मुस्लिम नेताओं की तेलंगाना सरकार से अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति जल्द जारी करने की मांग

Written by sabrang india | Published on: September 3, 2025
इस पत्र में बताया गया है कि पिछले तीन वर्षों से तेलंगाना के कई मुस्लिम छात्रों को उनकी छात्रवृत्ति की राशि नहीं मिली है, जिससे हजारों छात्र, जो उच्च शिक्षा के लिए सरकार की मदद पर काफी ज्यादा निर्भर हैं, बेहद गंभीर स्थिति में पहुंच गए हैं।


प्रतीकात्मक तस्वीर ; साभार : एचटी

धार्मिक विद्वानों, समाज के नेताओं और विभिन्न मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों के एक समूह ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति के वितरण में देरी को लेकर गहरी चिंता और पीड़ा व्यक्त की। यह छात्रवृत्ति ट्यूशन फीस प्रतिपूर्ति (Reimbursement of Tuition Fee -RTF) योजना के तहत दी जाती है और इसकी देरी के कारण अल्पसंख्यक छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए जरूरी समर्थन से वंचित होना पड़ा है, जिससे उन्हें भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

इस पत्र में बताया गया है कि पिछले तीन वर्षों से तेलंगाना के कई मुस्लिम छात्रों को उनकी छात्रवृत्ति की राशि नहीं मिली है, जिससे हजारों छात्र, जो उच्च शिक्षा के लिए सरकार की मदद पर काफी ज्यादा निर्भर हैं, बेहद गंभीर स्थिति में पहुंच गए हैं।

पत्र में कहा गया है कि कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा-पत्र में वादा किया था कि वे पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति की राशि बढ़ाएंगे, सत्ता में आने के बाद तुरंत RTF योजना के तहत बकाया राशि का भुगतान करेंगे और अब्दुल कलाम तौफा-ए-तालीम योजना शुरू करेंगे जिसके तहत मुस्लिम, ईसाई, सिख और अन्य अल्पसंख्यक युवाओं को एम.फिल. और पीएच.डी. पूरी करने पर 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।

पत्र में यह भी कहा गया कि कांग्रेस ने पोस्ट-ग्रेजुएशन के लिए 1 लाख रुपये, ग्रेजुएशन के लिए 25,000 रुपये, इंटरमीडिएट के लिए 15,000 रुपये और 10वीं पास करने वाले छात्रों के लिए 10,000 रुपये देने का वादा किया है।

समूह ने आरोप लगाया, “दुर्भाग्यवश, इनमें से किसी भी वादों को पूरा नहीं किया गया, नियमित रूप से आवंटित बजट का इस्तेमाल नहीं किया गया और अल्पसंख्यक छात्रों को नजरअंदाज किया गया तथा उन्हें अंधेरे में छोड़ दिया गया।”

तेलंगाना के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से RTI के तहत प्राप्त हुई सूचना के अनुसार वर्ष 2024-25 में RTF योजना के तहत 300 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे लेकिन जनवरी 2025 तक केवल 41.86 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए थे। इसी तरह, वर्ष 2023-24 में जारी किए गए 236 करोड़ रुपये में से केवल 120.30 करोड़ रुपये का इस्तेमाल हुआ।

पत्र में कहा गया कि ये आंकड़े बजट आवंटन और वास्तविक खर्च के बीच भारी अंतर को दर्शाते हैं, जो “प्रणालीगत कमियों” को उजागर करता है।

शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में 1.21 लाख छात्रों ने छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया लेकिन अभी तक एक भी आवेदन को मंजूरी नहीं मिली है। वहीं, 2023-24 में 1.54 लाख आवेदनों में से केवल 40 को ही मंजूरी दी गई। 2021-22 में 1.63 लाख आवेदनों में से मात्र 7,927 को मंजूरी मिली, जिसे समूह ने “चिंताजनक” बताया है।

पत्र में कहा गया कि ये आंकड़े "तेलंगाना में अल्पसंख्यक छात्रों की शैक्षिक इच्छाओं के प्रति लापरवाही और उदासीनता की एक गंभीर तस्वीर पेश करते हैं।"

"बल्कि संस्थागत स्तर पर भी" जहां लगातार हो रही उपेक्षा "केवल इन छात्रों के शैक्षिक अवसरों को ही नहीं, बल्कि हमारे समुदाय के भविष्य को भी खतरे में डालती है।"

