पीड़ित सुमित दिवाकर ने स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई कि पुराना भरथना मोहल्ला निवासी नंदन गुप्ता, लड्डू गुप्ता और सत्येंद्र कुमार नामक तीन लोगों ने उसे सड़क पर रोक लिया, उस पर जातिसूचक गालियां दीं और फिर बेरहमी से पीटा।

प्रतीकात्मक तस्वीर; साभार ; आईस्टॉक
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के भरथना कस्बे में, एक दलित युवक को कुछ लोगों ने सार्वजनिक रूप से अपमानित किया और बेरहमी से पीटा। हमलावरों ने कथित तौर पर युवक को सड़क पर 'मुर्गा' बनाया, उसकी पिटाई की और घटना का वीडियो बनाया, जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
यह घटना भरथना के रानी नगर इलाके में हुई। पीड़ित सुमित दिवाकर ने स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई कि पुराना भरथना मोहल्ला निवासी नंदन गुप्ता, लड्डू गुप्ता और सत्येंद्र कुमार नामक तीन लोगों ने उसे सड़क पर रोक लिया, उस पर जातिसूचक गालियां दीं और फिर बेरहमी से पीटा। उसने यह भी आरोप लगाया कि आरोपियों ने उसे जान से मारने की धमकी दी। यह हमला कथित तौर पर 8 अक्टूबर को हुआ था, लेकिन वीडियो ऑनलाइन सामने आने के बाद इसने फिर से लोगों का ध्यान खींचा।
शिकायत के बाद, पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। अधिकारियों ने कहा कि वीडियो की जांच की जा रही है और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) श्री चंद्र ने कहा, "शिकायत मिलते ही हमने मामले को गंभीरता से लिया और मामला दर्ज कर लिया। सोशल मीडिया पर कुछ भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है, लेकिन हमारी जांच में इससे जुड़ी किसी अन्य घटना का कोई सबूत नहीं मिला है। हम लोगों से आग्रह करते हैं कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और कुछ भी साझा करने से पहले तथ्यों की पुष्टि कर लें।"
दलितों पर ऊंची जातियों द्वारा उत्पीड़न के मामले अक्सर सामने आते हैं। हाल ही में महाराष्ट्र के अहिल्यानगर जिले से एक शर्मनाक घटना सामने आई। यहां 22 वर्षीय एक दलित युवक को 11 लोगों के एक समूह ने कथित तौर पर अगवा कर निर्ममता से प्रताड़ित किया। यह भयावह वारदात 19 अक्टूबर को सोनाई गांव में हुई। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित के पिता द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के अनुसार, यह घटना पुरानी रंजिश का है। शिकायत में बताया गया कि पीड़ित युवक अपने एक दोस्त के साथ अस्पताल के पास खड़ा था, तभी मुख्य आरोपी संभाजी लांडे - जिसकी पीड़ित से पहले से दुश्मनी थी - अपने 10-11 साथियों के साथ वहां पहुंच गया।
आरोपियों ने वहां पहुंचते ही पीड़ित युवक पर हमला कर दिया और उसे लात-घूंसों तथा लाठियों से बेरहमी से पीटने लगे। जब पीड़ित के दोस्त ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, तो हमलावरों ने उसे भी नहीं छोड़ा और उसकी भी पिटाई कर दी।
हमलावरों की दरिंदगी यहीं नहीं थमी। उन्होंने पीड़ित युवक को जबरन एक एसयूवी में बिठाकर अज्ञात स्थान पर ले गए, जहां उसके साथ दोबारा बर्बर पिटाई की गई। एफआईआर में यह भी आरोप लगाया कि इस अमानवीय कृत्य के दौरान आरोपियों ने पीड़ित पर पेशाब किया और उसे लगातार जातिसूचक गालियां देकर अपमानित किया।
पटाखा विवाद को लेकर हमला
बीते महीने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के भीती रावत गांव में पटाखों को लेकर हुए विवाद के बाद एक दलित महिला और उसके परिवार पर कथित तौर पर हमला किया गया। इस घटना से पूरे गांव में तनाव और गुस्सा रहा।
रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता, मनोज कुमार की पत्नी संजना भारती, घर पर थी जब विरोधी पक्ष के युवकों ने उनके घर के सामने पटाखे फोड़ने शुरू कर दिए। जब उसने विरोध किया, तो आरोपी कथित तौर पर भड़क गए और उनके दरवाजे पर चढ़ गए। शोर सुनकर उनका भाई बीच-बचाव करने आया, जिसके बाद आरोपियों ने कथित तौर पर जातिसूचक गालियां दीं और संजना और उनके भाई दोनों से मारपीट की।
संजना भारती ने तुरंत सहजनवा थाने में शिकायत दर्ज कराई। उनकी रिपोर्ट के बाद, पुलिस ने चार लोगों: धर्मेंद्र पाल, छोटाई पाल, संतोष पाल और अंशु पाल के खिलाफ मामला दर्ज किया।
