35 संगठनों की केंद्र और राजे सरकार के खिलाफ महापंचायत, जानिए क्या हैं मांगे

Written by Sabrang India Staff | Published on: July 23, 2018
विभिन्न मांगों को लेकर 35 संगठनो ने रविवार को जयपुर में प्रतिरोध महापंचायत कर प्रदर्शन किया. इन सभी सामाजिक संगठनों ने सर्वसम्मति से दलित आदिवासी अल्पसंख्यक दमन विरोधी आन्दोलन के बैनर तले अपनी मांगों पर जोर देते हुए कहा कि 2 अप्रैल से सम्बन्धित सभी 500 मामले (F.R) मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे वापस लें. इन संगठनों ने मांग की कि अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति कानून को संविधान की 9 वीं अनुसूची में डाला जाए व इसी संसद सत्र में कानून लाया जाए. इसके अलावा महापंचायत में मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर तुरंत रोक लगाने के लिए कानून बनाने और रामगढ, अलवर में अकबर खान की हत्या से जुडे सभी अपराधियों को गिरफ्तार करने की मांग की. 



साथ ही पंचायत की अध्यक्षीय मंडल के टेक चंद राहुल, सुमन देवाठिया, अमरा राम, नरेन्द्र आचार्य वावा डॉ. इकबाल ने सभी को शपथ दिलवाई व फैसला सुनाया कि सभी राजनैतिक संघर्षों में भाजपा व आरएसएस को पराजित करना तथा केंद्र व राज्य सरकार को आगामी चुनाव में पराजित करना बहुत ज़रूरी है. दमन प्रतिरोध आन्दोलन उन राजनैतिक दलों को समर्थन करेगी जो भाजपा को हरा सके. आंदोलन की मांगे मनवाने के लिए भाजपा हर तरीके से अपनी ताकत दिखाएगी. इसके अलावा महापंचायत में फैसला लिया गया कि आरएसएस की महिला, दलित, आदिवासी व अल्पसंख्ह्यक विरोधी विचारधारा का समाज के हर तबके व ढाँचे में पुरजोर विरोध करेगा.

इस प्रतिरोध महापंचायत में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के पौत्र प्रकाश अंबेडकर भी मौजूद थे. उन्होने कहा कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह व महाराष्ट्र सरकार ने दलितों के आन्दोलन को माओवादी रंग देने की कोशिश की और झूठे मामलों में कई साथियों को जेल में डाला. उन्होंने भाजपा व आरएसएस को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि आप केवल दंगा करवाने में विश्वास करते हैं और अब पीट-पीटकर मार डालना और विडियो बनाए जा रहे हैं.

उन्होने कहा कि राजस्थान में हुए अफ्राजुल के हत्यारे को तो पकड़ा लेकिन घटना के पीछे कौन था औक किसने यह नफरत भरी, उसकी जांच क्यूँ नहीं की गई. उन्होंने 20 मार्च के सुप्रीम कोर्ट के एससी एसटी एक्ट को कमज़ोर करने के फैसले पर कहा कि यह सिर्फ एक फैसले की बात नहीं है लेकिन यह सुप्रीम कोर्ट की मनुवादी मानसिकता की भी बात है. उन्होंने केवल सरकार के परिवर्तन की बात नहीं की बल्कि सत्ता परिवर्तन की भी बात कही और कहा कि वह चाबी दलितों के हाथ में है और सोच समझ के उसका इस्तमाल करना चाहिए.

महापंचायत में युवा दलित नेता और गुजरात के वडगाम से विधायक जिग्नेश मेवानी ने आह्वान किया कि नरेन्द्र मोदी और वसुंधरा राजे की सरकारों को हराना बहुत ज़रूरी है नहीं तो फासीवाद हमारे द्वार पर होगा. उन्होंने अलवर में हुए अकबर खान की हत्या को लेकर केद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल को आड़े हाथों लिया और कहा कि अगर प्रधानमंत्री की लोकप्रियता का मतलब है मुसलमानों और बेगुनाहों को अपनी जान खोना, तो ऐसी लोक्रप्रियता नहीं चाहिए जो समाज को दहशत में डाल दे.  

उन्होंने अलवर की कैलाशी बाई का उदहारण देते हुआ मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर निशाना साधते हुए कहा कि एक महिला मुख्यमंत्री होने के बावजूद 2 अप्रैल को पुलिस ने उनके घर में घुसी और उनके कपडे फाड़े और छाती पर जूता रखकर धमकाया. क्या महिलाओं का यही हाल भाजपा के राज्यों में होना है. उन्होंने यह भी कहा की सरकारें अगर बदलती भी हैं हमें अन्दोलन जारी रखने होंगे.

