मेयर के बेटे संघमित्र जब मोदी सरकार की नाकामियां गिना रहे थे, तब मंच पर एमपी के मुख्यमंत्री मोहन यादव, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, मंत्री तुलसी सिलावट, सांसद शंकर केसवानी, स्थानीय बीजेपी विधायक और खुद महापौर पुष्यमित्र मौजूद थे। भाजपा के नेता मेयर पुष्यमित्र भार्गव 2022 के इंदौर महापौर चुनाव में संजय शुक्ला के खिलाफ जीत हासिल करने के बाद वे वर्तमान में इंदौर के 24वें महापौर के रूप में कार्यरत हैं।

मध्य प्रदेश के इंदौर नगर निगम के मेयर पुष्यमित्र भार्गव के बेटे संघमित्र भार्गव का एक भाषण सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार की खुलकर आलोचना की। यह भाषण एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान दिया गया, जहां मंच पर खुद मुख्यमंत्री मोहन यादव, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, मंत्री तुलसी सिलावट, सांसद शंकर केसवानी, स्थानीय भाजपा विधायक और स्वयं मेयर पुष्यमित्र भार्गव भी उपस्थित थे।
संघमित्र के तीखे लेकिन आत्मविश्वास से भरे वक्तव्य ने न केवल दर्शकों को चौंकाया बल्कि मंच पर बैठे बीजेपी नेताओं को भी असहज कर दिया। हालांकि सभी नेताओं ने मुस्कुराते हुए पूरा भाषण सुना और किसी ने सार्वजनिक रूप से विरोध नहीं जताया।
कार्यक्रम के दौरान ऑडिटोरियम में मौजूद श्रोताओं ने संघमित्र के साहसिक शब्दों पर जमकर तालियां बजाईं। अब यह भाषण राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।
इंदौर नगर निगम के मेयर पुष्यमित्र भार्गव के बेटे संघमित्र भार्गव का एक साहसिक भाषण इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में आयोजित स्व. निर्भय सिंह पटेल स्मृति वाद-विवाद प्रतियोगिता में विजेता बनने के बाद संघमित्र को मंच पर सम्मानित किया गया, जहां उनसे एक संक्षिप्त भाषण देने को कहा गया।
माइक संभालते ही संघमित्र ने अपने भाषण की शुरुआत केंद्र सरकार की वादाखिलाफी पर तीखे सवालों से की।
बुलेट ट्रेन सिर्फ पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन तक ही सीमित
अपने भाषण में संघमित्र ने केंद्र सरकार की परिवहन नीतियों पर निशाना साधते हुए कहा, “ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट का आलम यह है कि हर साल 50 लाख से ज्यादा लोग टिकट लेकर भी यात्रा नहीं कर पाते। वादा किया गया था कि 2022 तक अहमदाबाद से मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन दौड़ेगी, लेकिन 2025 आ गया है और वह ट्रेन अब भी सिर्फ पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन तक ही सीमित है।”
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि इस परियोजना में “जमीन अधिग्रहण के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, घोटाले हुए, लेकिन आज तक बुलेट ट्रेन धरातल पर नहीं उतर पाई।”
10 सालों में 20,000 से ज्यादा लोग रेल दुर्घटनाओं में जान गंवा चुके
अपने भाषण में संघमित्र ने रेलवे सुरक्षा को लेकर सरकार के दावों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “सरकार दावा करती है कि ‘कवच’ तकनीक से रेल हादसे रुकेंगे, लेकिन पिछले 10 सालों में 20,000 से ज्यादा लोग रेल दुर्घटनाओं में जान गंवा चुके हैं। जब रेल पटरी से उतरती है, तो सिर्फ डिब्बे नहीं टूटते बल्कि एक मां की गोद सूनी हो जाती है, किसी बच्चे का भविष्य अंधेरे में डूब जाता है और किसी बूढ़े पिता की आखिरी उम्मीद भी छिन जाती है।”
400 रेलवे स्टेशनों के बजाय अब तक केवल20 ही तैयार
अपने भाषण में स्कूली छात्र संघमित्र ने स्टेशन पुनर्विकास परियोजना और रेलवे के निजीकरण को लेकर भी केंद्र सरकार पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा,“सरकार ने कहा था कि देश के 400 रेलवे स्टेशनों को एयरपोर्ट जैसा बनाया जाएगा, लेकिन अब तक केवल 20 स्टेशन ही तैयार हो पाए हैं और वहां भी यात्रियों की शिकायतें बरकरार हैं। बोर्ड तो चमकते हैं, लेकिन पीने का पानी महंगा है और भीड़ वैसी ही बनी हुई है।”
