
भारतीय जनता पार्टी के द्वारा फैलाये गए धार्मिक उन्माद व सामंती विचारधारा के प्रतिफल के रूप में सहारनपुर में लोगों के बीच में नफरत की दीवारें खड़ी हो गयी हैं। वास्तव में प्रचंड बहुमत की सरकार बनने के बाद सहारनपुर जिला मुख्यालय में जीत का जश्न के नाम पर अति उत्साह में नंगी तलवारों का प्रदर्शन करते हुये राम सेना और हिन्दू युवा विहिनी के नाम पर केसरिया गमछा बांधकर नंगी तलवारों एवं तमंचों के साथ सहारनपुर नगर में कई बार मुख्य बाजारों से नवयुवकों के द्वारा खुला प्रदर्शन हुआ। उसके पश्चात 20 अप्रैल 2017 को बिना प्रशासनिक अनुमति के स्थानीय भाजपा सांसद के नेतृत्व में बाबा साहेब, डा0 भीमराव अम्बेडकर शोभायात्रा के नाम पर सहारनपुर महानगर से सटे हुए गांव सड़क दूधली में नगर के इन्हीं नवयुवकों को ले जाकर भद्दा प्रदर्शन किया गया जिसमें स्थानीय दलितों की संख्या नगण्य थी और गांव का कोई भी दलित मौजूद नहीं था। इस तरह का अम्बेडकर प्रेम, इन नवयुवकों में पहले कभी दिखायी नहीं दिया पुलिस प्रशासन के मना करने के बावजूद जबरन गांव में घुसकर उनका मकसद दलित मुस्लिम के सम्बन्धों में दरार डालकर राजनैतिक लाभ लेना था। इसमें अपने ही प्रशंसकों से घिरे सांसद के गनर ने जो हवाई फायर किया उसने आग में घी डालने का काम कर दिया जिसमें वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक व जिलाधिकारी की मौजूदगी में दोनों तरफ से भारी पथराव हुआ। वरिष्ठ अधिकारीयों के स्पष्ट रूप से गांव में घुसने की इजाजत न देने से क्रोधित होकर सांसद महोदय ने अपनी बेइज्जती महसूस की, जिसके बाद भीड़ द्वारा गांव के बाहरी हिस्से में स्थित अल्पसंख्यक समुदाय की दुकानों व मकानों में तोड़ फोड़ की गयी और दुकानों का सामान बाहर फेंक दिया गया । यहाँ से सांसद अपने समर्थकों को लेकर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के कैंप कार्यालय (घर) में घुस गए और उनके समर्थकों ने वहां वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की नेम प्लेट, सी०सी०टी०वी० कैमरा, डी०वी०आर० और फर्नीचर में तोड़-फोड़ की तथा घर के बाहर रूड़की-पंचकूला राष्ट्रीय राजमार्ग पर गुजरने वाले आम राहगीरों का नाम पूछ-पूछकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की पिटाई की गयी तथा उनकी गाड़ियों में तोड़-फोड़ की गयी जिसमें एक मोटरसाइकिल को आग के हवाले कर दिया गया। मंडल आयुक्त (कमीशनर) के वाहन के शीशे भी तोड़ दिए गए । संज्ञान रहे की इस दौरान सांसद के साथ भाजपा के जिलाध्यक्ष, महानगर अध्यक्ष, पूर्व महानगर अध्यक्ष, विधायक, सहारनपुर नगर से पराजित प्रत्याशी राजीव गुम्बर एवं अन्य विधायक, पूर्व विधायक तथा पदाधिकारी मौजूद थे इस घटना से जनपद की पुलिस का मनोबल बहुत प्रभावित हुआ है। जिसका असर सहारनपुर में हुई बाद की घटनाओं में देखने को मिला।
उपरोक्त घटना से सांसद के मन में पनपे डा0 अम्बेडकर के प्रति अचानक प्रेम के जवाब में लोगों ने अन्य जगहों पर जहाँ बहुसंख्यक समाज के लोगों ने अम्बेडकर की शोभायात्रा अथवा मूर्ति लगाने पर विवाद था, सवाल खड़े किये उपरोक्त परिस्थितियों में शबीरपुर घटना का भी जिक्र आया कि वहां के दलित समाज के लोग गांव के रविदास मंदिर में 14 अप्रैल को बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की मूर्ति स्थापित करना चाहते थे जिसका ठाकुर समाज के लोगों ने विरोध किया तथा प्रशासन ने उसे रुकवा दिया। सड़क दूधली की घटना के बाद रामपुर के उप-जिलाधिकारी ने स्थिति की गम्भीरता को न समझते हुए सत्ता के दबाव में 5 मई को महाराणा प्रताप की जयंती पर शिमलाना गांव में सभा करने की अनुमति दे दी।
4 मई को शब्बीरपुर गांव के प्रधान शिव कुमार ने थानाध्यक्ष बड़गांव और उप-जिलाधिकारी को सूचित किया की सभा में जाने वाले लोग शोभायात्रा के रूप में सीधे शिमलाना जाने की बजाय शब्बीरपुर से घूमकर यात्रा को ले जाना चाहते हैं उसे रोका जाना चाहिए नहीं तो अनावश्यक तनाव होगा। संज्ञान रहे कि शब्बीरपुर गांव के घटनाक्रम में गांव के ठाकुर जाति र्निवाचित मत 1200 है और दलित मत 900 साथ ही मुस्लिम जाति के मत 300 के आस-पास है और अन्य जातियों के मत भी वर्तमान प्रधान शिवकुमार के पक्ष में होना ठाकुरों की जलन का मुख्य कारण रंजिश होना है, जिसमें लगातार 10 वर्षों