संयुक्त मोर्चा से जुड़े किसान कल 11 दिसंबर को एक बार फिर दिल्ली बॉर्डर पर जुटेंगे और शहीद किसानों को श्रद्धांजलि देंगे। संयुक्त मोर्चा ने दिल्ली बॉर्डर और लखीमपुर खीरी पर चले आंदोलन में शहीद किसानों को सम्मानित करने का फैसला किया है। किसान आंदोलन के 2 साल पूरे होने पर 14 नवंबर को संयुक्त मोर्चा की दिल्ली में बैठक और 26 नवंबर को देश भर में राजभवनों तक विरोध मार्च के बाद, सरकार को चेताने का यह तीसरा बड़ा कदम है। इसी सब से दिल्ली बॉर्डर पर हजारों किसानों की उपस्थिति होना एक बार फिर से सरकार की मुसीबत बढ़ा सकती हैं।
किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल और अभिमन्यु कोहर के अनुसार, 11 दिसंबर को बड़ी संख्या में किसान सिंघू बॉर्डर के पास इकट्ठा होंगे और ‘शहादत कार्यक्रम’ करेंगे‘। इस मौके पर दिल्ली बॉर्डर और लखीमपुर के शहीद किसानों के परिवारों को आमंत्रित किया जाएगा। किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा कि किसान मोर्चा के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक द्वारा इसका आयोजन किया गया है।
11 दिसंबर को सुबह 11.30 बजे सिंघू बॉर्डर पर पाठ के बाद मोर्चे के शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। उसके बाद राष्ट्रपति को उन मांगों को लेकर मांग पत्र दिया जाएगा, जिसके लिए इन वीरों ने शहादत दी। दल्लेवाल ने सभी से अपील की कि हर घर से कम से कम एक व्यक्ति इस कार्यक्रम में जरूर शामिल हो।
11 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर पर पक्का मोर्चा लगाने के सवाल पर दल्लेवाल ने कहा कि हमारा कार्यक्रम सिर्फ वहां शहीदी समारोह आयोजित करने का है। जिसके जरिए हम अपना मांगपत्र सरकार को सौपेंगे। अगर मांगपत्र लेने में सरकार ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई, तो मजबूरी में कोई भी फैसला लेना पड़ सकता है। जरूरत पड़ने पर दिल्ली में पैदल मार्च भी निकालेंगे।
मशाल जुलूस के साथ किसान पहुंचेंगे टिकरी बॉर्डर
आंदोलन के साल भर बाद 10 दिसंबर को टिकरी बॉर्डर से सटे बहादुरगढ़ में हरियाणा-पंजाब और राजस्थान के किसान इकठ्ठा होंगे और यहां से पैदल मार्च कर टिकरी बॉर्डर के धरना स्थल तक मशाल यात्रा लेकर जाएंगे। जहां नए आंदोलन का बिगुल बजाएंगे। किसान नेता विकास सीसर ने बताया कि इस बार किसानों की मांग एमएसपी गारंटी कानून और कर्जा माफी की है। खास है कि 11 दिसंबर से किसानों ने दिल्ली बॉर्डर को छोड़ अपने घर और खेतों में वापसी शुरू कर दी थी। किसानों की घर वापसी का साल भी पूरा हो रहा है।
आयोजन को लेकर भारतीय किसान नौजवान यूनियन के सदस्य व पदाधिकारी गांव-गांव जाकर किसानों को निमंत्रण दे रहे हैं। भारतीय किसान नौजवान यूनियन के अध्यक्ष अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि पंजाब व हरियाणा के किसान काफी संख्या में 11 दिसंबर को कुंडली बॉर्डर पर जुटेंगे, ताकि वहां उन किसानों को श्रद्धासुमन अर्पित किए जा सकें, जिन्होंने किसान आंदोलन के दौरान अपने प्राण गवांए थे। इसके साथ ही वहीं पर आगामी रणनीति तैयार की जाएगी। कहा कि सरकार ने कृषि कानून वापस लिए, लेकिन अन्य मांगों को पूरा करवाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की। कहा वे आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमें रद्द करने और अन्य मांगों के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी की मांग करेंगे।
उधर, किसान नेता लखविंदर सिंह सिरसा के अनुसार, हरियाणा और पंजाब के करीब 30 संगठनों ने सरकार के अधूरे वादों को लेकर इसकी रणनीति तैयार की है। उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज केस अभी तक रद्द नहीं हुए हैं, बार बार किसानों को समन भेजा जा रहा है। अभी तक एमएसपी कानून को लेकर भी सरकार ने स्थिति साफ नहीं की है। इन्हीं मांगों को लेकर 11 दिसंबर को रणनीति तैयार की जाएगी।