हारते माणिक सरकार के लिए बीजेपी को क्यों करनी पड़ी EVM की शिकायत?

Written by गिरीश मालवीय | Published on: March 5, 2018
यह ख़बर आपको कहीं नहीं मिलेगी इस तरह की खबरे दबाने के लिए ही मीडिया को खरीद कर काम पर लगाया जाता है , पोस्ट लम्बी तो है पर महत्वपूर्ण है इसलिए बहुत ध्यान से पढियेगा.


क्या आप जानते है कि त्रिपुरा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार का बयान आया था कि काउंटिंग में फर्जीवाड़ा करने की कोशिश हुई है ? दरअसल माणिक राजधानी अगरतला से 63 किलोमीटर दूर पड़ने वाली धनपुर विधानसभा से चुनाव लड़ रहे थे. ओर वह उस सीट से 1998 से ही लगातार जीतते हुए आ रहे थे.

हुआ कुछ यूं था कि काउंटिंग के वक्त एक समय ये स्थिति आ गयी थी कि टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज चलने लगी कि माणिक सरकार 2000 वोटों से पीछे चल रहे हैं. उस वक्त लगा था मानिक सरकार भी हारेंगे.

जैसे ही काउंटिंग की शुरु हुई माणिक सरकार बीजेपी उम्मीदवार से पीछे ही चल रहे थे. यह हैरान करने वाली बात थी. बताया जा रहा है 4 राउंड की काउंटिंग तक सरकार पीछे रहे वहीँ उसके बाद बीजेपी ने शिकायत की कि ईवीएम मशीन पर पोलिंग एजेंट के हस्ताक्षर नहीं हैं.

यानी अपने उम्मीदवार के आगे होने के बावजूद बीजेपी यह शिकायत करने लगी कि एक विशिष्ट जगह की ईवीएम में पोलिंग एजेंट के हस्ताक्षर नही है नहीं हैं. तुंरन्त चुनाव आयोग ने उसके बाद काउंटिंग बंद करवा दी.

इसके बाद माणिक सरकार ने खुद सामने आकर बयान दिया कि बीजेपी माहौल खराब मतगणना को प्रभावित कर रही है.............सीपीएम द्वारा आयोग में इसकी शिकायत करने पर देर शाम रीकाउंटिंग हुई, जिसमें माणिक सरकार 5142 वोटों से जीत गये.......वो भी पूरे परिणाम आने के बाद.

ये खबर आपको नेशनल मीडिया से गायब मिलेगी लेकिन यह सच है, लेकिन इस विषय मे ओर थोड़ी पड़ताल करने पर जो जानकारी मिलती है वह ओर भी ज्यादा चौकाती है

यह क्विंट की खबर है. तारीख 23 फरवरी है मतदान के पांच दिन बाद, इस पर विशेष ध्यान दीजिएगा.

खबर के अनुसार- 'अगरतला, 23 फरवरी (आईएएनएस)| निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को त्रिपुरा में छह मतदान केंद्रों पर फिर से मतदान कराने का मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को निर्देश दिया. इनमें से एक मतदान केंद्र धनपुर विधानसभा क्षेत्र में है, जहां से मुख्यमंत्री और माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य माणिक सरकार चुनाव लड़ रहे हैं.'

यानी क्या यही मतदान केंद्र था जिसकी ईवीएम मशीन की कॉउंटिंग बीजेपी नहीं होने देना चाहती थी? यह सवाल अनसुलझा ही रह जायेगा.

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त्रिपुरा निर्वाचन विभाग के एक अधिकारी ने भी माना कि ईसी ने सात विधानसभा क्षेत्रों में सात मतदान केंद्रों के वीवीपैट के संबंध में भी आदेश जारी किए हैं, क्योंकि संबंधित मतदान अधिकारी कथित रूप से वास्तविक मतदान शुरू होने से पूर्व अनिवार्य मॉक मतदान के दौरान ईवीएम कंट्रोल यूनिट से मत डाले जाने की पुष्टि नहीं पा सके थे.

