सीनियर वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील का सरकार के एडवाइजर ग्रुप से इस्तीफा

Written by Sabrangindia Staff | Published on: May 17, 2021
भारत के सार्स-कोविड जीनोम कंसोर्शियम (INSACOG) के वैज्ञानिक सलाहकार मंडल के चीफ डॉ. शाहिद जमील ने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को इस बारे में जानकारी दी है। सीनियर वायरोलॉजिस्ट डॉ. जमील ने कुछ दिन पहले एजेंसी से कहा था कि भारत में अधिकारी सेट पॉलिसी के तहत सबूतों की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं।


 
न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखे एक आर्टिकल में डॉ. जमील ने कहा था कि भारत में वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर पॉलिसी बनाने को लेकर अड़ियल रवैये का सामना कर रहे हैं। भारत के कोविड मैनेजमेंट में कई समस्याए हैं। इनमें कम टेस्टिंग, धीमी रफ्तार से वैक्सीनेशन और वैक्सीन की कमी शामिल है। इसके अलावा हेल्थकेयर वर्क फोर्स भी काफी ज्यादा चाहिए।

उन्होंने कहा था कि इन सभी उपायों को लेकर भारत में मेरे साथी वैज्ञानिकों का काफी समर्थन मिल रहा है, लेकिन उन्हें तथ्यों के आधार पर पॉलिसी बनाने को लेकर अड़ियल रवैये का सामना करना पड़ रहा है। 30 अप्रैल को 800 से ज्यादा भारतीय वैज्ञानिकों ने प्रधानमंत्री से अपील की थी कि उन्हें डाटा मुहैया कराया जाए, ताकि वो वायरस के बारे में अंदाजा लगाने और उसे रोकने के लिए स्टडी कर सकें। डाटा के आधार पर फैसला न लेना एक और आपदा है, क्योंकि भारत में महामारी नियंत्रण से बाहर हो गई है। हम जो जानें गंवा रहे हैं, वो कभी न मिटने वाला जख्म का निशान दे जाएगी।
 
रॉयटर्स ने एक रिपोर्ट में बताया था कि डॉ. जमील ने मार्च में ही चेतावनी दे दी थी कि भारत में नया और ज्यादा संक्रामक वायरस फैल रहा है। इस B.1.617 वैरिएंट की वजह से ही देश कोरोना की सबसे बुरी लहर से गुजर रहा है। जब न्यूज एजेंसी ने सवाल किया कि सरकार इन तथ्यों पर ज्यादा तेजी से काम क्यों नहीं कर रही है, इस पर डॉ. जमील ने कहा था कि हमें यह चिंता है कि अधिकारियों ने पॉलिसी सेट कर ली है और इसी के चलते वो सबूतों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

ध्यान देने योग्य है कि भारत में हर विशेषज्ञ का यही हाल है। सिर्फ गोबर और गोमूत्र एक्सपर्ट ही हैं जो अपनी जगह पर बने हैं। बाकी सबको जाना है। आपको उर्जित पटेल याद हैं? वे भी आरबीआई बोर्ड की अहम मीटिंग के पहले ही पद छोड़ दिए थे। 

उर्जित पटेल के बाद आरबीआई के डिप्टी गवर्नर पद से विरल आचार्य ने भी इस्तीफा दे दिया। उसी दौरान अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला ने प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद से इस्तीफा दे दिया। सुरजीत भल्ला नोटबंदी और अन्य आर्थिक फैसलों के समर्थक थे। नोटबंदी के समर्थक तो उर्जित भी थे। इन दोनों का इस पद से इस्तीफा देना ऐतिहासिक घटना थी। 

इसी तरह अरविंद सुब्रह्मण्यम ने भी मुख्य आर्थिक सलाहकार पद से इस्तीफा दे दिया था। अरविंद पनगढ़िया ने नीति अयोग के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। विरल आचार्य का इस्तीफा जून 2019 में हुआ था, उस समय तक मोदी सरकार में अहम पदों पर रहे आठ लोग इस्तीफा दे चुके थे। राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के भी दो सदस्यों ने सरकार के फर्जीवाड़े से तंग आकर इस्तीफा दे दिया था।

सरकार की ओर से नियुक्त इतनी संख्या में विशेषज्ञ अपना पद छोड़ें, यह इससे पहले कभी नहीं हुआ। हाल ही में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का बयान देखें तो वे भी सरकार के रवैये से हैरान हैं। 


 

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