2019 लोकसभा चुनाव से पहले असम में सांप्रदायिक विभाजन की नई प्रयोगशाला बना तिनसुकिया

Written by Sabrangindia Staff | Published on: September 21, 2018
2019 लोकसभा चुनाव से पहले असम का तिनसुकिया सांप्रदायिक संघर्ष की एक प्रयोगशाला बनता जा रहा है। पिछले पांच दिनों से यह जिला सांप्रदायिकता की आग में जल रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक यहां अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर उन पर लगातार हमले हो रहे हैं।  



तिनसुकिया असम की पूर्वी सीमाओं पर स्थित है और असम का एक जिला है। यहां मुस्लिम आबादी पांच प्रतिशत से भी कम है। पहली घटना एक सप्ताह पहले 13 सितंबर को सामने आई थी। जिसमें पांच मुस्लिम महिलाएं समेत कम से कम 20 लोग घायल हो गए थे और लगभग एक दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया गया। 

जिले के डुमडूमा में पहला सांप्रदायिक संघर्ष तब देखने को मिला जब 13 सितंबर के दिन गणेश चुतर्थी का त्यौहार भी मनाया जा रहा था। उसी दिन (13 सितंबर) राजेंद्र प्रसाद रोड़ पर कुछ मुस्लिम मुहर्रम के दिन ताजिया अभ्यास कर रहे थे। ताजिया के लिए यह रिहर्सल तकरीबन रात दस बजे बंद हुआ। उसी दिन कुछ घंटों पहले से ही गणेश पूजा का उत्सव चल रहा था। 

इस दौरान गणेश पूजा कमेटी के कुछ लोग जोर-जोर से चिल्लाकर आपत्ति जताने लगे कि ताजिया अभ्यास से गणेश पूजा उत्सव में बाधा पहुंच रही है। ये आयोजक बीजेपी आरएसएस से भी जुड़े हैं। इसी दौरान ताजिया अभ्यास से जुड़े हिंदी बोलने वाले मुसलमानों ने भी गणेश पूजा पर अपनी आपत्ति व्यक्त की और कहा कि दस बजे गणेश पूजा समाप्त हो जानी चाहिए। 

गणेश पूजा कमिटी और ताजिया उत्सव समिति के बीच हुई बोलचाल के बाद दोनों समूहों में झगड़ा शुरु हो गया। इसके बाद आरएसएस और बजरंग दल से जुड़े कुछ लोगों तेज धार वाले हथियारों से मुस्लमानों पर हमला कर दिया। जिसमें कुल पांच महिलाएं घायल हो गईं। 

सौभाग्य से इस दौरान तुरंत स्थानीय पुलिस वहां मौके पर पहुंची और दोनों पार्टियों को जगह खाली करने को कहा। 

उस घटना के बाद ऑल असम हिंदू युवा परिषद और बजरंग दल ने एक मुस्लिम व्यक्ति अजीम खान को पकड़ने में स्थानीय पुलिस की 'निष्क्रियता' के खिलाफ 14 सितंबर को बंद का आह्वाहन किया। जिसके खिलाफ डुमडूमा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। 

उनके द्वारा आरोप लगाया गया था कि एक स्थानीय व्यापारी अजीज खान ने नौ सितंबर को फेसबुक पर एक पोस्ट किया था जिसने लोगों की धार्मिक भावनाओं को नुकसान पहुंचाया है। 

ऑल असम हिंदू युवा छात्र परिषद की स्थानीय समिति ने डुमडूमा पुलिस स्टेशन में दस सितंबर को शिकायत दर्ज कराई थी। हालांकि अजीज खान इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनका मकसद ऐसा नहीं था। इसके बाद 14 सितंबर को कुछ बंद समर्थक लाठी-डंडों और  हथियारों के साथ अजीज खान के बोहरपजन के घर पहुंच गए। 

इसके बाद शेष ग्रामीण और ज्यादातर मुसलमान डर के साए में रह रहे थे जब पूरे गांव पर हमला किया जा रहा था। जब असम युवा छात्र परिषद और बजरंग दल के समर्थक अजीज खान के घर को नुकसान पहुंचा रहे थे तभी गांव के लोग बड़ी संख्या में इकठ्ठा हो गए। इसके बाद इलाके के मुस्लिम निवासियों ने हमलावरों पर जवाबी हमला शुरु कर दिया। इसके बाद समूहों में झड़प हो गई। जिसमें पंद्रह लोग घायल हो गए। 

ऑल असम हिदूं युवा परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने फिर वहां मौजूद पलिसकर्मियों पर भी पत्थर फेंकने शुरु कर दिए। इसके बाद पुलिस प्रशासन ने लाठीचार्ज किया और किसी हालात को काबू में पाया। इसके बाद यह आतंक सारे जिले में फैल गया। 

14 सितंबर की रात को मुहबम्मद सुभान नाम का एक युवा जब डुमडूमा स्थित मासोवपत्ती गांव स्थित अपने घर अपने घर लौट रहा था, उस पर ऑल असम हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर हमला शुरु कर दिया। 

