छेड़छाड़ के बाद दो समुदायों में हिंसा
अखिलेश जी,
बंद कीजिए पार्टी की कुत्ताघसीटी और जाकर हिंसा रोकिए। लोग मर रहे हैं। यूपी के बिजनौर में सांप्रदायिक हिंसा में आज चार लोगों की मौत हो गई।
मायावती के पाँच साल के शासन में सांप्रदायिक हिंसा में कुल मिलाकर चार लोगों की मौत हुई थी। सरकार जब नहीं चाहती , तो दंगा नहीं होता।
सरकारें आती जाती रहती हैं। आदमी की ज़िंदगी सबसे क़ीमती है। सपा के तमाम नेताओं को अपनी कुत्ताघसीटी बंद करके दंगा रोकने में जुटना चाहिए।
मुख्यमंत्री को बिजनौर का दौरा करना चाहिए।
बिजनौर सांप्रदायिक हिंसा में चार लोगों की हत्या के लिए अखिलेश सरकार जिम्मेदार- रिहाई मंच
मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई न कर सपा सरकार ने बढ़ाया सांप्रदायिक तत्वों का मनोबललखनऊ 16 सितम्बर 2016। रिहाई मंच ने बिजनौर के कोतवाली क्षेत्र के अन्तर्गत ग्राम पैंदा में हुई मुस्लिम लड़की के साथ छेड़-छाड़ के बाद सांप्रदायिक हिंसा में चार लोगोें की हत्या के लिए अखिलेश सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए दोषियों कि खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि बिजनौर के पैंदा ग्राम में दसवीं की मुस्लिम छात्रा के साथ गांव के संसार सिंह के परिवार के लड़कों द्वारा छेड़खानी की गई। जब छात्रा के परिजन शिकायत के लिए वे संसार सिंह के घर गए तो संसार सिंह के नेतृत्व में जाट समुदाय के लोगों ने जिस तरीके से पीड़ित छात्रा के परिजनों पर हमला करते हुए मुस्लिमों समुदाय के घरों पर हमला बोला उसने एक बार फिर मुजफ्फरनगर दोहराने की कोशिश की। सांप्रदायिक हिंसा में एक ही परिवार से सरफराज, अनीसुद्दीन, एहसान समेत एक महिला की गोली मारकर सांप्रदायिक तत्वों ने हत्या कर दी। मंच महासचिव ने कहा कि लूट की बंदरबाट के लिए मुलायम सिंह का परिवार आपस में नूरा कुश्ती कर रहा है और उत्तम प्रदेश के नारे देने वाले अखिलेश यादव की सरकार में दिन दहाड़े जनसंहारों का जो सिलसिला चल रहा है उसने साफ कर दिया कि सरकार चलाना अखिलेश के बस का नहीं हैं। मुजफ्फरनगर में जब बच्चे कैंपों में ठंड से मर रहे थे तो यह यादव परिवार सैफई में नाच-गाने में मस्त था और आज जब यूपी सपा सरकार में 5000 से अधिक सांप्रदायिक तनाव और महिला और दलित उत्पीड़न में देश में नंबर वन पर है लेकिन इस परिवार के एजेण्डे में यादव सिंह जैसे भ्रष्टाचारी को बचाना ही हैं। राजीव यादव ने कहा कि अगर अखिलेश और शिवपाल में इतना अंर्तविरोध हैं तो क्यों नहीं मुख्यमंत्री मथुरा कांड की सीबीआई जांच करवा देते।
मानवाधिकार कार्यकर्ता अधिवक्ता असद हयात ने कहा कि बिजनौर में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटना ने फिर साबित कर दिया है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था समाप्त हो चुकी है और पूरी तरह से सांप्रदायिक तत्व हावी हो गए है। सरकार ने मुजफ्फरनगर कांड से सबक लिया होता और सांप्रदायिक तत्वों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की होती तो आज बिजनौर में उनके हौसले बुलंद न हुए होते। यह एक साधारण घटना नहीं थी बल्कि साजिश रचकर पुलिस के सहयोग से कारित की गई है।
घटना पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले की है, जहां स्कूल जा रही एक लड़की से छेड़छाड़ के बाद हिंसा भड़क गई।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में छेड़छाड़ के बाद दो समुदायों में सांप्रदायिक बवाल हो गया। छेड़छाड़ से भड़के लोगों ने आरोपी पक्ष पर फायरिंग कर दी जिसमें मुस्लिम समुदाय के चार लोगों की मौत हो गई, वहीं दर्जन भर घायल भी हुए हैं।
घायलों में से पांच की हालत गंभीर है और उन्हें मेरठ ले जाया गया है।
पुलिस के अनुसार, घटना नजीबाबाद मार्ग पर स्थित पेदा गांव की है, जहां शुक्रवार सुबह स्कूली छात्रा के साथ छेड़छाड़ की घटना के बाद दो समुदायों में मारपीट हुई। इसके बाद से ही वहां तनाव फैल गया और धीरे-धीरे हिंसक रूप ले लिया। शुरुआत में दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर पत्थर फेंके, मगर बाद में गोलीबारी शुरू हो गई। एक समुदाय की ओर से की गई गोलीबारी में उसी गांव के निवासी अहसान, सरताज, अनीस की मौके पर ही मौत हो गई, वहीं एक अन्य महिला की भी मौत हुई है। मरने वालों में दो सगे भाई हैं।
घटना में करीब एक दर्जन लोग घायल हुए हैं, जिन्हें बेहतर इलाज के लिए मेरठ भेजा गया है। फायरिंग के बाद से ही आरोपी फरार हो गए। हत्या के बाद भड़के लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया। गुस्साए लोगों ने मृतकों के शव नेशनल हाइवे पर रखकर हंगामा शुरू कर दिया। आक्रोशित लोगों ने नेशनल हाइवे पर जाम तक लगा दिया। मामला दो संप्रदायों से जुड़ा होने के कारण पुलिस के उच्च अधिकारी भारी बल के साथ गांव में मौजूद हैं।
Image: NDTV
Report: Jansatta