पत्र में यह भी कहा गया कि जबकि सरकार "उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने और विभिन्न विश्वविद्यालय स्थापित करने" का दावा करती है, अल्पसंख्यक छात्रों के वैध शैक्षिक अधिकारों की लगातार अनदेखी इन दावों के खिलाफ है।

इसमें कहा गया है कि हालांकि सरकार "उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने और विभिन्न विश्वविद्यालयों की स्थापना करने" का दावा करती है लेकिन अल्पसंख्यक छात्रों के वैध शैक्षिक अधिकारों के प्रति जारी उपेक्षा इन दावों का खंडन करती है।

इस पत्र में इस गंभीर मुद्दे को हल करने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग की गई तथा सरकार से आग्रह किया गया कि वह “लंबित पोस्ट-मेट्रिक छात्रवृत्ति फंड को तुरंत जारी करने और उसका निपटान करने का आदेश जारी करे।”

इसमें एक व्यवस्थित अनुमोदन प्रक्रिया का आह्वान किया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी पात्र छात्रों को सहायता मिले और जहां लागू हो, वहां "अस्वीकृति के कारण भी बताए जाएं"। पत्र में "छात्रवृत्ति प्रक्रिया को और ज्यादा पारदर्शी बनाने" और कॉलेजों द्वारा छात्रों के मूल शैक्षिक प्रमाणपत्रों को रोके रखने जैसे मुद्दों के समाधान के लिए एक शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया।

इसके अलावा, इसने छात्रों के मुद्दों को हल करने के लिए समाज के नेताओं, गैर सरकारी संगठनों, छात्र संगठन के प्रतिनिधियों, जिला कलेक्टरों, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों और अन्य सरकारी एजेंसियों को शामिल करते हुए “छात्रवृत्ति योजना के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए राज्य और जिला स्तरीय समितियों” के गठन की मांग की।

पत्र में राज्य में युवाओं और कांग्रेस सरकार में उम्मीद की बहाली के लिए इस मामले पर तत्काल ध्यान देने का अनुरोध किया गया है जो अल्पसंख्यक समुदाय के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के प्रति प्रतिबद्धता का दावा करते हैं।

इस पत्र पर कई बड़े नेताओं ने हस्ताक्षर किए। इनमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी; तेलंगाना और एपी के अमीर ए शरीयत मौलाना शाह जमाल-उर रहमान मिफ्ताही; जेआईएच तेलंगाना के अध्यक्ष डॉ. एम खालिद मुबाशिर उज़ ज़फर; टीजी और एपी के मिल्लत-ए-इस्लामिया के अमीर मौलाना हुसामुद्दीन सानी जाफर पाशा; जमीयत ए उलमा टीजी एंड एपी के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती गयासुद्दीन रहमानी; एसआईओ तेलंगाना के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद फ़राज़ अहमद; सफ़ा बैत उल माल के अध्यक्ष मौलाना गयास अहमद रशादी; ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल तेलंगाना के महासचिव मुफ्ती उमर आबिदीन कासमी मदनी; जमीयत-ए-अहले हदीस हैदराबाद के अमीर मौलाना शफीक आलम जमाई; यूनाइटेड मुस्लिम फोरम टीएस के अध्यक्ष मुफ्ती सादिक मोहिउद्दीन फहीम निजामी; फैनज़ीम ए जाफरी के अध्यक्ष मौलाना सैयद तकी रजा आबदी; और कुरान अकादमी के अध्यक्ष डॉ. सैयद रिजवान पाशा क़ादरी शामिल हैं।

मजलिस बचाओ तहरीक (एमबीटी) के प्रवक्ता अमजद उल्लाह खान ने कहा, "यह उपेक्षा नहीं, बल्कि छात्रों के भविष्य का त्याग है।" उन्होंने जोर देकर कहा, "यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि हजारों टूटे हुए सपने हैं। जवाबदेही कहां है?"

नरेंद्र मोदी सरकार पर अल्पसंख्यक छात्रवृत्तियों को निशाना बनाने के लिए बजट में कटौती करने और विशिष्ट योजनाओं को बंद करने का आरोप लगाया गया है, जिससे चिंताएं और बहस छिड़ गई है।

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