COVID-19 से अनाथ हुए बच्चों की शिक्षा में रुकावट न आए- SC का राज्य व केंद्र शासित राज्यों को निर्देश

Written by Sabrangindia Staff | Published on: June 8, 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को 18 से ज्यादा आयुवर्ग के लोगों को फ्री वैक्सीन उपलब्ध कराए जाने की घोषणा की। इसे कोविड महामारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ही सख्ती का असर माना जा रहा है। क्योंकि केंद्र सरकार व राज्य सरकारों में वैक्सीन खरीद नीति को लेकर लंबे समय से ठनी नजर आ रही थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि COVID-19 महामारी के कारण अनाथ हो गए या माता-पिता में से किसी एक को खो चुके बच्चों की शिक्षा में कोई रुकावट न आए।


प्रतीकात्मक तस्वीर

कोर्ट ने आदेश दिया कि, "राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महामारी के कारण अनाथ हो गए या माता-पिता में से किसी एक को खो चुके बच्चों की शिक्षा में कोई रुकावट न आए।" न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने स्वत: संज्ञान मामले में यह आदेश दिया, जिसे अदालत ने COVID-19 से प्रभावित बच्चों की समस्याओं से निपटने के लिए शुरू किया था।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट को एमिकस क्यूरी अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने सुझाव दिया कि यह सुनिश्चित किया जाए कि COVID-19 महामारी के कारण अनाथ हो गए या माता-पिता में से किसी एक को खो चुके बच्चों की शिक्षा में कोई रुकावट न आए।

पीठ ने एमिकस क्यूरी द्वारा दिए गए सुझावों को स्वीकार करते हुए कहा कि, "यदि प्रभावित बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं तो उन्हें जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए। जहां तक निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की बात है, राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों को कदम उठाना चाहिए और उन स्कूलों में बच्चों को जारी रखने का निर्देश देना चाहिए। कम से कम छह महीने की अवधि के लिए, जिस समय तक कुछ व्यवस्था पर काम किया जा सकता है।" पीठ ने राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के राष्ट्रीय पोर्टल पर COVID-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों की जानकारी अपलोड करना जारी रखने का भी निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि एनसीपीसीआर द्वारा 6 जून तक एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार COVID19 के कारण 30,071 बच्चे अनाथ हो गए हैं या अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है (3,621 अनाथ, 26,176 ने माता-पिता में से किसी एक खो है और 274 बच्चों के सर से माता-पिता का साया उठ गया है।)

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