हमले के बाद मुहम्मद सुभान किसी तरह भागने में कामयाब हुआ, हमलावरों के द्वारा उसका पीछा किया। इसके बाद मुहम्मद सुबान को रोता देख सुबान के कुछ रिश्तेदार महिलाएं हमलावरों को शांत कराने के लिए बाहर आईं लेकिन विश्व हिंदू परिषद, आरएसएस, बजरंग दल  के सदस्यों ने महिलाओं पर क्रूरता से हमला कर दिया। इस हमले में रुख्सार खातून, तमन्ना खातून और फिरोज खातून को गंभीर चोटें आ गई। 

अगली सुबह 15 सितंबर को आरएसएस, बजरंग दल, वीएचपी, बीजपी की ओर से संयुक्त रुप से बंद बुलाया गया। उस दिन बंद समर्थकों ने देदाम टी एस्टेट में दो बूचड़खानों को जला दिया।  

इसके बाद हालात पर नियंत्रण पाने के लिए पुलिस ने अजीज खान और छह अन्य लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस के मुताबिक अजीज खान ने फेसबुक पर विवादित लेख लिखने की बात से इनकार किया। हालांकि इस रुख पर भी सवाल उठता जा रहा है। 

तिनिसुकिया के पुलिस अधीक्षक मुग्धज्योति महंता ने सबरंग को बताया कि अजीज खान ने इस बात से इनकार किया है कि उसने फेसबुक पर विवादित पोस्ट किया है। लेकिन इस संबंध में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।  उन्होने आगे कहा, हालांकि अजीज खान का कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, फिर भी जांच के सभी पक्ष अभी भी जारी हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कि समाज में असहिष्णुता तेजी से बढ़ रही है। पुलिस स्थिति को सामान्य करने के लिए सब कुछ कर रही है। 

इसके बाद 16 सितंबर को  फिर तब तनाव की स्थिति हो गई जब तिनिसुकिया में एक और घटना हो गई। यहां बीजेपी और आरएसएस से जुड़े लोगो ने आरोप लगाया कि शबाना बेगम नाम की एक महिला ने टिनिसुकिया शहर में अपने घर के सामने दो पाकिस्तानी झंडे फहराए थे। 

इसके बाद ऑल असम हिंदू युवा छात्र परिषद ने स्थानीय संगठनों के साथ मिलकर इलाके में एक खुली बैठक आयोजित की जिसमें कथित तौर पर झंडे फहराने की बात को लेकर आक्रोश व्यक्त किया गया और इस मामले के बारे में शिकायत करने का फैसला किया गया। 

यह खबर असम के सबसे अधिक पढ़ जाने वाले अखबार द न्यूज में फ्रंट पेज पर प्रकाशित हुई। आश्चर्य की बात यह है कि अखबार में जो झंडा कथित तौर पर शबाना बेगम के घर के सामने फहरा रहा था, वह पाकिस्तानी झंडा नहीं था।

इसके बाद एक बार फिर पुलिस अधिक्षक महंता से संपर्क करने पर उन्होने कहा, यह आश्चर्य की बात है कि एक समाचार पत्र ने बिना न्यूनतम जांच के भी इस तरह से समाचार प्रकाशित कर दिया। मैने इस प्रकार की कवरेज का मजबूती से विरोध किया है। जो झंडा महिला के घर के सामने लहरा रहा था उसमें और पाकिस्तान के झंडे में कोई समानता नहीं थी। यह पूरी तरह से एक धार्मिक झंडा है। उन्हें अपनी धार्मिक गतिविधियों को करने का हर अधिकार है। 


असम के एक वरिष्ठ पत्रकार और कमेंटेटर ने नाम न बताने की शर्त पर सबरंग इंडिया को बताया कि सांप्रदायिक संघर्ष राज्य में आगामी चुनावों (लोकसभा) से जुड़ा था। 

उन्होने आगे कहा कि चूकि राज्य और केंद्र में मौजूद बीजेपी की सरकारों ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है इसलिए उनके पास यहीं अंतिम रास्ता है। 

डुमडूमा के एक स्थानीय व्यापारी ने सबरंग इंडिया को बताया कि अगर अजीज खान ने वास्तव में विवादित फेसबुक पोस्ट अपडेट किया था, तब भी भगवा ब्रिगेड के साथ उनका संबंध अस्वीकार नहीं किया जा सकता था। आखिरी विधानसभा चुनाव के दौरान अजीज खान ने बीजेपी के लिए प्रचार किया था। 

जबकि टिनिसुकिया जैसी घटनाएं पैदा कर दक्षिणपंथी पार्टियां जनसंख्या का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही हैं। टिनिसुकिया में अब तक लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, राजनीतिक विपक्ष प्रभावशाली नहीं रहा है। कुछ ने 'हिंदी भाषी हिंदू और मुसलमानों' के बीच समूह संघर्ष की व्याख्या की है जिसका असमिया समाज और राज्य राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ता है। 

असम विधानसभा में कांग्रेस के नेता देबब्रता साइकिया ने संवाददाताओं को बताया कि टिनिसुकिया जिले में इस तरह की घटनाएं राज्य की शांति और सद्भाव के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हैं। राज्य सरकार को सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ मजबूती से कार्रवाई करनी चाहिए, जो जिले में सक्रिया हैं। 

बाकी ख़बरें