पूरे देश में क्रिसमस के जश्न को दक्षिणपंथी समूहों की ओर से विरोध का सामना करना पड़ा। वे धर्म परिवर्तन और सांस्कृतिक हमले का आरोप लगा रहे हैं। केरल, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में वीएचपी कार्यकर्ताओं ने स्कूल के कार्यक्रमों में बाधा डाली, कर्मचारियों के साथ बदसलूकी की और क्रिसमस के जश्न के खिलाफ सांप्रदायिक नफरत भड़काई। केरल में वीएचपी के दो नेताओं पर मामला दर्ज किया गया और उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
देश भर में क्रिसमस से पहले शांतिपूर्ण तरीके से मनाए जाने वाले जश्न का विरोध बढ़ रहा है, क्योंकि दक्षिणपंथी समूह धर्म परिवर्तन और सांस्कृतिक हमले के आरोपों के साथ त्योहार को निशाना बना रहे हैं। केरल के पलक्कड़ में विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने एक सरकारी स्कूल में क्रिसमस के जश्न में रुकावट डाली। उन्होंने परिसर में घुसकर कर्मचारियों के साथ गाली-गलौज की और इस पर आरोप लगाया कि एक धर्म को दूसरे धर्म से ऊपर रखा जा रहा है। स्थिति तब और बिगड़ गई, जब कार्यकर्ताओं ने क्रिसमस कैरोल और उत्सव की पोशाक पर सवाल उठाए, जिसके कारण पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
इसी तरह, पंजाब के लुधियाना में, स्थानीय नेता सोनू सिंह राजपूत ने एक निजी घर में प्रार्थना कर रहे एक ईसाई पादरी पर धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया। "परंपराओं की रक्षा" की आड़ में यह हमला धार्मिक अल्पसंख्यकों को परेशान करने के लिए छुट्टियों का इस्तेमाल करने की एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति को उजागर करता है।
राजस्थान में, जैसलमेर और जोधपुर में विरोध प्रदर्शन हुए जहां वीएचपी नेताओं और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने क्रिसमस को लेकर स्कूलों को निशाना बनाया। उन्होंने संस्थानों पर धर्म परिवर्तन को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। ये विरोध कार्यक्रम पोस्टरों को नष्ट करने और खुलेआम दुश्मनी को बढ़ावा देने तक पहुंच गए। इस बीच, उत्तर प्रदेश के मथुरा में भगवान लड्डू गोपाल की मूर्ति को क्रिसमस की पोशाक पहनाने को लेकर विवाद सामने आया है, जिसमें दक्षिणपंथी समूहों ने इसे हिंदू परंपराओं पर हमला बताते हुए इसकी निंदा की है।
ये घटनाएं धार्मिक असहिष्णुता की बढ़ती घटना को दर्शाती हैं, जहां क्रिसमस के उत्सव को सांस्कृतिक या धार्मिक आयोजन के रूप में नहीं, बल्कि व्यापक राजनीतिक और सांप्रदायिक संघर्षों के युद्ध क्षेत्र के रूप में देखा जा रहा है।
पलक्कड़, केरल: दो वीएचपी नेता गिरफ्तार
22 दिसंबर, 2024 को केरल के पलक्कड़ में एक सरकारी स्कूल में क्रिसमस के शांतिपूर्ण जश्न को विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के तीन स्थानीय कार्यकर्ताओं की हरकतों ने खराब कर दिया। वडक्कुमथारा के अनिलकुमार, मनमकुझी सुशासनन और थेक्कुमुरी वेलायुधन के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं के एक समूह ने नल्लेपिल्ली के सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय में धावा बोल दिया। उन्होंने प्रधानाध्यापिका और शिक्षकों के साथ गाली-गलौज की, क्रिसमस के उत्सव पर सवाल उठाए और इस बात पर जोर दिया कि श्री कृष्ण जयंती जैसे अन्य धार्मिक त्योहारों को भी समान महत्व दिया जाना चाहिए।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, वीएचपी नेताओं ने स्कूल पर एक धर्म को दूसरे धर्मों पर बढ़ावा देने का आरोप लगाया और क्रिसमस कैरोल को बाधित किया, यह सवाल उठाते हुए कि बच्चों और शिक्षकों ने क्रिसमस की पोशाक क्यों पहनी हुई थी। स्थिति तब और बिगड़ गई जब तीनों ने आक्रामक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कर्मचारियों और छात्रों को धमकाया, जिससे तनावपूर्ण और शत्रुतापूर्ण माहौल बन गया। पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप किया और तीनों कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया, उन पर पब्लिक ड्यूटी में बाधा डालने और धमकी देने का आरोप लगाया गया। पुलिस ने कहा कि आरोपी वीएचपी नेताओं पर बीएनएस धारा 329 (3), 296 (बी) और 351 (2) और 132 के तहत मामला दर्ज किया गया है। स्कूल के पीटीए अध्यक्ष के. मुरलीधरन ने कहा कि केरल के स्कूल में ऐसी घटना नहीं होनी चाहिए थी।
