा संवाद पर सीधे सवाल-जवाब की नौबत, नहीं के बराबर ही आई है। लेकिन कोरोना संकट काल में इसे संघीय ढांचे की मजबूरी कहें या कुछ और, मुख्यमंत्रियों को प्रोटोकॉल तोड़ने को मजबूर होना पड़ रहा है।
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल व छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बाद, प्रोटोकॉल की बहस में नया नाम झारखंड सीएम हेमंत सोरेन का जुड़ गया है। बीजेपी इसे कोरोना पर राजनीति बताते हुए, सोरेन पर हमलावर हैं तो सोरेन व उनके पक्ष में उतरे नेता, पीएम पर कोरोना को लेकर भी गंभीर नहीं होने और भेदभाव करने जैसे आरोप जड़ रहे हैं।
देश में कोरोना महामारी से कई राज्यों में स्थिति बिगड़ी हुई है। ऐसे में अब गैर-भाजपा शासित राज्य, केंद्र पर भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं। ताजा मामला झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की कोरोना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई बातचीत का है। जिसे लेकर सोरेन के ट्वीट पर भाजपा नेताओं में बवाल मचा है। सोरेन ने ट्वीट किया था कि प्रधानमंत्री ने सिर्फ अपने मन की बात की। बेहतर होता यदि वे काम की बात करते और काम की बात सुनते।
इस पर पहला रिएक्शन आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी का आया और उन्होंने हेमंत सोरेन को नसीहत दे डाली। उन्होंने कहा कि मैं आपकी बहुत इज्जत करता हूं। भाई होने के नाते आपसे इस मुद्दे पर राजनीति ना करने की अपील करता हूं। अलग-अलग मुद्दों पर हमारे मतभेद हो सकते हैं, लेकिन कोरोना के मुद्दे पर राजनीति से देश कमजोर होगा। ये दूसरों पर उंगली उठाने का नहीं, बल्कि एकजुट होकर कोरोना से लड़ने का समय है। इस लड़ाई में हमें अपने प्रधानमंत्री के हाथ मजबूत करने चाहिए।
सोरेन के इस ट्वीट के बाद भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई बड़े नेता सोरेन के विरोध में उतर आए। इन्होंने सोशल मीडिया पर सोरेन को नसीहत देनी शुरू कर दी। केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने लिखा, कृपया संवैधानिक पदों की गरिमा को इस निम्न स्तर तक न ले जाएं। महामारी के कठिन समय में कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। हम एक टीम इंडिया हैं। और तो और गोदी मीडिया के कई एंकर तक इसे पीएम का अपमान व चीख-चीख कर ओछी राजनीति बताने और कोरोना काल में इस तरह की राजनीति नहीं करने की सलाह देने लगे।
नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफी रियो ने लिखा, 'मुख्यमंत्री के तौर में मेरे कई सालों के कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के प्रति काफी संवेदनशील रहे हैं। मैं हेमंत सोरेन के बयान को पूरी तरह खारिज करता हूं। मिजोरम के मुख्यमंत्री जोराम थांगा ने लिखा, 'हम काफी खुशनसीब हैं जो हमें नरेंद्र मोदी जैसा जिम्मेदार प्रधानमंत्री मिला है, जब भी उनका फोन मुझे आता है तो मैं काफी अच्छा महसूस करता हूं। असम से भाजपा नेता हेमंत बिस्वा शर्मा ने भी हेमंत सोरेन को जवाब दिया। उन्होंने लिखा, आपका यह ट्वीट न सिर्फ न्यूनतम मर्यादा के खिलाफ है बल्कि उस राज्य की जनता की पीड़ा का भी मजाक उड़ाना है जिनका हाल जानने के लिए माननीय प्रधानमंत्री ने फोन किया था। बहुत ओछी हरकत कर दी आपने। मुख्यमंत्री पद की गरिमा भी गिरा दी।
