शिक्षक संघ का दावा: यूपी पंचायत चुनाव के दौरान 706 शिक्षकों/कर्मचारियों की मौत

Written by Sabrangindia Staff | Published on: April 30, 2021
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भाजपा सरका की हठधर्मिता की कीमत शिक्षकों के परिवार को भुगतनी पड़ रही है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने दावा किया है कि राज्य में चार चरण में हुए पंचायत चुनाव के दौरान 706 शिक्षकों, शिक्षामित्रों व चुनाव में लगे लोगों की मौत हो चुकी है। इसे लेकर शिक्षक संघ ने  चुनाव आयोग से मांग की है कि यूपी में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए पंचायत चुनाव की मतगणना को स्थगित किया जाए। उधर उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की इस लिस्ट के बाद पूरे प्रदेश में सियासत गरमा गई है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर पीड़ित परिवार को 50 लाख के मुआवजे और सरकारी नौकरी की मांग कर दी है। पंचायत चुनाव में ड्यूटी लगाने पर सवाल खड़े किए हैं।



कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, “यूपी पंचायत चुनावों की ड्यूटी में लगे लगभग 500 शिक्षकों की मृत्यु की खबर दुखद और डरावनी है। चुनाव ड्यूटी करने वालों की सुरक्षा का प्रबंध लचर था तो उनको क्यों भेजा? सभी शिक्षकों के परिवारों को 50 लाख रु मुआवाजा व आश्रितों को नौकरी की माँग का मैं पुरजोर समर्थन करती हूं।”

शिक्षक संघ का दावा है कि कोरोना की वजह से उन जिलों में अधिक शिक्षकों की मौत हुई है, जहां पंचायत चुनाव हो चुका है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ का कहना है कि मौत के मुंह में समाने वाले अधिकतर शिक्षक पंचायत चुनाव ड्यूटी के बाद संक्रमित हुए। संघ की ओर से सोमवार को कोरोना के शिकार हुए 706 शिक्षकों के नाम का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र भेजा गया है। इस पत्र में लखनऊ मंडल में ही 115 की मौत होने की बात कही गई है।

शिक्षक संघ का कहना है कि कोरोना के कारण जान गंवाने वाले अधिकतर शिक्षक पंचायत चुनाव में मतदान और उससे पहले हुए प्रशिक्षण के बाद बीमार पड़े। उन्हें इलाज नहीं मिल सका। ऐसे में वर्तमान परिस्थितियों को संज्ञान में रखते हुए संघ ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश से त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन की आगामी 2 मई को प्रस्तावित मतगणना को स्थगित किए जाने की मांग की है।

संघ ने स्पष्ट किया है कि जिन परिस्थितियों में मतदान संपन्न हुए हैं, मतदान में कोविड-19 का पालन न होने से हजारों शिक्षक और कर्मचारी संक्रमित हुए। यहां तक कि बाद में भारी संख्या में शिक्षकों एवं कर्मचारियों की मृत्यु भी हो गई। कोरोना संक्रमण की भयावह स्थिति में मतगणना कराया जाना उचित नहीं है।
 

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