राहुल गांधी बोले- संस्थाएं बचेंगी तो ही संविधान बचेगा, यूपी में मायावती ने बीजेपी को खुला रास्ता दिया

Written by Navnish Kumar | Published on: April 11, 2022
उत्तर प्रदेश में दूसरी बार पूर्ण बहुमत से बीजेपी सरकार बनने के पीछे बसपा सुप्रीमो मायावती, भले मुसलमानों को लाख कसूरवार ठहराएं लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी इसके लिए मायावती को ही जिम्मेवार बताते हैं। राहुल गांधी ने आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में मायावती ही हैं जिन्होंने बीजेपी को जीत का खुला रास्ता देने का काम किया। इसके पीछे राहुल ने सीबीआई व ईडी का डर होने की भी बात कही। दूसरी ओर, राहुल गांधी ने संविधान को लेकर भाजपा और आरएसएस पर हमला बोला। कहा आज, आप और हम संविधान बचाने की बात कर रहे हैं लेकिन संविधान क्या है। मात्र एक किताब नहीं है बल्कि ये इसे लागू करने वाली संस्थाओं पर निर्भर करता है। या यूं कहें कि संस्थाओं के बल पर ही संविधान को लागू नहीं किया जा सकता है लेकिन ये (संवैधानिक संस्थाएं) आज आरएसएस के कब्जे में है। संविधान को बचाना है तो देश की कार्यपालिका आदि संस्थाओं को बचाना होगा। याद रहे संस्थाओं के बिना संविधान के कुछ मायने नहीं है।



राहुल गांधी शनिवार को जवाहर भवन दिल्ली में पूर्व आईएएस अधिकारी और कांग्रेस नेता के. राजू की किताब ‘द दलित ट्रूथ: द बैटल्स फॉर रियलाइजिंग आंबेडकर्स विजन’ के विमोचन के मौके पर बोल रहे थे। यहां  उन्होंने संविधान से लेकर आरएसएस, सावरकर, सत्ता और भगवान राम तक पर विचार रखे। उन्होंने कहा कि संविधान बनाने वाले बीआर अंबेडकर ने लोगों को एक हथियार दिया था "लेकिन आज इस हथियार का कोई मतलब" नहीं रह गया है। कहा कि, "संविधान भारत का हथियार है लेकिन संस्थानों के बिना इसका कोई मतलब नहीं है। हम संविधान की रक्षा करने की बात करते हैं लेकिन संविधान का पालन कैसे होता है? ये कैसे लागू होता है? संस्थानों के साथ... और सभी संस्थान आरएसएस के हाथों में है।" अपनी बात को विस्तार देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि पेगासस, सीबीआई, ईडी आदि संस्थान मिलकर संविधान को लागू किए जाने से रोक रहे हैं। इनके जरिए ही मीडिया और राजनीतिक नेताओं को नियंत्रित किया जा रहा है। राहुल कहते हैं कि अगर उन्होंने भी कोई आर्थिक फायदा लिया होता तो वह भी आज सरकार के ख़िलाफ़ बोल नहीं पाते।



उन्होंने कहा संविधान और संवैधानिक संस्थाओं को बचाने का एक ही तरीका है कि हमें अंबेडकर और गांधी के दिखाए मार्ग पर चलना होगा। राहुल गांधी ने कहा कि जब तक जनता के अंदर से आवाज नहीं निकलेगी, संविधान अपना काम नहीं कर सकता। याद रहे संविधान पर होने वाली चोट, देश के सबसे कमजोर आदमी पर ज्यादा पड़ती है। यही सब कारण है कि आज अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी का हाल देश में सबके सामने है। 

राहुल गांधी ने सावरकर की किताब का ज़िक्र करते हुए कहा "सावरकर ने अपनी किताब में कहा है कि मैं उस दिन सबसे ज्यादा खुश था जब मैंने और मेरे दोस्तों ने जाकर एक मुस्लिम लड़के की पिटाई की।" राहुल ने एक बीजेपी नेता के साथ चर्चा का ज़िक्र करते हुए कहते हैं कि उन्होंने बीजेपी के एक नेता से पूछा कि क्या वे पुनर्जन्म में यकीन रखते हैं, इस पर उस नेता ने कहा कि वह पुनर्जन्म में यकीन नहीं करते, इस पर राहुल गांधी ने सवाल किया कि अगर आप पुनर्जन्म में यकीन नहीं रखते तो राम में कैसे यकीन कर सकते हैं और ये सुनकर बीजेपी नेता चौंक गए और बोले कि बात तो सही है लेकिन बाहर मत बताना।