उधर, सोरेन के पक्ष में आवाजें कम नहीं उठ रही हैं। सोरेन समर्थकों का कहना है कि संकट (समस्या) के निवारण के लिए संकट से रूबरू होना समाधान की पहली अनिवार्यता है, जिससे मोदी भाग रहे हैं। अगर पीएम किसी की सुनेंगे नहीं, सिर्फ अपनी ही सुनाएंगे तो कैसे काम चलेगा। संघीय ढांचे में तो हरगिज नहीं। कहा कि मुख्यमंत्री पद की गरिमा रखते हुए हेमंत सोरेन ने मोदी को जन सरोकारों का आईना दिखाया है जो रचनात्मक राजनीति का प्रेरक उदाहरण है। इस पहल के लिए हेमंत सोरेन को बहुत बहुत साधुवाद!।
झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री भी दवाओं और वैक्सीनेशन आदि को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर है। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता कई बार इस बात को सार्वजनिक तौर पर बोल चुके हैं कि केंद्र सरकार झारखंड के साथ भेदभाव कर कर रही है। उन्होंने कहा था कि झारखंड को जरूरत की आधी रेमडेसिविर भी नहीं मिल पा रही है। जबकि, यूपी और गुजरात को जरूरत से ज्यादा दी जा रही है। यही नहीं, ओडिशा से कांग्रेस सासंद सप्तगिरी उल्का ने जगन मोहन रेड्डी को जवाब देते हुए उन्हें सीबीआई और ईडी का डर होने की बात तक कह डाली।
सप्तगिरी उल्का ने लिखा, ये जानकर हैरानी होती है कि कांग्रेस के कद्दावर नेता स्वर्गीय वाईएस राजशेखर रेड्जी के बेटे सीबीआई, ईडी के छापे से डरते हुए तुच्छ राजनीति के लिए पीएम मोदी के साथ डूडल-डूडल खेल रहे हैं। बड़े हो जाओ जगमोहन रेड्डी, अब आप सीएम हैं।
एक अन्य कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भी हेमंत सोरेन के समर्थन में ट्वीट किया। उन्होंने हेमंत सोरेन के ट्वीट के लिए लिखा, ये ट्वीट हमें भारत में कोरोना संकट के बारे में सब बताता है। कहा प्रधानमंत्री सिर्फ़ बात करते हैं। वो किसी की नहीं सुनते, मुख्यमंत्रियों की भी नहीं। ऐसी स्थितियों में जानकार भी मानते हैं कि ऐसे में कोई मुख्यमंत्री, अपनी बात को कहे भी तो कैसे कहे। खास हैं कि अब झारखंड में भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे है। गुरुवार को यहां 5 हज़ार से ज़्यादा मामले आए थे। इसलिए हेमंत सोरेन का ट्वीट इसलिए भी अहम है, क्योंकि वो ट्वीट उन्होंने बतौर एक मुख्यमंत्री के नाते, प्रधानमंत्री के खोखलेपन को उजागर करने के लिए किया है।
बता दें कि कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई मुख्यमंत्रियों के बीच खुलकर तकरार सामने आई है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी पहले पीएम मोदी के साथ हुई बैठकों पर सवाल खड़े किए थे, उन्होंने कहा था कि वो सिर्फ वन-वे मीटिंग होती है, कोई जवाब नहीं मिलता है। इसके अलावा एक बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने भाषण का लाइव प्रसारण किया था, जिस पर पीएम मोदी ने आपत्ति जाहिर की थी। वहीं, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ तो पीएम मोदी की तकरार लंबे वक्त से चल ही रही हैं।
खास है कि पूरे मामले में दोनों नेताओं के बीच क्या-क्या बात हुईं। पीएम ने अपने मन की ही सही (जैसा कि आरोप हैं), सीएम को क्या क्या कहा है, की बातें सार्वजनिक डोमेन में नहीं हैं। ऐसे में अहम सवाल यही है कि क्या झारखंड सीएम हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर पीएम मोदी का मजाक उड़ाया है या फिर प्रोटोकॉल की आड़ में मोदी ही सवालों से भाग रहे है?। जैसे जैसे प्रकरण में राजनीति तेज हो रही हैं, इस सवाल का जवाब मिलना भी, शायद आसान नहीं रह गया है।