मध्य प्रदेश में इसी तरह की घटना
वहीं मध्य प्रदेश में भी इसी तरह की घटना सामने आई। सागर जिले के केसली गांव के दलित परिवारों ने आरोप लगाया कि दिवाली की रात पटाखे फोड़ने को लेकर हुए विवाद के बाद राजपूत (क्षत्रिय) समुदाय के कुछ लोगों ने उन पर हमला किया। कई महिलाओं समेत पीड़ितों ने पुलिस अधीक्षक (एसपी) से लिखित शिकायत कर सुरक्षा और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
शिकायतकर्ताओं के हवाले से मुस्लिम मिरर ने लिखा, यह घटना पिछले हफ्ते की शुरुआत में हुई जब दलित परिवारों के बच्चे पटाखे जलाकर दिवाली मना रहे थे। इसको लेकर उसी गांव के एक राजपूत परिवार के सदस्य नाराज हो गए, जिसके बाद हिंसक झड़प हुई।
एक पीड़ित ने सागर एसपी कार्यालय के बाहर पत्रकारों को बताया, "वे हमारे घरों में घुस आए, हमें पीटा और हमारी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया।"
उन्होंने आगे कहा, "उन्होंने जातिसूचक गालियां भी दीं और हमें अंजाम भुगतने की धमकी दी।"
दलित परिवार पर हमला
एक सप्ताह पहले उत्तर प्रदेश के औरैया के एक गांव में दलित परिवार के साथ क्रूरता की घटना सामने आई। एक युवती के साथ छेड़छाड़ का विरोध करने की सजा उसके पूरे परिवार को दी गई। बदमाशों ने उनके घर में घुसकर बुरी तरह पिटाई की और सरकार व जाति का दंभ भरते हुए जान से मारने की धमकी दी।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित परिवार का आरोप था कि आरोपी खुलेआम कह रहे थे—"हमारी सरकार है, मुख्यमंत्री हमारे हैं।" घटना के बाद पुलिस भी एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी कर रही थी, जिससे पीड़ित परिवार इंसाफ की उम्मीद में उच्चाधिकारियों के सामने गुहार लगाने को मजबूर हुए।
भरसेन गांव में दलित युवती के साथ छेड़छाड़ के बाद हुआ पारिवारिक विवाद गंभीर रूप ले चुका। पीड़िता के परिवार का आरोप था कि बदमाशों ने न सिर्फ युवती का यौन शोषण किया, बल्कि बाद में उसके परिवार के सदस्यों की बुरी तरह पिटाई की और जान से मारने की धमकी भी दी। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि आरोपियों ने सत्ता और जातिगत दबदबे का दावा करते हुए खुलेआम गोली मारने की धमकी दी।
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उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के भरथना कस्बे में, एक दलित युवक को कुछ लोगों ने सार्वजनिक रूप से अपमानित किया और बेरहमी से पीटा। हमलावरों ने कथित तौर पर युवक को सड़क पर 'मुर्गा' बनाया, उसकी पिटाई की और घटना का वीडियो बनाया, जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
यह घटना भरथना के रानी नगर इलाके में हुई। पीड़ित सुमित दिवाकर ने स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई कि पुराना भरथना मोहल्ला निवासी नंदन गुप्ता, लड्डू गुप्ता और सत्येंद्र कुमार नामक तीन लोगों ने उसे सड़क पर रोक लिया, उस पर जातिसूचक गालियां दीं और फिर बेरहमी से पीटा। उसने यह भी आरोप लगाया कि आरोपियों ने उसे जान से मारने की धमकी दी। यह हमला कथित तौर पर 8 अक्टूबर को हुआ था, लेकिन वीडियो ऑनलाइन सामने आने के बाद इसने फिर से लोगों का ध्यान खींचा।
शिकायत के बाद, पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। अधिकारियों ने कहा कि वीडियो की जांच की जा रही है और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) श्री चंद्र ने कहा, "शिकायत मिलते ही हमने मामले को गंभीरता से लिया और मामला दर्ज कर लिया। सोशल मीडिया पर कुछ भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है, लेकिन हमारी जांच में इससे जुड़ी किसी अन्य घटना का कोई सबूत नहीं मिला है। हम लोगों से आग्रह करते हैं कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और कुछ भी साझा करने से पहले तथ्यों की पुष्टि कर लें।"
दलितों पर ऊंची जातियों द्वारा उत्पीड़न के मामले अक्सर सामने आते हैं। हाल ही में महाराष्ट्र के अहिल्यानगर जिले से एक शर्मनाक घटना सामने आई। यहां 22 वर्षीय एक दलित युवक को 11 लोगों के एक समूह ने कथित तौर पर अगवा कर निर्ममता से प्रताड़ित किया। यह भयावह वारदात 19 अक्टूबर को सोनाई गांव में हुई। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित के पिता द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के अनुसार, यह घटना पुरानी रंजिश का है। शिकायत में बताया गया कि पीड़ित युवक अपने एक दोस्त के साथ अस्पताल के पास खड़ा था, तभी मुख्य आरोपी संभाजी लांडे - जिसकी पीड़ित से पहले से दुश्मनी थी - अपने 10-11 साथियों के साथ वहां पहुंच गया।