80% परियोजनाएं अधूरी
संघमित्र ने अपनी बात को तथ्यों के साथ आगे बढ़ाते हुए कहा कि “भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, स्टेशन निर्माण के लिए स्वीकृत 1.25 लाख करोड़ रुपये में से 80% परियोजनाएं अधूरी हैं। सुरक्षा मद के 78% बजट को दूसरी योजनाओं में डायवर्ट कर दिया गया।”
दलाल का साथ, निजीकरण का विकास और जनता का विनाश
छात्र ने रेलवे में पारदर्शिता की कमी पर भी सवाल उठाए और इकोनॉमिक टाइम्स की 2020 की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, “300 करोड़ रुपये की कैटरिंग एक ही कंपनी को दे दी गई। सरकार कहती है 'सबका साथ, सबका विकास' लेकिन रेलवे में हो रहा है दलाल का साथ, निजीकरण का विकास और जनता का विनाश।”
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संघमित्र के तीखे लेकिन आत्मविश्वास से भरे वक्तव्य ने न केवल दर्शकों को चौंकाया बल्कि मंच पर बैठे बीजेपी नेताओं को भी असहज कर दिया। हालांकि सभी नेताओं ने मुस्कुराते हुए पूरा भाषण सुना और किसी ने सार्वजनिक रूप से विरोध नहीं जताया।
कार्यक्रम के दौरान ऑडिटोरियम में मौजूद श्रोताओं ने संघमित्र के साहसिक शब्दों पर जमकर तालियां बजाईं। अब यह भाषण राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।
इंदौर नगर निगम के मेयर पुष्यमित्र भार्गव के बेटे संघमित्र भार्गव का एक साहसिक भाषण इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में आयोजित स्व. निर्भय सिंह पटेल स्मृति वाद-विवाद प्रतियोगिता में विजेता बनने के बाद संघमित्र को मंच पर सम्मानित किया गया, जहां उनसे एक संक्षिप्त भाषण देने को कहा गया।
माइक संभालते ही संघमित्र ने अपने भाषण की शुरुआत केंद्र सरकार की वादाखिलाफी पर तीखे सवालों से की।
बुलेट ट्रेन सिर्फ पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन तक ही सीमित
अपने भाषण में संघमित्र ने केंद्र सरकार की परिवहन नीतियों पर निशाना साधते हुए कहा, “ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट का आलम यह है कि हर साल 50 लाख से ज्यादा लोग टिकट लेकर भी यात्रा नहीं कर पाते। वादा किया गया था कि 2022 तक अहमदाबाद से मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन दौड़ेगी, लेकिन 2025 आ गया है और वह ट्रेन अब भी सिर्फ पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन तक ही सीमित है।”
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि इस परियोजना में “जमीन अधिग्रहण के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, घोटाले हुए, लेकिन आज तक बुलेट ट्रेन धरातल पर नहीं उतर पाई।”
10 सालों में 20,000 से ज्यादा लोग रेल दुर्घटनाओं में जान गंवा चुके
अपने भाषण में संघमित्र ने रेलवे सुरक्षा को लेकर सरकार के दावों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “सरकार दावा करती है कि ‘कवच’ तकनीक से रेल हादसे रुकेंगे, लेकिन पिछले 10 सालों में 20,000 से ज्यादा लोग रेल दुर्घटनाओं में जान गंवा चुके हैं। जब रेल पटरी से उतरती है, तो सिर्फ डिब्बे नहीं टूटते बल्कि एक मां की गोद सूनी हो जाती है, किसी बच्चे का भविष्य अंधेरे में डूब जाता है और किसी बूढ़े पिता की आखिरी उम्मीद भी छिन जाती है।”
400 रेलवे स्टेशनों के बजाय अब तक केवल20 ही तैयार
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80% परियोजनाएं अधूरी
संघमित्र ने अपनी बात को तथ्यों के साथ आगे बढ़ाते हुए कहा कि “भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, स्टेशन निर्माण के लिए स्वीकृत 1.25 लाख करोड़ रुपये में से 80% परियोजनाएं अधूरी हैं। सुरक्षा मद के 78% बजट को दूसरी योजनाओं में डायवर्ट कर दिया गया।”
दलाल का साथ, निजीकरण का विकास और जनता का विनाश
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