चुनाव से पहले ईसाई वोटों को अपने पाले में करने की कोशिश करते हुए राज्य भाजपा नेतृत्व ने इस घटना के बारे में स्पष्ट रूप से चुप्पी साधी, जिससे कई लोगों ने धार्मिक सहिष्णुता पर उनके रुख पर सवाल उठाए।
लुधियाना, पंजाब: नेताओं ने ईसाई पादरी को परेशान किया
पंजाब के लुधियाना में, क्रिसमस समारोह का भी धार्मिक चरमपंथियों से नहीं बल्कि राजनीतिक हस्तियों से विरोध हुआ। 20 दिसंबर, 2024 को एक स्थानीय कांग्रेस नेता सोनू सिंह राजपूत ने एक ईसाई पादरी का विरोध किया, जो एक परिवार के घर में प्रार्थना कर रहे थे। राजपूत ने पादरी पर धर्म परिवर्तन का प्रयास करने का आरोप लगाया और जोर देकर कहा कि इस तरह की प्रार्थनाओं की अनुमति इस इलाके में नहीं दी जाएगी।
यह टकराव एक चिंताजनक प्रवृत्ति को उजागर करता है, जहां त्योहारों के समय का इस्तेमाल परंपराओं की रक्षा की आड़ में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमला करने के मौके के रूप में किया जा रहा है। जबकि एक निजी घर में प्रार्थना कर रहे पादरी को परेशान करना कुछ लोगों को मामूली लग सकता है, लेकिन यह एक बड़ा मुद्दा है क्योंकि यह दिखाता है कि कैसे सार्वजनिक स्थान और घरों तक में लोग अपने धर्म का स्वतंत्र रूप से पालन करने में असुरक्षित होते जा रहे हैं। राजपूत की हरकतें उन इलाकों में अल्पसंख्यक धार्मिक प्रथाओं को लेकर भय और संदेह के माहौल को दर्शाती हैं, जहां नेता व्यक्तिगत लाभ के लिए सांप्रदायिक झगड़े को बढ़ावा देते हैं।
जैसलमेर: स्कूलों में क्रिसमस समारोह का विरोध
23 दिसंबर, 2024 को वीएचपी पदाधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जैसलमेर जिला कलेक्टर से मुलाकात की जिसमें उन्होंने मिशनरी स्कूलों द्वारा "धर्मांतरण के प्रयासों और धार्मिक अनादर" के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। प्रतिनिधिमंडल ने स्कूलों द्वारा क्रिसमस कार्यक्रम आयोजित करने और छात्रों को सांता क्लॉज़ की पोशाक पहनाने पर चिंता व्यक्त की और कहा कि इस तरह की प्रथाओं से धार्मिक परिवर्तन को बढ़ावा मिलता है।
वीएचपी के जिला सचिव लालू सिंह सोधा ने स्कूलों पर छात्रों को ईसाई विचारधाराओं से प्रभावित करने और त्यौहार के मौके का इस्तेमाल धर्मांतरण को बढ़ावा देने के लिए करने का आरोप लगाया। क्रिसमस के जश्न के प्रति वीएचपी का विरोध केवल धार्मिक पहलू को लेकर नहीं है, बल्कि पूरे भारत में स्कूलों में इसके सांस्कृतिक महत्व को लेकर भी है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि "यहां के स्कूलों में 98% हिंदू छात्र होने के बावजूद, राम नवमी, कृष्ण जन्माष्टमी, दिवाली, होली और रक्षा बंधन जैसे त्यौहार नहीं मनाए जाते हैं।"
मथुरा: लड्डू गोपाल की क्रिसमस पोशाक पर गुस्सा
भगवान कृष्ण की जन्मस्थली पवित्र शहर मथुरा में दक्षिणपंथी नेताओं ने भगवान लड्डू गोपाल की मूर्ति को क्रिसमस पोशाक पहनाने को लेकर बवाल मचाया। मथुरा में विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष कन्हैया अग्रवाल ने सार्वजनिक रूप से इसकी निंदा की और इसे हिंदू परंपराओं पर हमला बताया है। अग्रवाल के अनुसार, भगवान कृष्ण की मूर्ति को क्रिसमस की पोशाक पहनाना धर्म परिवर्तन का प्रयास और सनातन धर्म का अपमान है।