राष्ट्रीय दलित शोषण मुक्ति मंच की उपाध्यक्ष सुभाषिनी अली ने आरएसएस व भाजपा के मनुवादी चहरे को बेनकाब करते हुए कहा कि सरकार चाहती है कि दलित वही पड़ा रहे और यह भी कहा कि मॉब लिंचिंग की घटनाएं इसलिए बढ़ रहीं हैं क्यूंकि सरकारें व मंत्री इस हिंसा का महिमामंडन कर रही हैं. 

उन्होंने राजस्थान के आन्दोलन को सराहना करते हुए कहा कि विपक्ष तो राजस्थान में हाशिये पर खड़े लोगों के आन्दोलन होते हैं. इसलिए सरकार बदल भी जाये तो आंदोलन जारी रखने होंगे . उन्होंने वसुंधरा राजे की जनता से रुर्बरू न करने की निति की भी आलोचना की और कहा की कोई भी दलित –आदिवासी को मायूस नहीं होना चाहिए अगर उनपर मामले हैं, सरकार को हर हालत में वापस लेने होंगे.

इस मौके पर मध्यप्रदेश के पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम ने कहा कि समय आ गया है कि दलित, आदिवासी, मुसलमान, किसान, युवा, छात्र, महिला व एनी लोगों को साथ मिलकर यह लड़ाई लड़नी होगी. यह लड़ाई देश के अस्तित्व की लड़ाई है, देश में इंसानियत जिंदा रखने की लड़ाई है.

सीपीआई एमएल (लिबरेशन) के पूर्व विधायक राजा राम सिंह ने कहा कि भाजपा की हर नीति चाहे व सामाजिक न्याय हो या कश्मीर या विदेशी निति या नोटबंदी या जीएसटी सभी फ्रंट पर फेल रही इस सरकार से अब कोई उम्मीद नहीं की जा सकती. वसुधरा राजे ने 5 साल हर कमज़ोर तबके को परेशान किया. इसलिए इनका जाना ज़रूरी है. उन्होंने आन्दोलन की सभी मांगो को समर्थन करते हुए दलितों के ऊपर मामले वापस लेने, एससी और एसटी एक्ट को पुनः स्थापित करने व पीट-पीट कर हत्या को तुरंत बंद करने की मांगो का समर्थन किया.

इस महापंचायत में आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार के मंत्री राजेंद्र गौतम भी मौजूद थे। उन्होने कहा कि देश के हित में तो इस सरकार को जाना ही होगा और एससी एसटी एक्ट को पुनः स्थापित सभी की एकजुटता से ही होगी. उन्होने आह्वाहन किया कि दिल्ली में भी ऐसी पंचायत होनी चाहिए. 

इसके अलावा महापंचायत में राजस्थान के विभिन्न इलाकों से लोग पहुंचे हुए थे। सभा का संचालन सुमित्रा चोपड़ा, राहुल व कविता ने किया.

प्रतिरोध महापंचायत में शामिल हुए ये संगठन

1.  दलित शोषण मुक्ति मंच,राजस्थान।
2.  भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)।
3.  जन विचार मंच, राजस्थान।
4.  राजस्थान नागरिक मंच।
5.  विकलांगता आंदोलन, 2016, राजस्थान संघर्ष समिति
6.  भूमि अधिकार आंदोलन,राजस्थान।
7.  रिपब्लिक पार्टी ऑफ इण्डिया।
8.  समाजवादी जन परिषद।
9.  भारत की जनवादी नौजवान सभा, राजस्थान।
10. अखिल भारतीय जनवदी महिला समिति 
11. अखिल भारतीय किसान सभा, राजस्थान।
12. नेशनल फेडरशन ऑफ इण्डियन वुमेन्स
13. ह्युमन राईट लॉ नेटवर्क 
14. ऑल इण्डिया स्टूडेन्ट फेडरशन
15. समग्र सेवा संघ, राजस्थान 
16. स्टूडेन्टस फैडरेशन ऑफ इण्डिया
17. जनवादी लेखक संघ, राजस्थान
18. बौद्ध महासभा
19. दलित मुस्लिम एकता मंच 
20. पी यू सी एल,राजस्थान
21. जनांदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय( N.A.P.M.)
22. राजस्थान लोक मोर्चा
23. मजदुर,किसान शक्ति संगठन
24. भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मा.ले.)
25.SDPI राजस्थान
26.amblinking फाउंडेशन 
27. वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया
28. संवैधानिक अधिकार संगठन
29. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
30. दलित अधिकार केंद्र
31. जमायते इसलामी हिन्द, राजस्थान
32. आल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच, राजस्थान
33. टीम राजस्थान
34. दलित अधिकार अभियान (पश्चिम राजस्थान)
35. भीम सेना
36. राजस्थान निर्माण व जनरल वर्कर्स यूनियन।
37. समता संगठन राजस्थान
 

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