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल व छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बाद, प्रोटोकॉल की बहस में नया नाम झारखंड सीएम हेमंत सोरेन का जुड़ गया है। बीजेपी इसे कोरोना पर राजनीति बताते हुए, सोरेन पर हमलावर हैं तो सोरेन व उनके पक्ष में उतरे नेता, पीएम पर कोरोना को लेकर भी गंभीर नहीं होने और भेदभाव करने जैसे आरोप जड़ रहे हैं।
देश में कोरोना महामारी से कई राज्यों में स्थिति बिगड़ी हुई है। ऐसे में अब गैर-भाजपा शासित राज्य, केंद्र पर भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं। ताजा मामला झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की कोरोना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई बातचीत का है। जिसे लेकर सोरेन के ट्वीट पर भाजपा नेताओं में बवाल मचा है। सोरेन ने ट्वीट किया था कि प्रधानमंत्री ने सिर्फ अपने मन की बात की। बेहतर होता यदि वे काम की बात करते और काम की बात सुनते।
इस पर पहला रिएक्शन आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी का आया और उन्होंने हेमंत सोरेन को नसीहत दे डाली। उन्होंने कहा कि मैं आपकी बहुत इज्जत करता हूं। भाई होने के नाते आपसे इस मुद्दे पर राजनीति ना करने की अपील करता हूं। अलग-अलग मुद्दों पर हमारे मतभेद हो सकते हैं, लेकिन कोरोना के मुद्दे पर राजनीति से देश कमजोर होगा। ये दूसरों पर उंगली उठाने का नहीं, बल्कि एकजुट होकर कोरोना से लड़ने का समय है। इस लड़ाई में हमें अपने प्रधानमंत्री के हाथ मजबूत करने चाहिए।
सोरेन के इस ट्वीट के बाद भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई बड़े नेता सोरेन के विरोध में उतर आए। इन्होंने सोशल मीडिया पर सोरेन को नसीहत देनी शुरू कर दी। केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने लिखा, कृपया संवैधानिक पदों की गरिमा को इस निम्न स्तर तक न ले जाएं। महामारी के कठिन समय में कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। हम एक टीम इंडिया हैं। और तो और गोदी मीडिया के कई एंकर तक इसे पीएम का अपमान व चीख-चीख कर ओछी राजनीति बताने और कोरोना काल में इस तरह की राजनीति नहीं करने की सलाह देने लगे।
नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफी रियो ने लिखा, 'मुख्यमंत्री के तौर में मेरे कई सालों के कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के प्रति काफी संवेदनशील रहे हैं। मैं हेमंत सोरेन के बयान को पूरी तरह खारिज करता हूं। मिजोरम के मुख्यमंत्री जोराम थांगा ने लिखा, 'हम काफी खुशनसीब हैं जो हमें नरेंद्र मोदी जैसा जिम्मेदार प्रधानमंत्री मिला है, जब भी उनका फोन मुझे आता है तो मैं काफी अच्छा महसूस करता हूं। असम से भाजपा नेता हेमंत बिस्वा शर्मा ने भी हेमंत सोरेन को जवाब दिया। उन्होंने लिखा, आपका यह ट्वीट न सिर्फ न्यूनतम मर्यादा के खिलाफ है बल्कि उस राज्य की जनता की पीड़ा का भी मजाक उड़ाना है जिनका हाल जानने के लिए माननीय प्रधानमंत्री ने फोन किया था। बहुत ओछी हरकत कर दी आपने। मुख्यमंत्री पद की गरिमा भी गिरा दी।
