"न्याय की लड़ाई में निमंत्रण नहीं भेजे जाते। जिनका जमीर जिन्दा है वे स्वयं चल पड़ते हैं रणभूमि की ओर" केंद्र सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ किसान, मजदूर व भाकियू कार्यकर्ता एकजुट होकर अधिक से अधिक संख्या में 31 जनवरी को सहारनपुर कलेक्ट्रेट पहुंचें। रघुवीर सिंह, प्रवक्ता भारतीय किसान यूनियन इकाई सहारनपुर। यह कोई नारा नहीं बल्कि "विश्वासघात दिवस" पर प्रदर्शन के लिए भाकियू के आह्वान पत्र का एक मज़मून है। जी हां, किसानों का गुस्सा शांत होता नहीं दिख रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने घोषणा की कि वह 31 जनवरी को देश भर में 'विश्वासघात दिवस' के रूप में मनाएगा। वहीं, 3 फरवरी से मिशन यूपी का आगाज होगा।
संयुक्त किसान मोर्चा ने शुक्रवार को घोषणा की कि 31 जनवरी को देश भर में 'विश्वासघात दिवस' के रूप में मनाया जाएगा, जिसमें जिला और ब्लॉक स्तर पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होंगे। समन्वय समिति की बैठक के बाद किसान संगठनों के एक संघ एसकेएम ने एक बयान में कहा, "मोर्चे से जुड़े सभी किसान संघ इस विरोध को बड़े उत्साह के साथ रखेंगे। उम्मीद है कि यह कार्यक्रम देश के कम से कम 500 जिलों में आयोजित किया जाएगा।"
बयान में कहा गया, "31 जनवरी को विरोध प्रदर्शनों में केंद्र सरकार को एक ज्ञापन भी सौंपा जाएगा। बैठक के दौरान इस कार्यक्रम की तैयारी की समीक्षा की गई।" एसकेएम ने 15 जनवरी को हुई अपनी समीक्षा बैठक में इस आशय का फैसला लिया था। किसानों का दावा है कि सरकार ने उन्हें धोखा दिया है।
खास है कि तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर किसानों ने एक साल से अधिक समय तक आंदोलन किया था। तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के सरकार के फैसले के बाद आंदोलन बंद होने के बाद, एसकेएम ने घोषणा की थी कि अगर सरकार उनकी अन्य मांगों को पूरा करने में विफल रहती है, तो आंदोलन फिर से शुरू हो सकता है, जिसमें प्रमुख सभी किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी समर्थन है। सरकार का किसान विरोधी रुख इस बात से जाहिर होता है कि 15 जनवरी को एसकेएम की बैठक के बाद भी सरकार ने 9 दिसंबर, 2021 के अपने पत्र में किए गए किसी भी वादे को पूरा नहीं किया।
एसकेएम ने कहा,, "पिछले दो हफ्तों में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों को तत्काल वापस लेने या शहीदों के परिवारों को (जो साल भर चले आंदोलन के दौरान मारे गए थे) मुआवजे पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। सरकार ने एमएसपी के मुद्दे पर कमेटी बनाने की भी घोषणा नहीं की है। इसलिए, मोर्चा ने देश भर के किसानों से 'विश्वासघात दिवस' के माध्यम से सरकार को अपना गुस्सा व्यक्त करने का आह्वान किया है।" यूपी चुनाव के संदर्भ में भी किसान मोर्चे ने महत्वपूर्ण घोषणा की है। संयुक्त किसान मोर्चा ने स्पष्ट किया है कि “मिशन उत्तर प्रदेश” जारी रहेगा, जिसके जरिए इस किसान विरोधी सत्ता को सबक सिखाया जाएगा। इसके तहत अजय मिश्र टेनी को बर्खास्त और गिरफ्तार ना करने, केंद्र सरकार द्वारा किसानों से विश्वासघात और उत्तर प्रदेश सरकार की किसान विरोधी नीतियों को लेकर उत्तर प्रदेश की जनता से भारतीय जनता पार्टी को सजा देने का आह्वान किया जाएगा।
किसान नेताओं का कहना है कि इस मिशन को कार्य रूप देने के लिए 3 फरवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए मिशन के नए दौर की शुरुआत की जाएगी। इसके तहत एसकेएम के सभी संगठनों द्वारा पूरे प्रदेश में साहित्य वितरण, प्रेस कॉन्फ्रेंस, सोशल मीडिया और सार्वजनिक सभा के माध्यम से भाजपा को सजा देने का संदेश पहुँचाया जाएगा। खास है कि किसान संघों ने पहले चेतावनी दी थी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जाकर 'भाजपा को वोट नहीं' अभियान शुरू करेंगे। खास यह भी कि उत्तर प्रदेश में सात चरणों में 10 फरवरी, 14, 20, 23, 27 और 3 और 7 मार्च को मतदान होगा। नतीजे 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे।
