छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक 82 प्रतिशत आरक्षण लागू, विरोध भी जारी

Written by Anuj Shrivastava | Published on: September 7, 2019
छत्तीसगढ़ के  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ लोक सेवा अधिनियम, 1994 में संशोधन करने हेतु छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गें के लिये आरक्षण) अधिनियम संशोधन अध्यादेश, 2019 के प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया गया. 



इसके बाद अब राज्य में अनुसूचित जाति वर्ग का आरक्षण 12 प्रतिशत से बढ़कर 13 प्रतिशत एवं अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत हो गया. बैठक में सामान्य वर्गों के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण करने का निर्णय लिया गया. बैठक में जनसंख्यात्मक जानकारी एकत्रित करने के लिये एक आयोग भी गठित करने का निर्णय लिया गया है. राज्य में इसके अलावा अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 32 प्रतिशत आरक्षण पहले ही निर्धारित है. इस तरह से राज्य में आरक्षण का कुल दायरा 58 से बढ़ाकर 82 फीसदी कर दिया गया है.

 

·         कुल 82 फीसदी आरक्षण की सुविधा लागू करने के साथ ही छत्तीसगढ़ देश में सबसे अधिक आरक्षण देने वाला राज्य बन गया है.

·         सबसे अधिक 13 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी ओबीसी वर्ग के आरक्षण में की गई गई है.

·         बचे हुए 18 फीसदी में पूर्व सैनिक, तृतीय लिंग, महिला और दिव्यांगों का आरक्षण शामिल है.

·         राज्य में ओबीसी वर्ग से कांग्रेस के 18 विधायक है तो वहीं बीजेपी के महज 04.

राज्य में जनसंख्या के अनुपात को देखा जाए तो एसटी 32 प्रतिशत, एससी 12 प्रतिशत और ओबीसी की आबादी 45 प्रतिशत है. आबादी के हिसाब से इन तीनों वर्गो की हिस्सेदारी 89 प्रतिशत है. इसी आबादी के गणित को देखकर यह आरक्षण व्यवस्था लागू की गई है. 

 

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले संविधान का संशोधन करके गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने फैसला किया था. केंद्र सरकार के निर्णय के बाद से छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने इसे विचाराधीन रखा था, जिस पर मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक में मुहर लगा दी गई. सवर्ण आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार की ओर से तय किए गए मापदंड ही लागू किए जाएंगे.

ज्ञात हो कि राज्य मंत्रिमंडल ने 27 अगस्त को आरक्षण नियम में संशोधन का फैसला लिया था. अब राजपत्र में प्रकाशन के साथ राज्य स्तर पर प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती में संशोधित अध्यादेश लागू होगा. इस नई व्यवस्था में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ देने का प्रावधान किया गया है.

इस श्रेणी का लाभ एसटी, एससी और ओबीसी के आरक्षण में शामिल वर्ग को नहीं होगा. राज्य सरकार की ओर से जारी राजपत्र में स्पष्ट किया गया है कि आर्थिक रूप से कमजोर आरक्षण का लाभ ऐसे व्यक्तियों को मिलेगा, जिस परिवार की सकल वार्षिक आय आठ लाख रुपये से कम है. जब लोक सेवा के लिए आवेदन किया जाएगा, उसके पिछले वित्तीय वर्ष के सभी आय स्त्रोत को शामिल किया जाएगा.

बेमन से दिया भाजपा ने समर्थन
वैचारिक रूप से आरक्षण के विरोध में दिखने वाली भाजपा, भूपेश बघेल के निर्णय का समर्थन करती दिख रही है. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि "पहले भी आरक्षण 58 फीसदी किया गया था. ओबीसी की मांग जायज थी. उनकी मांग पूरी करनी ही थी." भाजपा के कई नेता व भाजपा की मातृसंस्था आरएसएस से जुड़े लोग कभी खुल कर तो कभी दबे स्वरों में आरक्षण व्यवस्था का विरोध व उसपर पुनर्विचार की बातें करते रहे हैं.

एक नज़र वर्गवार राजनीतिक दलों के विधायकों की संख्या पर

वर्ग                      कांग्रेस       बीजेपी       जोगी-बीएसपी

एसटी वर्ग से              27          02          02

एससी वर्ग से              07          02          01

ओबीसी वर्ग से             18          04          01

सामान्य वर्ग से            11          06          03

अल्पसंख्यक वर्ग से         04          00          00

 

सामान्य वर्ग कर रहा है विरोध
सवर्ण गरीबों के लिए दिए गए 10 प्रतिशत आरक्षण के आलावा बचे 72 का विरोध भी कुछ लोगों द्वारा किया जा रहा है. बीते 15 अगस्त जिस दिन छत्तीसगढ़ में आरक्षण बढ़ोत्तरी की घोषणा की गई तब से ही प्रदेश के कई इलाकों में इससे सम्बंधित विरोध प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं. राजनांदगाव, कवर्धा, दुर्ग, जांजगीर-चांपा, अंबिकापुर आदि जगहों पर कुछ छिटपुट विरोश प्रदर्शन के समाचार मिले हैं. विलासपुर में सवर्ण युवाओं ने आरक्षण विरोदी बैनर पोस्टर लिए रैली निकाली. झाडू लगाकर, बूट पॉलिश कर के और मार्कशीट की फोटोकॉपी जलाकर चौराहों पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विरोध में नारेबाज़ी की गई.


पर्चे में आरक्षण समर्थकों को बताया अलगावादी
आरक्षण में वृद्धि के भूपेश सरकार के फ़ैसले का विरोध कर रहे ये युवा अपने साथ एक पीला परचा रखे हुए थे, पर्चे में आरक्षण का समर्थन करनेवालों के लिए अलगाववादी शब्द का इस्तेमाल किया गया था.


देश में अलगाववाद का मुद्दा और छत्तीसगढ़ में आरक्षण का मुद्दा आपस में किसी भी तरह कनेक्ट नहीं हो रहा है. हाथ में तिरंगा लिए आरक्षण के विरोध में भारत माता की जय का नारा लगा रहे इन युवाओं के मन में निश्चय ही कोई इस कनेक्शन को ठूंस रहा है.

विरोध कर रहे ये लोग हिंसक प्रदर्शन की चेतावनी भी दे रहे थे. इन युवाओं से बात करने पर महसूस होता है कि आरक्षण के विरोध में बात करते हुए इन सभी के शब्द लगभग एक सामान होते हैं. जैसे किसी ने बता दिया हो कि फलां प्रश्न का ये अमुक उत्तर है.

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