भारतीय जनता पार्टी जब अपने शासन वाले राज्यों में कानून-व्यवस्था और पुलिस की काफी तारीफ करती है, लेकिन सचाई ये है कि उसके शासन वाले राज्य राजस्थान की पुलिस एक अध्ययन में सबसे फिसड्डी पाई गई है।
इस साल की भारत में पुलिसिंग की स्थिति 2018 की सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि राजस्थान में जनता पुलिस से राहत नहीं, बल्कि परेशानी महसूस करती है।
रिपोर्ट के अनुसार, जनता इंस्पेक्टर और दरोगा जैसे अफसरों से तो परेशान है ही, साथ ही बड़े अधिकारी भी जनता की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर रहे हैं।
स्टेटस ऑफ पुलिसिंग इन इंडिया (स्टडी ऑफ परफार्मेंस एंड परसेप्शन) 2018 की सर्वे रिपोर्ट में जो बताया गया है, वह ये समझाने के लिए काफी है कि राजस्थान में पिछले 5 साल किस तरह से अपराधियों का बोलबाला रहा और पुलिस जनता की मदद करने में पीछे रही।
रिपोर्ट के अनुसार, भ्रष्टाचार, राजनीतिक दबाव और पुलिस बल की कमी राजस्थान की पुलिस के खराब कामकाज की मुख्य वजह है।
रिपोर्ट में पूरे देश की पुलिस के कामकाज पर सर्वेक्षण किया गया है। इसके अनुसार, 44 फीसदी लोगों को किसी न किसी तरह पुलिस के टॉर्चर का डर सताता है।
दिल्ली पुलिस को सबसे खराब बताया गया है, जो कि केंद्र सरकार के ही अधीन होती है। उसके बाद राजस्थान का नंबर आता है।
यह रिपोर्ट एनसीआरबी, पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट, 22 राज्यों में सर्वेक्षण के बाद तैयार की गई थी। इसमें 6 प्रमुख पैमाने रखे गए थे। इनमें क्राइम रेट, केस डिस्पोजल, पुलिस फोर्स, इंफ्रास्ट्रक्चर, जेल के आंकड़े और एससी-एसटी तथा महिलाओं- बच्चों पर हुए अपराधों का निपटारा शामिल है।
राजस्थान पुलिस की छवि जिन कारणों से खराब है, उनमें घटना होने पर देर से पहुंचना, पीड़ित को कानूनी झमेले का डर दिखाना, रसूखदार आरोपियों को बचाने के लिए गलत तरीके अपनाना, बिना रिश्वत लिए काम न करना जैसे मामला शामिल हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, आम लोग पुलिस के पास जाने से ही घबराते हैं, इसीलिए किसी पीड़ित की मदद के लिए लोग आगे नहीं आते क्योंकि उन्हें डर होता है कि पुलिस उन्हें ही किसी मामले में फंसा देगी।
इस साल की भारत में पुलिसिंग की स्थिति 2018 की सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि राजस्थान में जनता पुलिस से राहत नहीं, बल्कि परेशानी महसूस करती है।
रिपोर्ट के अनुसार, जनता इंस्पेक्टर और दरोगा जैसे अफसरों से तो परेशान है ही, साथ ही बड़े अधिकारी भी जनता की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर रहे हैं।
स्टेटस ऑफ पुलिसिंग इन इंडिया (स्टडी ऑफ परफार्मेंस एंड परसेप्शन) 2018 की सर्वे रिपोर्ट में जो बताया गया है, वह ये समझाने के लिए काफी है कि राजस्थान में पिछले 5 साल किस तरह से अपराधियों का बोलबाला रहा और पुलिस जनता की मदद करने में पीछे रही।
रिपोर्ट के अनुसार, भ्रष्टाचार, राजनीतिक दबाव और पुलिस बल की कमी राजस्थान की पुलिस के खराब कामकाज की मुख्य वजह है।
रिपोर्ट में पूरे देश की पुलिस के कामकाज पर सर्वेक्षण किया गया है। इसके अनुसार, 44 फीसदी लोगों को किसी न किसी तरह पुलिस के टॉर्चर का डर सताता है।
दिल्ली पुलिस को सबसे खराब बताया गया है, जो कि केंद्र सरकार के ही अधीन होती है। उसके बाद राजस्थान का नंबर आता है।
यह रिपोर्ट एनसीआरबी, पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट, 22 राज्यों में सर्वेक्षण के बाद तैयार की गई थी। इसमें 6 प्रमुख पैमाने रखे गए थे। इनमें क्राइम रेट, केस डिस्पोजल, पुलिस फोर्स, इंफ्रास्ट्रक्चर, जेल के आंकड़े और एससी-एसटी तथा महिलाओं- बच्चों पर हुए अपराधों का निपटारा शामिल है।
राजस्थान पुलिस की छवि जिन कारणों से खराब है, उनमें घटना होने पर देर से पहुंचना, पीड़ित को कानूनी झमेले का डर दिखाना, रसूखदार आरोपियों को बचाने के लिए गलत तरीके अपनाना, बिना रिश्वत लिए काम न करना जैसे मामला शामिल हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, आम लोग पुलिस के पास जाने से ही घबराते हैं, इसीलिए किसी पीड़ित की मदद के लिए लोग आगे नहीं आते क्योंकि उन्हें डर होता है कि पुलिस उन्हें ही किसी मामले में फंसा देगी।