मोर्चे ने यह स्पष्ट किया है कि 23 और 24 फरवरी को देश की केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने मजदूर विरोधी चार लेबर कोड को वापस लेने के साथ-साथ किसानों को एमएसपी और प्राइवेटाइजेशन के विरोध जैसे मुद्दों पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल के आह्वान को संयुक्त किसान मोर्चा का पूरा समर्थन और सहयोग है। इस संबंध में किसी भी भ्रांति की गुंजाइश नहीं है। डॉ दर्शन पाल, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह और योगेंद्र यादव की ओर से जारी इस बयान में पंजाब और अन्य राज्यों के चुनाव के बारे में मोर्चे ने यह स्पष्ट किया है कि संयुक्त किसान मोर्चा के नाम, बैनर या मंच का इस्तेमाल किसी राजनैतिक दल या उम्मीदवार द्वारा नहीं किया जाना चाहिए। ऐसा करने वालों के खिलाफ मोर्चे द्वारा अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
उधर, किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे किसान नेता राकेश टिकैत ने फिर से आंदोलन का ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि 31 जनवरी को देशभर के किसान सरकारी अधिकारी के कार्यालयों पर इकट्ठा होंगे। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि 31 जनवरी को पूरे देश में एसडीएम, डीएम और डीसी के यहां कार्यक्रम है, भारत सरकार ने एमएसपी गारंटी कानून बनाने के लिए कमेटी बनाने की बात की थी वो कमेटी अभी नहीं बनी। बहुत पर्चे (मुकदमे) दर्ज़ हैं वो पर्चे वापस नहीं हुए, ये सारे वादे एक बार सरकार को याद दिला दें।
खास है कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने पिछले दिनों मीटिंग में यह फैसला लिया था कि 31 जनवरी को देश भर में विश्वासघात दिवस मनाया जाएगा और जिला एवं तहसील स्तर पर बड़े रोष प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे। इन प्रदर्शनों में केंद्र सरकार के नाम ज्ञापन भी दिया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं का आरोप है कि भारत सरकार ने आंदोलन वापसी को लेकर एमएसपी के मुद्दे पर कमेटी गठित करने का वादा किया था। साथ ही आंदोलन के दौरान हुए केस को तत्काल वापस लेने और शहीद परिवारों को मुआवजा देने के वादे किए गए थे। इनमें से कोई भी वादा अभी तक पूरा नहीं किया गया है।
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संयुक्त किसान मोर्चा ने शुक्रवार को घोषणा की कि 31 जनवरी को देश भर में 'विश्वासघात दिवस' के रूप में मनाया जाएगा, जिसमें जिला और ब्लॉक स्तर पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होंगे। समन्वय समिति की बैठक के बाद किसान संगठनों के एक संघ एसकेएम ने एक बयान में कहा, "मोर्चे से जुड़े सभी किसान संघ इस विरोध को बड़े उत्साह के साथ रखेंगे। उम्मीद है कि यह कार्यक्रम देश के कम से कम 500 जिलों में आयोजित किया जाएगा।"
बयान में कहा गया, "31 जनवरी को विरोध प्रदर्शनों में केंद्र सरकार को एक ज्ञापन भी सौंपा जाएगा। बैठक के दौरान इस कार्यक्रम की तैयारी की समीक्षा की गई।" एसकेएम ने 15 जनवरी को हुई अपनी समीक्षा बैठक में इस आशय का फैसला लिया था। किसानों का दावा है कि सरकार ने उन्हें धोखा दिया है।
खास है कि तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर किसानों ने एक साल से अधिक समय तक आंदोलन किया था। तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के सरकार के फैसले के बाद आंदोलन बंद होने के बाद, एसकेएम ने घोषणा की थी कि अगर सरकार उनकी अन्य मांगों को पूरा करने में विफल रहती है, तो आंदोलन फिर से शुरू हो सकता है, जिसमें प्रमुख सभी किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी समर्थन है। सरकार का किसान विरोधी रुख इस बात से जाहिर होता है कि 15 जनवरी को एसकेएम की बैठक के बाद भी सरकार ने 9 दिसंबर, 2021 के अपने पत्र में किए गए किसी भी वादे को पूरा नहीं किया।
