वीभत्सता और बर्बरता से सनी UP में मानवता का अंतिम संस्कार

Written by Dr. Amrita Pathak | Published on: October 1, 2020

शहर-शहर बलात्कार, (हाथरस, बलरामपुर, बुलंदशहर) शर्म करो योगी सरकार.


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भारत में महिला जिसकी संख्यां देश में वोट के लिए तो आधी है लेकिन उसके हालात जानवरों के बराबर भी नहीं है. उत्तर प्रदेश में पहले हाथरस, कल बलरामपुर और बुलन्दशहर से लगातार आ रही बर्बरतापूर्ण बलात्कार की घटनाओं ने पुरे देश को झकझोर दिया है. विभत्सता के चरम तक जाने के बाद ही इस देश में किसी बलात्कार की घटना पर बातचीत तक शुरू होती है जो दर्दनाक है. आज आप देश भर में एक भी लड़की को नहीं ढूढ़ सकते हैं जिसके साथ बलात्कार, चाइल्ड सेक्स एब्यूज, छेड़खानी, सेक्शुअल हरैस्मेंट, पीछा करने, किसी की निजता भंग करते हुए ताक़क-झाँक करने, अश्लील फब्ती कसने, गंदे इशारे करने इत्यादि में से कोई एक घटना भी न हुई हो. कुछ ही दिन पहले ट्वीटर ट्रेंड से लेकर सड़कों पर “Me Too” के नाम से चलाए जा रहे कैम्पेन से बहुत कुछ समझा जा सकता है. 

हाथरस के घटना की बर्बरता और पुलिस प्रशासन के अमानवीय व्यवहार द्वारा हैवानियत के काले सच को देश ने सबुत सहित मिटाते हुए देखा जो इतिहास में काले अक्षरों में दर्ज होगा. गौरतलब है कि हाथरस मामले में UP सरकार, पुलिस व् जनता आपने-सामने है. पीडिता का जबरन अंतिम संस्कार रात के 2.30 बजे परिवार की अनुपस्थिति में कर दिया गया. पीडिता की मौत के बाद दिल्ली के सफदरजंग से लेकर इंडिया गेट तक लोगों के जमकर प्रदर्शन किए, गिरफ्तारियां दी. पूरा देश हाथरस पीड़िता के लिए न्याय मांगने सड़कों पर उतर गए पर उतर प्रदेश में दरिंदगी और हैवानियत कम नहीं हुई. कल ही एक के बाद एक बलात्कार के जघन्य अपराध की घटनाएँ सामने आई है. हाथरस के बाद ये बलरामपुर व बुलंदशहर की घटनाएँ हैं.




आज जब सत्ता पक्ष के सह पर हत्या व् अपहरण को सामान्य कर दिया गया है (जिसमें पहले नंबर पर उत्तर प्रदेश का नाम आता है) तो बर्बर बलात्कार की घटना को भी सामान्य होते देर नहीं लगेगी. इस देश में हर 15 मिनट पर बलात्कार व् यौन शोषण जैसी घटनाएँ हो रही है जो एक वीभत्स अपराध है लेकिन महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार या शोषण वर्षों से महज एक चुनावी मुद्दा बन कर रह गया है. महिला आज बेटी बचाओ के नारों में है अगर वही बेटी बलात्कार पर सरकार से सवाल कर दे तो उसे देशद्रोही करार देकर उनकी तस्वीरों को चौराहे पर लगा देंगे.  

दुनिया में कई मानव समुदाय हैं जहाँ समाज बलात्कारमुक्त हैं अथवा नगण्य संख्या में हैं! बलात्कार कल्चर की बात है! आम जीवन में सीखे गए व्यवहार की बात है. भले ही दलील दी जाए कि कोई समाज या संस्कृति बलात्कार करने को नहीं कहती लेकिन हमारे समाज में जेंडर असंवेदनशीलता की गंभीरता बहुत बड़ी संख्या में बलात्कारी, या बलात्कार की मानसिकता रखने वाले को पैदा कर रही है और सत्ता में बैठे लोग पद का दुरूपयोग कर ऐसे हैवानों को बचाने को तत्पर दिखते हैं. या यूँ कहें कि अधिकांश तथाकथिक 'सभ्य' समाज’ की यह नग्न होती तस्वीर है. जिसे हाथरस की निर्भया के लाश को जबरन जलाकर या ऐसे किसी भी मामलों को दबा कर ढका नहीं जा सकता है.  
 
उतर प्रदेश की सरकार योगी आदित्यनाथ का मानना है कि अपराधियों का सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए विशेष कर बलात्कारियों को सबक सिखाने के लिए इस तरह योजना को जरुरी समझते हैं. पिछले दिनों सरकार द्वारा लायी गयी सीएए और एनआरसी कानून के विरोध में हुए आन्दोलन में तोड़-फोड़ का आरोप लगाकर कई युवाओं के पोस्टर उतर प्रदेश के विभिन्न चौराहों पर लगाए गए थे. विरोध की आवाज को ख़त्म करने और पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाने की वजह से गुनहगारों का  मनोबल बढ़ता नजर आता है जो उतर प्रदेश सहित पुरे देश को शर्मशार कर रहा है.  
 
अधिकांश बार बलात्कार एक समाज में वर्चस्व स्थापित करने, किसी को सबक सिखाने, बदला लेने, मिटाने, नीचा दिखाने के लिए करते हैं! ये वर्चस्व कई बार सिर्फ़ मर्दागनी का होता है तो कई बार जाति, रिश्ता, आर्थिक और राजनैतिक व् सामाजिक वर्चस्व के रूप में होता है इसीलिए इस समाज में एक ग़रीब दलित महिला औरों के मुकाबले कहीं ज़्यादा शोषित और प्रताड़ित होती है. मीडिया में कवरेज भी बलात्कारी और बलत्कृत की जाति, धर्म, राजनैतिक रसूख, आर्थिक हैसियत, शहरी और ग्रामीण स्थिति के हिसाब से बदलती रहती है. वर्चस्ववादी इस परंपरा को चुनौती देकर ही देश के भविष्य को सुरक्षित किया जा सकता है जिसकी शुरुआत सड़कों पर कोरोना के गंभीर समय में निकल कर गिरफ्तारियां देते लोगों ने कर दी है जो यथास्थितिवाद कीपरंपरा को ख़त्म करने में मील का पत्थर साबित होगा.
 

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