राजसमंद में रिहा कराई गईं 76 लड़कियां बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के आश्रम की थीं

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: July 10, 2018

राजस्थान के राजसमंद में राजमहल होटल में पिछले सप्ताह मिली 76 लड़कियों का संबंध बलात्कार के आरोपी बाबा वीरेंद्र दीक्षित से जुड़े होने के सबूत मिले हैं। पुलिस अब इस मामले में और साक्ष्य जुटा रही है
 


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पुलिस ने पिछले सप्ताह राजमहल होटल से इन लड़कियों को छुड़ाया था। होटल में बंधक बनाकर रखी गईं इन लड़कियों में से 35 नाबालिग भी थीं।

ये लड़कियां नेपाल, छत्तीसगढ़, बिहार, हरियाणा, असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, सिक्किम, तमिलनाडु, कर्नाटक और मध्यप्रदेश से लाई गई थीं। इस समय ये लड़कियां बाल कल्याण समिति के संरक्षण में आसरा विकास संस्थान में रखी गई हैं।
नईदुनिया के अनुसार, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य एसपी सिंह ने दावा किया है कि जिस संस्था ने इन लड़कियों को जबरन बंदी बनाकर रखा था, वह बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित से जुड़ी है। ये संस्था सिरोही में काम करती थी।

बाल कल्याण समिति की रिपोर्ट पर गोमुख स्कूल माउंट आबू सिरोही के संचालक वीरेंद्र दीक्षित और अन्य लोगों पर मामला दर्ज किया है। समिति ने पाया है कि इन लड़कियों को बिना पंजीयन के अवैध तरीके से होटल में रखा गया था। इसका आश्रम किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 14 के तहत भी पंजीकृत नहीं है।

समिति की जांच रिपोर्ट के अनुसार आध्यात्मिक गोमुख सेवा समिति का मालिक और व्यवस्थापक बाबा वीरेंद्रदेव दीक्षित ही है। इसके खिलाफ नाबालिग बालिका से यौन शोषण के तहत विजय विहार दिल्ली में मामला दर्ज होकर दोष सिद्ध हो चुका है, और ये फरार चल रहा है। सिरोही कलेक्टर और बाल संरक्षण समिति ने जब संस्था के खिलाफ कार्रवाई की तो उसने इन लड़कियों को राजसमंद में छिपा दिया था।

वीरेंद्र देव दीक्षित कई शहरों में आध्यात्मिक विश्र्वविद्यालय के नाम से दुराचार के अड्डे चलाता है। खुद को कृष्ण घोषित करके आश्रम की लड़कियों के साथ बलात्कार करने का इस पर आरोप है। उसके खिलाफ बलात्कार का आरोप लगाने वाली एक महिला ने बताया था कि वीरेंद्र देव दीक्षित ड्रग्स लेकर रोज 10 लड़कियों के साथ रेप करता था। उसे निर्वस्त्र लड़कियों से मालिश कराने का भी शौक था। उसके फर्रुखाबाद और अहमदाबाद में भी आश्रम हैं।

पुलिस ने जब वीरेंद्र देव दीक्षित के जयपुर और आबूरोड स्थित आश्रमों में छापेमारी की थी तो उसे कई आपत्तिजनक चीजें मिली थी। झुंझनू में रहने वाली एक महिला ने भी रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि वह अपनी बेटी के साथ वीरेंद्र दीक्षित के आध्यात्मिक आश्रम आई थी तभी से उसकी बेटी अचानक गायब हो गई।

पुलिस ने पाया था कि आश्रम में लगभग 15 से 30 वर्ष तक की किशोरियां, युवतियां और महिलाएं रह रही थीं, और आश्रम की सभी खिड़कियां और दरवाजे पूरी तरह से बंद थे।

वीरेंद्र दीक्षित के दिल्ली आश्रम से भी दो बार 41-41 लड़कियों को छुड़ाया गया था। इसके आश्रम पर कई बार कार्रवाई हुई लेकिन ये अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। सबसे पहले यह चर्चा में मार्च 1998 में आया था जब कोलकाता के एक दंपति ने कंपिल थाने में शिकायत की थी कि वीरेंद्र उनकी बेटी को बंधक बना रखा है। पुलिस ने छापा मारकर बच्ची को छुड़ाया था।
 

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