आरोपियों ने वहां पहुंचते ही पीड़ित युवक पर हमला कर दिया और उसे लात-घूंसों तथा लाठियों से बेरहमी से पीटने लगे। जब पीड़ित के दोस्त ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, तो हमलावरों ने उसे भी नहीं छोड़ा और उसकी भी पिटाई कर दी।
हमलावरों की दरिंदगी यहीं नहीं थमी। उन्होंने पीड़ित युवक को जबरन एक एसयूवी में बिठाकर अज्ञात स्थान पर ले गए, जहां उसके साथ दोबारा बर्बर पिटाई की गई। एफआईआर में यह भी आरोप लगाया कि इस अमानवीय कृत्य के दौरान आरोपियों ने पीड़ित पर पेशाब किया और उसे लगातार जातिसूचक गालियां देकर अपमानित किया।
पटाखा विवाद को लेकर हमला
बीते महीने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के भीती रावत गांव में पटाखों को लेकर हुए विवाद के बाद एक दलित महिला और उसके परिवार पर कथित तौर पर हमला किया गया। इस घटना से पूरे गांव में तनाव और गुस्सा रहा।
रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता, मनोज कुमार की पत्नी संजना भारती, घर पर थी जब विरोधी पक्ष के युवकों ने उनके घर के सामने पटाखे फोड़ने शुरू कर दिए। जब उसने विरोध किया, तो आरोपी कथित तौर पर भड़क गए और उनके दरवाजे पर चढ़ गए। शोर सुनकर उनका भाई बीच-बचाव करने आया, जिसके बाद आरोपियों ने कथित तौर पर जातिसूचक गालियां दीं और संजना और उनके भाई दोनों से मारपीट की।
संजना भारती ने तुरंत सहजनवा थाने में शिकायत दर्ज कराई। उनकी रिपोर्ट के बाद, पुलिस ने चार लोगों: धर्मेंद्र पाल, छोटाई पाल, संतोष पाल और अंशु पाल के खिलाफ मामला दर्ज किया।
मध्य प्रदेश में इसी तरह की घटना
वहीं मध्य प्रदेश में भी इसी तरह की घटना सामने आई। सागर जिले के केसली गांव के दलित परिवारों ने आरोप लगाया कि दिवाली की रात पटाखे फोड़ने को लेकर हुए विवाद के बाद राजपूत (क्षत्रिय) समुदाय के कुछ लोगों ने उन पर हमला किया। कई महिलाओं समेत पीड़ितों ने पुलिस अधीक्षक (एसपी) से लिखित शिकायत कर सुरक्षा और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
शिकायतकर्ताओं के हवाले से मुस्लिम मिरर ने लिखा, यह घटना पिछले हफ्ते की शुरुआत में हुई जब दलित परिवारों के बच्चे पटाखे जलाकर दिवाली मना रहे थे। इसको लेकर उसी गांव के एक राजपूत परिवार के सदस्य नाराज हो गए, जिसके बाद हिंसक झड़प हुई।
एक पीड़ित ने सागर एसपी कार्यालय के बाहर पत्रकारों को बताया, "वे हमारे घरों में घुस आए, हमें पीटा और हमारी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया।"
उन्होंने आगे कहा, "उन्होंने जातिसूचक गालियां भी दीं और हमें अंजाम भुगतने की धमकी दी।"
दलित परिवार पर हमला
एक सप्ताह पहले उत्तर प्रदेश के औरैया के एक गांव में दलित परिवार के साथ क्रूरता की घटना सामने आई। एक युवती के साथ छेड़छाड़ का विरोध करने की सजा उसके पूरे परिवार को दी गई। बदमाशों ने उनके घर में घुसकर बुरी तरह पिटाई की और सरकार व जाति का दंभ भरते हुए जान से मारने की धमकी दी।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित परिवार का आरोप था कि आरोपी खुलेआम कह रहे थे—"हमारी सरकार है, मुख्यमंत्री हमारे हैं।" घटना के बाद पुलिस भी एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी कर रही थी, जिससे पीड़ित परिवार इंसाफ की उम्मीद में उच्चाधिकारियों के सामने गुहार लगाने को मजबूर हुए।
भरसेन गांव में दलित युवती के साथ छेड़छाड़ के बाद हुआ पारिवारिक विवाद गंभीर रूप ले चुका। पीड़िता के परिवार का आरोप था कि बदमाशों ने न सिर्फ युवती का यौन शोषण किया, बल्कि बाद में उसके परिवार के सदस्यों की बुरी तरह पिटाई की और जान से मारने की धमकी भी दी। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि आरोपियों ने सत्ता और जातिगत दबदबे का दावा करते हुए खुलेआम गोली मारने की धमकी दी।
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