एसकेएम ने कहा,, "पिछले दो हफ्तों में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों को तत्काल वापस लेने या शहीदों के परिवारों को (जो साल भर चले आंदोलन के दौरान मारे गए थे) मुआवजे पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। सरकार ने एमएसपी के मुद्दे पर कमेटी बनाने की भी घोषणा नहीं की है। इसलिए, मोर्चा ने देश भर के किसानों से 'विश्वासघात दिवस' के माध्यम से सरकार को अपना गुस्सा व्यक्त करने का आह्वान किया है।" यूपी चुनाव के संदर्भ में भी किसान मोर्चे ने महत्वपूर्ण घोषणा की है। संयुक्त किसान मोर्चा ने स्पष्ट किया है कि “मिशन उत्तर प्रदेश” जारी रहेगा, जिसके जरिए इस किसान विरोधी सत्ता को सबक सिखाया जाएगा। इसके तहत अजय मिश्र टेनी को बर्खास्त और गिरफ्तार ना करने, केंद्र सरकार द्वारा किसानों से विश्वासघात और उत्तर प्रदेश सरकार की किसान विरोधी नीतियों को लेकर उत्तर प्रदेश की जनता से भारतीय जनता पार्टी को सजा देने का आह्वान किया जाएगा।
किसान नेताओं का कहना है कि इस मिशन को कार्य रूप देने के लिए 3 फरवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए मिशन के नए दौर की शुरुआत की जाएगी। इसके तहत एसकेएम के सभी संगठनों द्वारा पूरे प्रदेश में साहित्य वितरण, प्रेस कॉन्फ्रेंस, सोशल मीडिया और सार्वजनिक सभा के माध्यम से भाजपा को सजा देने का संदेश पहुँचाया जाएगा। खास है कि किसान संघों ने पहले चेतावनी दी थी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जाकर 'भाजपा को वोट नहीं' अभियान शुरू करेंगे। खास यह भी कि उत्तर प्रदेश में सात चरणों में 10 फरवरी, 14, 20, 23, 27 और 3 और 7 मार्च को मतदान होगा। नतीजे 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे।
मोर्चे ने यह स्पष्ट किया है कि 23 और 24 फरवरी को देश की केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने मजदूर विरोधी चार लेबर कोड को वापस लेने के साथ-साथ किसानों को एमएसपी और प्राइवेटाइजेशन के विरोध जैसे मुद्दों पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल के आह्वान को संयुक्त किसान मोर्चा का पूरा समर्थन और सहयोग है। इस संबंध में किसी भी भ्रांति की गुंजाइश नहीं है। डॉ दर्शन पाल, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह और योगेंद्र यादव की ओर से जारी इस बयान में पंजाब और अन्य राज्यों के चुनाव के बारे में मोर्चे ने यह स्पष्ट किया है कि संयुक्त किसान मोर्चा के नाम, बैनर या मंच का इस्तेमाल किसी राजनैतिक दल या उम्मीदवार द्वारा नहीं किया जाना चाहिए। ऐसा करने वालों के खिलाफ मोर्चे द्वारा अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
उधर, किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे किसान नेता राकेश टिकैत ने फिर से आंदोलन का ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि 31 जनवरी को देशभर के किसान सरकारी अधिकारी के कार्यालयों पर इकट्ठा होंगे। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि 31 जनवरी को पूरे देश में एसडीएम, डीएम और डीसी के यहां कार्यक्रम है, भारत सरकार ने एमएसपी गारंटी कानून बनाने के लिए कमेटी बनाने की बात की थी वो कमेटी अभी नहीं बनी। बहुत पर्चे (मुकदमे) दर्ज़ हैं वो पर्चे वापस नहीं हुए, ये सारे वादे एक बार सरकार को याद दिला दें।
खास है कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने पिछले दिनों मीटिंग में यह फैसला लिया था कि 31 जनवरी को देश भर में विश्वासघात दिवस मनाया जाएगा और जिला एवं तहसील स्तर पर बड़े रोष प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे। इन प्रदर्शनों में केंद्र सरकार के नाम ज्ञापन भी दिया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं का आरोप है कि भारत सरकार ने आंदोलन वापसी को लेकर एमएसपी के मुद्दे पर कमेटी गठित करने का वादा किया था। साथ ही आंदोलन के दौरान हुए केस को तत्काल वापस लेने और शहीद परिवारों को मुआवजा देने के वादे किए गए थे। इनमें से कोई भी वादा अभी तक पूरा नहीं किया गया है।
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