बुधवार को बड़ी संख्या में थारू आदिवासी पुरुषों और महिलाओं ने लखीमपुर खीरी उप्र की पलिया कला तहसील पर प्रदर्शन किया और एसडीएम को दिए ज्ञापन में एक सप्ताह यानि 3 नवंबर तक वनाधिकार दावो का निस्तारण न होने और अधिकार पत्र न मिलने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। खास बात यह है कि पिछले माह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी दावों के निपटारे के आदेश दिए थे। इसके अलावा भी कई बैठके हो चुकी हैं।
थारू महिलाओं के प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन के रजनीश और रामचंद्र राणा (सूरमा) ने बताया कि पलिया क्षेत्र के थारू बाहुल्य गांवों के रहने वाले आदिवासी एवं वन क्षेत्र पर आश्रित लोगों ने वनाधिकार कानून 2006 नियमावली 2008 संशोधन 2012 के तहत, ग्राम वनाधिकार समितियों के माध्यम से पलिया वन उपखंड समिति के समक्ष दावे प्रस्तुत किए थे जिनके निस्तारण में लगातार हो रही देरी से समुदाय के लोगों में रोष है।
थारू आदिवासियों ने प्रशासन को दिए ज्ञापन में कहा है कि लगभग 8 साल से उपखंडस्तरीय वनाधिकार समिति में थारु समुदाय के लोगों के दावे लंबित हैं जिन पर न तो कोई कार्रवाई की जा रही है और न ही उनका निस्तारण किया जा रहा है। जिससे थारू समुदाय को उनके वन संबंधी अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं।
ज्ञापन में कहा गया है कि 14 व 28 सितंबर को समिति की बैठक हुई लेकिन, उसमें भी कोई निर्णय नहीं लिया गया। उसके बाद एसडीएम स्तर से 15 गांवों की ग्राम स्तरीय समितियों को एक सप्ताह का नोटिस दिया गया। जिसका जवाब भी छह अक्टूबर को दे दिया गया लेकिन, उसके बाद भी आगे कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। यह हाल तब है जब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पिछले माह मुख्यमंत्री द्वारा भी दावे निपटान में तेजी लाने के निर्देश दिए गए थे।
थारू महिलाओं ने पूछा है कि उनके (आदिवासी समुदाय) के वन अधिकार के दावों को उप खंड स्तरीय समिति में आठ वर्ष तक लटकाए रखना क्या व कितना न्यासंगत है। इसे किसी भी दृष्टि से न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता है। कहा दावों का निस्तारण न होने से समुदाय के हज़ारों लोगों के वन भूमि पर उनके हक हकूक (अधिकार) को मान्यता नहीं मिल पा रही है।
इसी सबसे बुधवार को दावा प्रस्तावों के निस्तारण कराये जाने को लेकर, थारू आदिवासियों ने एसडीएम पलिया डॉ अमरेश कुमार से मिलकर ज्ञापन दिया और जल्द से जल्द अधिकार पत्र दिलाने की मांग की। साथ ही महिलाओं ने चेतावनी देते हुये कहा कि यदि 6 अक्टूबर तक जमा दावों का निस्तारण एक सप्ताह यानि 3 नवंबर तक नहीं किया जाता हैं तो वनाश्रित समुदाय के लोग जनवादी तरीके से आंदोलन को मजबूर होंगे।
धरना प्रदर्शन करने वालों में निवादा, बाबू राम (बैरिया), लालमन (छिदिया पश्चिम), रामचंद्र (बंदरभरारी ) सहित माया देवी, मीना देवी, बासो, विशुनी, भगवती, सिमन देवी, सुधिया, कमीला, रविता आदि शामिल रहीं।
थारू महिलाओं के प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन के रजनीश और रामचंद्र राणा (सूरमा) ने बताया कि पलिया क्षेत्र के थारू बाहुल्य गांवों के रहने वाले आदिवासी एवं वन क्षेत्र पर आश्रित लोगों ने वनाधिकार कानून 2006 नियमावली 2008 संशोधन 2012 के तहत, ग्राम वनाधिकार समितियों के माध्यम से पलिया वन उपखंड समिति के समक्ष दावे प्रस्तुत किए थे जिनके निस्तारण में लगातार हो रही देरी से समुदाय के लोगों में रोष है।
थारू आदिवासियों ने प्रशासन को दिए ज्ञापन में कहा है कि लगभग 8 साल से उपखंडस्तरीय वनाधिकार समिति में थारु समुदाय के लोगों के दावे लंबित हैं जिन पर न तो कोई कार्रवाई की जा रही है और न ही उनका निस्तारण किया जा रहा है। जिससे थारू समुदाय को उनके वन संबंधी अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं।
ज्ञापन में कहा गया है कि 14 व 28 सितंबर को समिति की बैठक हुई लेकिन, उसमें भी कोई निर्णय नहीं लिया गया। उसके बाद एसडीएम स्तर से 15 गांवों की ग्राम स्तरीय समितियों को एक सप्ताह का नोटिस दिया गया। जिसका जवाब भी छह अक्टूबर को दे दिया गया लेकिन, उसके बाद भी आगे कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। यह हाल तब है जब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पिछले माह मुख्यमंत्री द्वारा भी दावे निपटान में तेजी लाने के निर्देश दिए गए थे।
थारू महिलाओं ने पूछा है कि उनके (आदिवासी समुदाय) के वन अधिकार के दावों को उप खंड स्तरीय समिति में आठ वर्ष तक लटकाए रखना क्या व कितना न्यासंगत है। इसे किसी भी दृष्टि से न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता है। कहा दावों का निस्तारण न होने से समुदाय के हज़ारों लोगों के वन भूमि पर उनके हक हकूक (अधिकार) को मान्यता नहीं मिल पा रही है।
इसी सबसे बुधवार को दावा प्रस्तावों के निस्तारण कराये जाने को लेकर, थारू आदिवासियों ने एसडीएम पलिया डॉ अमरेश कुमार से मिलकर ज्ञापन दिया और जल्द से जल्द अधिकार पत्र दिलाने की मांग की। साथ ही महिलाओं ने चेतावनी देते हुये कहा कि यदि 6 अक्टूबर तक जमा दावों का निस्तारण एक सप्ताह यानि 3 नवंबर तक नहीं किया जाता हैं तो वनाश्रित समुदाय के लोग जनवादी तरीके से आंदोलन को मजबूर होंगे।
धरना प्रदर्शन करने वालों में निवादा, बाबू राम (बैरिया), लालमन (छिदिया पश्चिम), रामचंद्र (बंदरभरारी ) सहित माया देवी, मीना देवी, बासो, विशुनी, भगवती, सिमन देवी, सुधिया, कमीला, रविता आदि शामिल रहीं।