उधर, सोरेन के पक्ष में आवाजें कम नहीं उठ रही हैं। सोरेन समर्थकों का कहना है कि संकट (समस्या) के निवारण के लिए संकट से रूबरू होना समाधान की पहली अनिवार्यता है, जिससे मोदी भाग रहे हैं। अगर पीएम किसी की सुनेंगे नहीं, सिर्फ अपनी ही सुनाएंगे तो कैसे काम चलेगा। संघीय ढांचे में तो हरगिज नहीं। कहा कि मुख्यमंत्री पद की गरिमा रखते हुए हेमंत सोरेन ने मोदी को जन सरोकारों का आईना दिखाया है जो रचनात्मक राजनीति का प्रेरक उदाहरण है। इस पहल के लिए हेमंत सोरेन को बहुत बहुत साधुवाद!।
झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री भी दवाओं और वैक्सीनेशन आदि को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर है। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता कई बार इस बात को सार्वजनिक तौर पर बोल चुके हैं कि केंद्र सरकार झारखंड के साथ भेदभाव कर कर रही है। उन्होंने कहा था कि झारखंड को जरूरत की आधी रेमडेसिविर भी नहीं मिल पा रही है। जबकि, यूपी और गुजरात को जरूरत से ज्यादा दी जा रही है। यही नहीं, ओडिशा से कांग्रेस सासंद सप्तगिरी उल्का ने जगन मोहन रेड्डी को जवाब देते हुए उन्हें सीबीआई और ईडी का डर होने की बात तक कह डाली।
सप्तगिरी उल्का ने लिखा, ये जानकर हैरानी होती है कि कांग्रेस के कद्दावर नेता स्वर्गीय वाईएस राजशेखर रेड्जी के बेटे सीबीआई, ईडी के छापे से डरते हुए तुच्छ राजनीति के लिए पीएम मोदी के साथ डूडल-डूडल खेल रहे हैं। बड़े हो जाओ जगमोहन रेड्डी, अब आप सीएम हैं।
एक अन्य कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भी हेमंत सोरेन के समर्थन में ट्वीट किया। उन्होंने हेमंत सोरेन के ट्वीट के लिए लिखा, ये ट्वीट हमें भारत में कोरोना संकट के बारे में सब बताता है। कहा प्रधानमंत्री सिर्फ़ बात करते हैं। वो किसी की नहीं सुनते, मुख्यमंत्रियों की भी नहीं। ऐसी स्थितियों में जानकार भी मानते हैं कि ऐसे में कोई मुख्यमंत्री, अपनी बात को कहे भी तो कैसे कहे। खास हैं कि अब झारखंड में भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे है। गुरुवार को यहां 5 हज़ार से ज़्यादा मामले आए थे। इसलिए हेमंत सोरेन का ट्वीट इसलिए भी अहम है, क्योंकि वो ट्वीट उन्होंने बतौर एक मुख्यमंत्री के नाते, प्रधानमंत्री के खोखलेपन को उजागर करने के लिए किया है।
बता दें कि कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई मुख्यमंत्रियों के बीच खुलकर तकरार सामने आई है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी पहले पीएम मोदी के साथ हुई बैठकों पर सवाल खड़े किए थे, उन्होंने कहा था कि वो सिर्फ वन-वे मीटिंग होती है, कोई जवाब नहीं मिलता है। इसके अलावा एक बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने भाषण का लाइव प्रसारण किया था, जिस पर पीएम मोदी ने आपत्ति जाहिर की थी। वहीं, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ तो पीएम मोदी की तकरार लंबे वक्त से चल ही रही हैं।
खास है कि पूरे मामले में दोनों नेताओं के बीच क्या-क्या बात हुईं। पीएम ने अपने मन की ही सही (जैसा कि आरोप हैं), सीएम को क्या क्या कहा है, की बातें सार्वजनिक डोमेन में नहीं हैं। ऐसे में अहम सवाल यही है कि क्या झारखंड सीएम हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर पीएम मोदी का मजाक उड़ाया है या फिर प्रोटोकॉल की आड़ में मोदी ही सवालों से भाग रहे है?। जैसे जैसे प्रकरण में राजनीति तेज हो रही हैं, इस सवाल का जवाब मिलना भी, शायद आसान नहीं रह गया है।