वाराणसी: काशी विश्वनाथ मंदिर का हिस्सा बना ज्ञानवापी कूप

Written by Sabrangindia Staff | Published on: March 9, 2021
वाराणसी। वाराणसी में सौंदर्यीकरण के नाम पर ऐतिहासिक प्राचीन धरोहरों की तोड़फोड़ का सिलसिला 2018 से शुरू होकर निरंतर जारी है। पौराणिक ज्ञानवापी कूप और ज्ञानवापी परिसर में स्थित विशाल नंदी अब काशी विश्वनाथ मंदिर का हिस्सा बन गया है। मंदिर परिसर के विस्तार के लिए बेस निर्माण का कार्य पूरा हो गया है। महाशिवरात्रि के बाद मंदिर की नई बाउंड्री बनाने का काम भी शुरू हो जाएगा।



एक सौ से ज़्यादा प्राचीन इमारतों को गिराकर/तोड़कर अधिग्रहण की की योजना थी और, नवंबर 2018 के दूसरे हफ़्ते तक 55 इमारतें गिरायी जा चुकी थीं।

यह काम राज्य की भारतीय जनता पार्टी सरकार और इसके मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के आदेश पर हो रहा है। इसका मक़सद है, काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के आसपास के इलाक़े को पूरी तरह अपने नियंत्रण में ले लेना। इसे ‘सुंदरीकरण और आधुनिकीकरण’ का नाम दिया गया है। सरकारी तौर पर कहा गया है कि काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद तक पहुंचने के मौजूदा तंग रास्ते को चौड़ा करने, लोगों की आवाजाही को आसान व सुविधाजनक बनाने, इलाक़े को सुंदर बनाने और गंगा के घाट से मंदिर तक जाने के रास्ते को सुगम बनाने के इरादे से यह काम किया जा रहा है।

एनबीटी की रिपोर्ट के मुताबिक, मंदिर के सीईओ सुनील कुमार वर्मा ने कहा कि विश्वनाथ धाम में मंदिर परिसर के विस्तार की योजना है। विस्तार के बाद 3150 वर्गमीटर में मंदिर परिसर होगा। मंदिर परिसर की लंबाई 72 मीटर और चौड़ाई 45 मीटर तय की गई है। परिसर विस्तार का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। मंदिर परिसर के मुख्य द्वार 40 फीट ऊंचा होगा। चुनार के गुलाबी पत्थर इसी शोभा बढ़ाएंगे।
 
किंविंदंतियों के आधार पर कहा जाता है कि अप्रैल 1669 में औरंगजेब के फरमान के बाद मुगल सेना ने हमला कर आदि विशेश्वर का मंदिर ध्वस्त किया था। स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को कोई क्षति न हो इसके लिए मंदिर के महंत शिवलिंग को लेकर ज्ञानवापी कुंड में कूद गए थे। हमले के दौरान मुगल सेना मंदिर के बाहर स्थपित विशाल नंदी की प्रतिमा को तोड़ने का प्रयास किया था लेकिन सेना के तमाम प्रयासों के बाद भी वे नंदी की प्रतिमा को नहीं तोड़ सके। यह प्रतिमा वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद (पुरातन काशी विश्वनाथ का मंदिर) की तरफ है। वर्तमान काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्याबाई ने 1780 में कराया था।

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