लोहिया वाहिनी की तर्ज पर अंबेडकर जयंती पर 'बाबा साहेब वाहिनी' का गठन करेगी समाजवादी पार्टी

Written by Navnish Kumar | Published on: April 12, 2021
उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी राज्य के दलित मतदाताओं में बड़ी सेंधमारी करने की तैयारी कर रही है। बसपा सुप्रीमो मायावती से ज़ख्म खाये बैठी समाजवादी पार्टी की नज़र अब बसपा के वोट बैंक पर लगी है। इसी से दलित मतदाताओं में पैठ बढ़ाने को समाजवादी पार्टी ने, दलित दीवाली के बाद अब 'बाबा साहेब वाहिनी' के गठन का ऐलान किया है।



पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अंबेडकर जयंती पर सपा की बाबा साहेब वाहिनी के गठन का संकल्प लिया है। उन्होंने डॉ भीमराव अम्बेडकर जयंती पर पूरे प्रदेश, देश और जिलों में सपा की बाबा साहेब वाहिनी के गठन का ऐलान किया है। कहा कि समाजवादी पार्टी अब डॉ भीमराव अंबेडकर के विचारों पर सक्रिय रहेगी और बाबा साहेब वाहिनी का गठन करेगी। 

अखिलेश यादव ने ट्वीट किया है कि संविधान निर्माता आदरणीय बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकरजी के विचारों को सक्रिय कर असमानता व अन्याय को दूर करने और सामाजिक न्याय के समतामूलक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, हम उनकी जयंती पर जिला, प्रदेश व देश के स्तर पर सपा की बाबा साहेब वाहिनी के गठन का संकल्प लेते हैं। 

इससे पहले अखिलेश यादव ने 14 अप्रैल को संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती के मौके पर ‘दलित दिवाली’ (Dalit Diwali) के रूप में मनाने का ऐलान किया था। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि भाजपा के राजनीतिक अमावस्या के काल में वो संविधान खतरे में है, जिससे बाबा साहेब ने स्वतंत्र भारत को नयी रोशनी दी थी। इसलिए मा. बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती, 14 अप्रैल को समाजवादी पार्टी उप्र के साथ देश व विदेशों में भी ‘दलित दीवाली’ मनाने का आह्वान करती है। #दलित_दीवाली — Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh)

अंबेडकर जयंती को सभी राजनीतिक पार्टियां धूमधाम से मनाती हैं। इसी से केंद्र सरकार ने पिछले साल की तर्ज पर नोटिफिकेशन जारी कर 14 अप्रैल 2021 को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। 14 अप्रैल 2021 को अंबेडकर की 130वीं जयंती होगी।

अंबेडकर जयंती पर जहां देशवासी बाबा साहेब के व्यक्त्वि व कृतित्व को यादकर उनके बताये हुए रास्ते पर चलने का संकल्प लेंगे, वहीं बहुजन समाज पार्टी ने राजधानी लखनऊ समेत पूरे उत्तर प्रदेश में अपने कार्यकर्ताओं से कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करते हुए बाबा साहेब की जयंती मनाने की अपील की है। भारतीय जनता पार्टी ने सेवा सप्ताह के रूप में  मनाने का संकल्प लिया है तो सपा ने दलित दीवाली का ऐलान किया हैं। 

बाबा साहेब वाहिनी गठन के ऐलान के मौके पर जब अखिलेश यादव से 'दलित दिवाली' के नाम को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि नाम में क्या रखा है, नाम तो कोई भी हो सकता है, अंबेडकर दिवाली, संविधान दिवाली, समता दिवस, नाम कुछ भी रखा जा सकता है।

वहीं, एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि डॉ राम मनोहर लोहिया और बाबा साहेब ने मिलकर काम करने का संकल्प लिया था और अगर सपा अंबेडकर के अनुयायियों को गले लगा रही है तो भाजपा और कांग्रेस को तकलीफ क्या है? 

खैर राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो नब्बे के दशक में कांशीराम और मायावती ने दलित राजनीति को बड़े स्तर पर पहुंचाया था। उन्होंने दलित वर्ग में उनके सम्मान की अलख जगाई थी। वह समाज के आदर्श बन गए और दलित वर्ग के बीच उन्हें विशेष सम्मान प्राप्त हुआ। इसके बाद से मायावती का दलित वोटों पर एक छत्र राज रहा है। लेकिन 2014 के बाद से इसका कुछ हिस्सा खिसका है। अभी एक जाति वर्ग विशेष, जो मायावती के साथ साए की तरह खड़ी है, उसको अपने पाले में लाने की कवायद में सभी राजनीतिक दल लगे हैं। 

इसी से सपा को भी लगता है कि मायावती के खेमे से दरक रहा वोट बैंक वह अपने कब्जे में कर लेंगे। बीते दिनों से बसपा के बहुत सारे लोग जिस प्रकार से, सपा में आने शुरू हुए है उन्हें ऐसी घोषणाओं के माध्यम से खुश किया जा सकता है। खैर उनकी यह कवायद कितनी कारगर होगी और वह दलित वोट बैंक में वह कितनी सेंध लगा पाते हैं, यह देखने वाली बात होगी।

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