से दलित प्रधान सामान्य सीट होते हुए भी र्निवाचित होना ठाकुर जाति के लोग सहन नहीं कर पा रहे थे। साथ ही एक घटनाक्रम और है ग्राम शिमलाना में महाराणा प्रताप की जयन्ती की शोभा यात्रा का मुख्य अथिति शेरसिंह राणा जिन्होंने फूलन देवी की हत्या की थी और जो उम्रकैद की सजा काट रहा हैं और अभी जमानत पर है खुलेआम दलित विरोधी, मुस्लिम विरोधी लोगों को भड़का रहा है, परन्तु इन सब जानकारी के बावजूद प्रशासन ने लाहपवाही की और प्रधान की बात को कोई तव्वजू नहीं दी गई। थाना अध्यक्ष एवं उप-जिलाधिकारी के द्वारा इसे नजर-अंदाज किया गया और थानाध्यक्ष की मौजूदगी में शोभायात्रा शब्बीरपुर से होकर गुजरी जिसमें नौजवानों ने नंगी तलवारें हाथ में ले रखी थी तथा गांव में पहुंचकर अम्बेडकर विरोधी नारे लगाए एवं रविदास मंदिर में घुसकर रविदास जी की प्रतिमा तोडी गई और उस पर पैशाब किया गया जिससे दोनों पक्षों में भारी पथराव हुआ एवं एक ठाकुर समुदाय के नौजवान सुमित की मृत्यु (मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार) दम घुटने से हो गयी, तत्पश्चात ठाकुर समुदाय ने शब्बीरपुर के दलित परिवारों के 50 से ज्यादा मकानों को आग के हवाले कर दिया गया जिसमें बेकसूर बच्चों के स्कूल बैग और गरीब लोगों के खाने की सामग्री व लड़कियों की शादी के लिए रखा हुआ सामान भी जलकर राख हो गया एवं 17-18 लोग तलवारों से घायल हो गए और कुछ लोगों को गम्भीर चोटें भी आयीं। शासन-प्रशासन को जो संवेदनशीलता का परिचय देना चाहिए था उसके नितान्त अभाव में तनाव बढ़ता चला गया चार दिन पश्चात अपने लोगों के लिए न्याय की मांग को लेकर भीम आर्मी के बैनर तले दलित समाज के लोग सहारनपुर महानगर के गांधी पार्क में इकठ्ठा हुए जहाँ प्रशासन ने उनको सभा करने की अनुमति नहीं दी और उन पर लाठी चार्ज हुआ। और वहां से दलितों को भगा दिया गया। दलितों पर लाठी चार्ज की खबर जंगल की आग की तरह पूरे जिले में फैल गयी और देखते ही देखते इससे आक्रोशित दलित समुदाय ने रोष प्रकट करते हुये शहर के अलग-अलग कई स्थानों पर पुलिस प्रशासन पर पथराव किया। महानगर की चारों दिशाओं में आने वाले मार्गों पर स्थित दलित बाहुल्य गांवों के दलितों ने सडकों पर उतर कर चक्का जाम, एवं तोड़फोड एवं आगजनी शुरू कर दी, जिसमें मुख्यतः मल्हीपुर रोड़ स्थित नवनिर्माण की जा रही महाराणा प्रताप धर्मशाला की दिवार तोड़ दी गई, तथा रामनगर पुलिस चैकी आग के हवाले कर दी, पत्रकारों की भी कई मोटर साईकल आग के हवाले कर दी।
इसी घटनाक्रम में 23 मई को शबीरपुर में बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती जी को आने की अनुमति तो दी लेकिन वहां सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं किया गया। ठाकुर क्षेत्रों में प्रशासन द्वारा कोई भी नाकेबंदी नहीं की गयी थी, और मायावती जी की सभा से पूर्व यह अफवायें फैलाई गयी कि कुछ लोगों द्वारा ठाकुरों के घरों पर पथराव किया गया, प्रशासन व पुलिस के अधिकारियों ने इसके बाद भी मौके की नजाकत को नहीं समझा और परिणामस्वरूप मायावती जी की सभा से वापस जाते हुए लोगों पर हमला किया गया, चंदपुर में 2 व्यक्तियों को गोली मार दी गयी और एक व्यक्ति की चारों उंगली काट दी गयी, और अन्य दलितों के साथ जघन्य मार-काट की गई, जिनमें पुलिस द्वारा सहारनपुर जिला चिकित्सालय उपचार के लिये लाया गया जिनमें से छः लोगों की गम्भीर हालत होने के कारण उन्हे मेरट मेडिकल कालेज में रेफर किया गया, सहारनपुर में हुए इस साम्प्रदायिक व जातिय हिंसा की घटनाओं की जितनी निंदा की जाये उतना कम है। कुल मिलाकर यह घटनाएं सहारनपुर के लिए दुर्भाग्यपूर्ण हैं। पूरे घटनाक्रम के पीछे भाजपा का धार्मिक उन्माद तथा सामंती सोच परिलक्षित होती है। जिसकी हम कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।
ऐसी स्थिति में जनपद में शंान्ति कायम होना संम्भव नहीं? क्यों कि जब तक भाजपा के नामजद नेताओं जिन्होनें एक सोची समझी नीति के तहत अराजकता फैलाई उन दोषियों के ऊपर सख्त कानूनी कार्यवाही होना आवश्यक है, तभी पीडित लोगों में न्याय के प्रति भरोसा होगा एवं सदभावना बनने की प्रक्रिया शुरू होगी।
द्वारा
संजय गर्ग
नगर विधायक
4/1075, चकरोता रोड़
सहारनपुर-247001, उ0प्र0
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