मंगलवार को भारत बंद के दौरान जहां उत्तर प्रदेश के हाइवे किसानों के कब्जे में रहे वहीं 15 लाख बिजली कर्मचारियों व इंजीनियरों ने किसानों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया और कृषि कानूनों और इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) बिल की वापसी की मांग की। ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कहा कि देशभर में सभी प्रांतों में बिजली कर्मचारियों ने भोजनावकाश के दौरान प्रदर्शन कर किसानों के साथ अपनी एकजुटता का प्रदर्शन किया।

बता दें कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल का ड्राफ्ट जारी होते ही बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने इसका विरोध किया था। बिल में इस बात का प्रावधान है कि किसानों को बिजली टैरिफ में मिल रही सब्सिडी समाप्त कर दी जाए और बिजली की लागत से कम मूल्य पर किसानों सहित किसी भी उपभोक्ता को बिजली न दी जाए। हालांकि बिल में इस बात का प्रावधान किया गया है कि सरकार चाहे तो डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए किसानों को सब्सिडी दे सकती है किंतु इसके पहले किसानों को बिजली बिल का पूरा भुगतान करना पड़ेगा जो सभी किसानों के लिए संभव नहीं होगा।
खास है कि किसान आंदोलन में भी कृषि कानूनों की वापसी के साथ किसानों की यह एक प्रमुख मांग है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल वापस लिया जाए। किसानों का मानना है कि यह बिजली निजीकरण की योजना है जिससे बिजली निजी घरानों के पास चली जाएगी। निजी क्षेत्र मुनाफे के लिए काम करते हैं जिससे बिजली की दरें किसानों की पहुंच से दूर हो जाएंगी।
उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों ने इसी को लेकर राजधानी लखनऊ में शक्तिभवन सहित मेरठ, नोएडा, गाजियाबाद, सहारनपुर, मुरादाबाद, बुलन्दशहर, गोरखपुर, आजमगढ़, अनपरा, ओबरा, वाराणसी, प्रयागराज, मिर्जापुर, कानपुर, झांसी, बरेली, बांदा, आगरा, अलीगढ़, पनकी, पारीछा, हरदुआगंज, बस्ती, अयोध्या, देवीपाटन, पिपरी आदि सभी जनपदों और परियोजनाओं पर प्रदर्शन कर किसानों का समर्थन किया।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति पदाधिकारियों शैलेंद्र दुबे, प्रभात सिंह, एएन सिंह, जय प्रकाश, गिरीश पाण्डेय, सदरुद्दीन राना, सुहेल आबिद, राजेन्द्र घिल्डियाल आदि के अनुसार, 8 दिसंबर को प्रदेश भर में सभी बिजली कर्मचारियों ने भोजनावकाश के दौरान प्रदर्शन कर किसानों के साथ अपनी एकजुटता का प्रदर्शन किया। राजधानी लखनऊ में शक्ति भवन मुख्यालय पर विरोध सभा मे सैकड़ों बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर और अभियन्ता सम्मिलित हुए।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के सहारनपुर ज़िला संयोजक व एसडीओ प्रदीप कुमार के अनुसार,
कहा कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के ड्राफ्ट में इस बात का प्रावधान है कि किसानों को बिजली टैरिफ में मिल रही सब्सिडी समाप्त कर दी जाए और बिजली की लागत से कम मूल्य पर किसानों सहित किसी भी उपभोक्ता को बिजली न दी जाए।
समिति पदाधिकारियों के अनुसार, इस सवाल पर वह किसान आंदोलन का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की आशंका निराधार नहीं है। इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020, बिजली के निजीकरण के उद्देश्य से लाया गया है। ऐसे में सब्सिडी समाप्त हो जाने पर बिजली की दरें 10 से 12 रुपये प्रति यूनिट हो जाएंगी और किसानों को 8 से 10 हजार प्रति माह का न्यूनतम भुगतान करना पड़ेगा।

बता दें कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल का ड्राफ्ट जारी होते ही बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने इसका विरोध किया था। बिल में इस बात का प्रावधान है कि किसानों को बिजली टैरिफ में मिल रही सब्सिडी समाप्त कर दी जाए और बिजली की लागत से कम मूल्य पर किसानों सहित किसी भी उपभोक्ता को बिजली न दी जाए। हालांकि बिल में इस बात का प्रावधान किया गया है कि सरकार चाहे तो डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए किसानों को सब्सिडी दे सकती है किंतु इसके पहले किसानों को बिजली बिल का पूरा भुगतान करना पड़ेगा जो सभी किसानों के लिए संभव नहीं होगा।
खास है कि किसान आंदोलन में भी कृषि कानूनों की वापसी के साथ किसानों की यह एक प्रमुख मांग है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल वापस लिया जाए। किसानों का मानना है कि यह बिजली निजीकरण की योजना है जिससे बिजली निजी घरानों के पास चली जाएगी। निजी क्षेत्र मुनाफे के लिए काम करते हैं जिससे बिजली की दरें किसानों की पहुंच से दूर हो जाएंगी।
उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों ने इसी को लेकर राजधानी लखनऊ में शक्तिभवन सहित मेरठ, नोएडा, गाजियाबाद, सहारनपुर, मुरादाबाद, बुलन्दशहर, गोरखपुर, आजमगढ़, अनपरा, ओबरा, वाराणसी, प्रयागराज, मिर्जापुर, कानपुर, झांसी, बरेली, बांदा, आगरा, अलीगढ़, पनकी, पारीछा, हरदुआगंज, बस्ती, अयोध्या, देवीपाटन, पिपरी आदि सभी जनपदों और परियोजनाओं पर प्रदर्शन कर किसानों का समर्थन किया।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति पदाधिकारियों शैलेंद्र दुबे, प्रभात सिंह, एएन सिंह, जय प्रकाश, गिरीश पाण्डेय, सदरुद्दीन राना, सुहेल आबिद, राजेन्द्र घिल्डियाल आदि के अनुसार, 8 दिसंबर को प्रदेश भर में सभी बिजली कर्मचारियों ने भोजनावकाश के दौरान प्रदर्शन कर किसानों के साथ अपनी एकजुटता का प्रदर्शन किया। राजधानी लखनऊ में शक्ति भवन मुख्यालय पर विरोध सभा मे सैकड़ों बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर और अभियन्ता सम्मिलित हुए।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के सहारनपुर ज़िला संयोजक व एसडीओ प्रदीप कुमार के अनुसार,
कहा कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के ड्राफ्ट में इस बात का प्रावधान है कि किसानों को बिजली टैरिफ में मिल रही सब्सिडी समाप्त कर दी जाए और बिजली की लागत से कम मूल्य पर किसानों सहित किसी भी उपभोक्ता को बिजली न दी जाए।
समिति पदाधिकारियों के अनुसार, इस सवाल पर वह किसान आंदोलन का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की आशंका निराधार नहीं है। इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020, बिजली के निजीकरण के उद्देश्य से लाया गया है। ऐसे में सब्सिडी समाप्त हो जाने पर बिजली की दरें 10 से 12 रुपये प्रति यूनिट हो जाएंगी और किसानों को 8 से 10 हजार प्रति माह का न्यूनतम भुगतान करना पड़ेगा।