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निर्वाचन आयोग ने भी यह स्वीकार किया था कि चार विधानसभा सीटों के चार मतदान केंद्रों में मतदाताओं की कुल संख्या और वहां हुए मतदान की संख्या अलग-अलग रही. अब इवीएम में गड़बड़ी की जाती हैं इसका इस से बड़ा और क्या सुबूत हो सकता है ?

चलिए ओर थोड़ा पीछे चलते हैं यह भी 21 फरवरी की खबर है और यह इसलिए बता रहा हूँ ताकि बीजेपी समर्थक यह न कह सके कि इवीएम में गड़बड़ी की बात चुनाव हारने पर ही की जाती है ...पढिए जरा.......

'वरिष्ठ माकपा नेता एवं माकपा के केंद्रीय सचिवालय के सदस्य नीलोत्पल बसु ने कल नयी दिल्ली में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ओम प्रकाश रावत से मुलाकात कर कहा कि मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र धानपुर तथा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बिप्लव कुमार देव के विधानसभा क्षेत्र बलरामपुर में ईवीएम और वीवीपैट में गड़बड़ी की शिकायत सबसे अधिक रही इसके अलावा ऐसी ही गड़बड़यिों की रिपोर्ट अनेक विधानसभा क्षेत्रों से भी आयी है।

चुनाव आयोग को सौंपे ज्ञापन में चुनाव में हेराफेरी तथा कई मतदान केंद्रों पर चुनाव उपकरणों तथा वीवीपैट का समुचित तरीके से काम नहीं करने का आरोप लगाया गया है। उनसठ विधानसभा क्षेत्रों के 3174 मतदान केंद्रों पर ईवीएम में तकनीकी खराबी आयी जिसमें 519 मतदान केंद्रों में स्थिति असामान्य रही।

ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया कि कुछ ईसीएल अभियंताओं ने राजनीतिक दल के प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति में चुनाव से एक दिन पहले रात में ही ईवीएम खोल दी। पानीसागर विधानसभा क्षेत्र में सभी ईवीएम के अलावा धर्मनगर के 12 और जुब्राजनगर के तीन ईवीएम खोली गयीं। उन्होंने कहा कि इससे संदेह उत्पन्न होता है क्योंकि निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में उम्मीदवारों के अनुरूप पूरी तरह से तैयार ईवीएम को खोलने का अधिकार किसी को नहीं है। यह भी रहस्य बना हुआ है कि अभियंताओं ने मशीन के साथ क्या किया होगा ?

माकपा द्वारा दिये इस ज्ञापन की खबर वार्ता न्यूज़ एजेंसी ने जारी की है. ईवीएम खोलने तक की बात एक राष्ट्रीय स्तर का राजनीतिक दल कर रहा है, लेकिन कोई हल्ला नही होता. किसी भी बड़े मीडिया हाउस ने इसे छापना तो दूर इस बारे में बात तक करना जरूरी नही समझा ?

यह है आपका मीडिया...... जिसे एक खास शैली में खबरे परोसने के लिए प्रक्षिक्षित किया जाता है सबसे पहले आपके दिमाग मे हर साल-छह महीने के पोल के नतीजे डाले जाते हैं. जिसमे सत्ताधारी दल को जीतता हुआ बताया जाता है, फिर चुनाव से पहले ही उसे भारी बहुमत से जीतता हुआ बताया जाता हैं, आधे से ज्यादा लोग तो यही नतमस्तक हो जाते हैं. फिर प्री पोल ओर एग्जिट पोल में भी उसे मीडिया जिता देता है और जिस दिन चुनाव नतीजे आते हैं उस दिन आप एंकर के चेहरे को ध्यान से देखिएगा कितना दबाव है उस पर.

अब लगभग वही परिणाम सामने आते हैं जो शुरू से दिखाए जा रहे थे, साथ ही संघ की मेहनत के इतने ढोल पीटे जाते हैं कि आपने यदि उसके विपक्ष में भी वोट दिया होता है तो भी अब आप आसानी से यकीन कर लेते हो ......आपको मूर्ख बनाने के लिए इतनी लम्बी प्लानिंग की जाती है कि आप उसकी थाह पा ही नही सकते, इस प्लानिंग में ईवीएम बस एक छोटी सी लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है, क्या अभी भी आपको कोई संदेह है ?

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