किसान नेताओं की अवैध हिरासत पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का हरियाणा सरकार को नोटिस

Written by Sabrangindia Staff | Published on: November 26, 2020
अधिवक्ताओं के एक ग्रुप द्वारा पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि किसान नेताओं के घरों पर "बेवजह" घंटों छापे मारे गए थे।



पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार को एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर नोटिस जारी किया है जिसमें आधी रात को हिरासत में लिए गए 100 से अधिक किसानों की रिहाई की मांग की गई है। ये नेता किसानों के आंदोलन के तहत दिल्ली की ओर कूच कर रहे थे।

नेताओं की हिरासत व गिरफ्तारी को लेकर हरियाणा प्रगतिशील किसान यूनियन ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की, जिसे न्यायमूर्ति संत प्रकाश की पीठ ने सुना। सरकार की नीतियों के खिलाफ दिल्ली में किसानों द्वारा प्रस्तावित आंदोलन को लेकर हरियाणा के कई जिलों में पुलिस द्वारा आधी रात को इन किसानों को उठा लिया गया था।

याचिका में कहा गया है कि 25 नवंबर को दोपहर 1 से 3 बजे के बीच किसान नेताओं के घरों पर छापेमारी की गई और आधी रात को छापेमारी में नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था। यह किसान आंदोलन मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन कानूनों के विरोध में हो रहा है जिसे किसान विरोधी बताया जा रहा है।  

दलील में आगे कहा गया है, "सरकार दमनकारी उपायों के तहत गिरफ्तारी और हिरासत में लेकर लोगों की आवाज को दबाना चाहती है। निर्दोष किसानों को बिना किसी अपराध के उनके घरों से आधी रात को उठाया गया था, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 19, 21 और 22 का उल्लंघन है।"

दलील यह भी कहती है कि एक लोकतांत्रिक राज्य के सुचारू संचालन के लिए, सरकार को चाहिए कि वह असंतुष्ट आवाज़ों को जगह दे। दलील में यह भी कहा गया है कि पुलिस, लोगों को परेशान करने और उन्हें गिरफ्तार करने के इरादे से आधी रात में घरों में छापे मार रही है। जबकि बिना किसी संज्ञेय अपराध के किसी भी व्यक्ति के घर पर छापा मारने का कोई औचित्य नहीं है।

हाईकोर्ट का आदेश यहां पढ़ सकते हैं

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