यही नहीं, दो दिन पहले राहुल गांधी ने अर्थव्यवस्था को लेकर, भारत में भी श्रीलंका जैसे हालात बनने की बात कही थी और कारणों को बताया था। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से एमफिल राहुल ने कहा कि भविष्य के आर्थिक हालात अकल्पनीय हैं। 2/3 साल में बहुत बुरे हालात पैदा होंगे। ऐसे आर्थिक हालात कभी नही देखे गए। दरअसल रोजगार पैदा करने का स्ट्रक्चर टूट चुका है क्योंकि छोटे उद्योग (एमएसएमई) लगभग खत्म हो चुके है। जिसके बिना रोजगार पैदा करना संभव नहीं है। कहा- नफरती माहौल में रोजगार पैदा नही होते। समाज में जो टेंशन है वो खतरनाक है।

राहुल कहते हैं कि बीजेपी को लगता है कि जनता को डराकर और अत्याचार कर, विकास किया जा सकता है लेकिन विकास की पहली शर्त ही “सामाजिक समरसता” है। आरएसएस-बीजेपी मीडिया के माध्यम से सच को दबाना चाहती है..पर ये ज्यादा दिनों तक नही चलेगा.. । श्रीलंका में भी मीडिया के माध्यम से सच को दबाया गया था.. पर सच बहुत क्रूर तरीके से उभर कर सामने आया है। सच को दबा कर कोई भी सत्ता ज्यादा दिनों तक नही चल सकती और ना ही आर्थिक प्रगति हो सकती है.. मीडिया का एम्पलीफायर फेल होने वाला है..। राहुल गांधी ने चीन पर भी अपनी बात कही कि चीन भारत के ऊपर यूक्रेन जैसी नीतियां अपना रहा है..पर सरकार सच स्वीकार नहीं कर रही है।

मायावती डर में नहीं लड़ पा रहीं दलितों की लड़ाई, माया ने भी किया पलटवार
राहुल गांधी ने बसपा प्रमुख मायावती को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि मायावती ने यूपी में लड़ा ही नहीं। हमने मायावती को तालमेल की पेशकश करते हुए संदेश भिजवाया था कि गठबंधन कीजिए और मुख्यमंत्री बनिए लेकिन उन्होंने बात तक नहीं की। कहा- कांशीराम आदि जिन लोगों ने अपना खून, पसीना देकर उत्तर प्रदेश में दलितों की आवाज़ को जगाया। आज मायावती कहती हैं कि मैं उस आवाज़ के लिए नहीं लडूंगी। राहुल गांधी ने कहा कि कांशी राम ने उत्तर प्रदेश में दलितों की आवाज़ को बुलंद किया। वे इसके लिए कांशीराम की इज्जत करते हैं लेकिन इसकी वजह से यूपी में कांग्रेस को नुकसान हुआ है। यही नहीं, राहुल गांधी ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में मायावती ने सत्तारूढ़ दल बीजेपी की जीत के लिए अनूकूल माहौल बनाया और ये सीबीआई, ईडी और पेगासस के डर की वजह से हुआ है। राहुल गांधी ने दावा किया कि सीबीआई, ईडी और पेगासस के जरिए बनाए जा रहे दबाव के चलते मायावती दलितों की आवाज के लिए नहीं लड़ रहीं और उसने उप्र में भाजपा को खुला रास्ता देने का काम किया।

इस पर बसपा प्रमुख मायावती ने भी  कांग्रेस पर पलटवार करते हुए निशाना साधा है। मायावती ने कहा कि बसपा ने दलितों के उत्थान के लिए हर संभव कोशिश की है, लेकिन कांग्रेस ने अपने लंबे यूपी शासन में उनके सामाजिक आर्थिक विकास के लिए कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को आड़े हाथे लेते हुए कहा कि वह अपने बिखरे हुए घर को तो संभाल नहीं पा रहे हैं, और हमारी पार्टी बसपा की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं, जिससे उनकी बौखलाहट साफ नजर आती है। यही नहीं, मायावती ने कहा कि राहुल गांधी झूठे आरोप लगाते रहते हैं कि बसपा सुप्रीमो भाजपा के प्रति नरम हैं, क्योंकि मुझे ईडी आदि से डर लगता है। उनका यह बयान कि मुझे मुख्यमंत्री का प्रस्ताव दिया गया था, पूरी तरह से तथ्यहीन है। विपक्षी दलों पर टिप्पणी करने से पहले कांग्रेस को सौ बार सोचना चाहिए। 

मायावती ने कहा कि कांग्रेस स्वयं बीजेपी-आरएसएस के खिलाफ कहीं भी पूरी ताकत से नहीं लड़ पाई है, जबकि ये लोग (बीजेपी आरएसएस) कांग्रेस और विपक्ष को कमजोर करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं और चीन टाइप वन पार्टी सिस्टम को लागू करने और देश में संविधान को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। कहा जब मैं सत्ता में थी, तब भी राहुल जी ने मार्च और धरने से मेरी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कभी भी अन्य पार्टियों की सरकार में ऐसा नहीं किया। दूसरा, अन्य पार्टियों की बात करने से पहले उन्हें (राहुल को) अपनी पार्टी की चिंता करनी चाहिए कि वह कैसे पूरी तरह से बिखर गई है।

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