फासीवाद की सियासत में
अकेली नहीं होती है भीड़
भीड़ का एक राजा होता है
भीड़ से ज्यादा खतरनाक होता है
सामने न दिखाई देने वाला उसका राजा,
भीड़ अनियंत्रित नहीं होती है
भीड़ हर पल निर्देशित होती है
सबसे खतरनाक होता है
भीड़ के निर्देशक का दिखाई न देना।
भीड़ के हथियार कारखाने से नहीं आते हैं
भीड़ के हथियार बनाने के कारखाने
हमारे घरों में, हमारी बस्तियों में
हमारे मंदिरों, मस्जिदों में लगाये जा चुके हैं,
भीड़ मक़सदविहीन भी नहीं होती है
भीड़ का मकसद होता है
आज़ादी के विचार का कत्ल कर देना।
रोटी की विकराल भूख से
अब ज्यादा खतरनाक है
खबर के बाज़ार, फुटपाथ
और स्कूलों में भरपेट मिलने वाली
नफरत की ख़ुराक,
खतरनाक वक्त होता है
जब सल्तनत भीड़ की
सरपरस्त हो जाती है।
कैसे लड़ेंगे जंग उस भीड़ से
जो मज़हब की पनाह में पलकर
बड़ी होती है,
सच तो यह है
राजा भी दिखाई देता है
सच तो यह भी है
नियंत्रक भी दिखाई देता है
सबसे खतरनाक होता है
इन्हें देखकर अनदेखा करना।
इन्हें अपने अस्तित्व का
मानक स्वीकार कर लेना
सबसे खतरनाक होता है
भीड़ से सहज हो जाना,
बहुत खतरनाक होता है
भीड़ से बचने के लिए
भीड़ का हिस्सा बन जाना।
- सचिन जैन
अकेली नहीं होती है भीड़
भीड़ का एक राजा होता है
भीड़ से ज्यादा खतरनाक होता है
सामने न दिखाई देने वाला उसका राजा,
भीड़ अनियंत्रित नहीं होती है
भीड़ हर पल निर्देशित होती है
सबसे खतरनाक होता है
भीड़ के निर्देशक का दिखाई न देना।
भीड़ के हथियार कारखाने से नहीं आते हैं
भीड़ के हथियार बनाने के कारखाने
हमारे घरों में, हमारी बस्तियों में
हमारे मंदिरों, मस्जिदों में लगाये जा चुके हैं,
भीड़ मक़सदविहीन भी नहीं होती है
भीड़ का मकसद होता है
आज़ादी के विचार का कत्ल कर देना।
रोटी की विकराल भूख से
अब ज्यादा खतरनाक है
खबर के बाज़ार, फुटपाथ
और स्कूलों में भरपेट मिलने वाली
नफरत की ख़ुराक,
खतरनाक वक्त होता है
जब सल्तनत भीड़ की
सरपरस्त हो जाती है।
कैसे लड़ेंगे जंग उस भीड़ से
जो मज़हब की पनाह में पलकर
बड़ी होती है,
सच तो यह है
राजा भी दिखाई देता है
सच तो यह भी है
नियंत्रक भी दिखाई देता है
सबसे खतरनाक होता है
इन्हें देखकर अनदेखा करना।
इन्हें अपने अस्तित्व का
मानक स्वीकार कर लेना
सबसे खतरनाक होता है
भीड़ से सहज हो जाना,
बहुत खतरनाक होता है
भीड़ से बचने के लिए
भीड़ का हिस्सा बन जाना।
- सचिन जैन