मथुरा-वृंदावन लाखों हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थल है, जो भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा करने के लिए आते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि सांता क्लॉज़ की पोशाक में लड्डू गोपाल की मूर्ति को सजाना, मिशनरी समूहों द्वारा हिंदू और ईसाई प्रतीकों को मिलाने के व्यापक प्रयास का प्रतीक है, जिसे वे अपनी परंपराओं की पवित्रता को कम करने के रूप में देखते हैं। जबकि दूसरे लोग इसे बिना नुकसान वाले सांस्कृतिक अदला-बदली के रूप में देखते हैं। इसने स्थानीय लोगों के बीच गहरा गुस्सा और दरार पैदा कर दिया है।
विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने इस तरह के कपड़ों की बिक्री पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है और चेतावनी दी है कि उनके कार्यकर्ता हिंदू देवताओं के “अपवित्रीकरण” को रोकने के लिए कार्रवाई करेंगे।
जोधपुर: स्कूल में क्रिसमस समारोह के खिलाफ बजरंग दल का विरोध
राजस्थान के जोधपुर में 23 दिसंबर, 2024 को बजरंग दल का विरोध एक निजी स्कूल में क्रिसमस कार्यक्रम के खिलाफ आक्रामक हो गया। प्रदर्शनकारियों ने क्रिसमस समारोह की आड़ में धर्मांतरण को बढ़ावा दिए जाने की चिंताओं का हवाला देते हुए कार्यक्रम के विज्ञापन वाले पोस्टर फाड़ दिए और जला दिए। बजरंग दल के कार्यकर्ता सिवांची गेट स्कूल के बाहर इकट्ठा हुए और ईसाई स्कूलों के "धर्मांतरण एजेंडे" को समाप्त करने की मांग की।
यह घटना छुट्टियों के मौसम में ईसाई समुदाय के उद्देश्यों के प्रति कुछ समूहों के बीच बढ़ते संदेह को दर्शाती है। पोस्टर जलाना, स्कूल के कार्यक्रमों में रुकावट डालना और धर्मांतरण का डर, ये सभी धार्मिक समुदायों के बीच गहरे दरार को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चालें हैं।
हालांकि, पूरे भारत में क्रिसमस समारोहों के विरोध की बढ़ती घटनाएं चिंताजनक हैं जो सांप्रदायिक सद्भाव और आपसी समझ को खतरे में डालती हैं। इस आपसी समझ और सद्भाव ने लंबे समय से देश के विविध सांस्कृतिक ताने-बाने को परिभाषित किया है। केरल से लेकर पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश तक, दक्षिणपंथी समूहों ने इस त्योहारी समय को निशाना बनाया है, स्कूल के कार्यक्रमों में बाधा डाली है, धार्मिक हस्तियों को परेशान किया है और धर्मांतरण के निराधार आरोप फैलाए हैं।
देश भर में क्रिसमस से पहले शांतिपूर्ण तरीके से मनाए जाने वाले जश्न का विरोध बढ़ रहा है, क्योंकि दक्षिणपंथी समूह धर्म परिवर्तन और सांस्कृतिक हमले के आरोपों के साथ त्योहार को निशाना बना रहे हैं। केरल के पलक्कड़ में विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने एक सरकारी स्कूल में क्रिसमस के जश्न में रुकावट डाली। उन्होंने परिसर में घुसकर कर्मचारियों के साथ गाली-गलौज की और इस पर आरोप लगाया कि एक धर्म को दूसरे धर्म से ऊपर रखा जा रहा है। स्थिति तब और बिगड़ गई, जब कार्यकर्ताओं ने क्रिसमस कैरोल और उत्सव की पोशाक पर सवाल उठाए, जिसके कारण पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
इसी तरह, पंजाब के लुधियाना में, स्थानीय नेता सोनू सिंह राजपूत ने एक निजी घर में प्रार्थना कर रहे एक ईसाई पादरी पर धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया। "परंपराओं की रक्षा" की आड़ में यह हमला धार्मिक अल्पसंख्यकों को परेशान करने के लिए छुट्टियों का इस्तेमाल करने की एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति को उजागर करता है।
राजस्थान में, जैसलमेर और जोधपुर में विरोध प्रदर्शन हुए जहां वीएचपी नेताओं और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने क्रिसमस को लेकर स्कूलों को निशाना बनाया। उन्होंने संस्थानों पर धर्म परिवर्तन को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। ये विरोध कार्यक्रम पोस्टरों को नष्ट करने और खुलेआम दुश्मनी को बढ़ावा देने तक पहुंच गए। इस बीच, उत्तर प्रदेश के मथुरा में भगवान लड्डू गोपाल की मूर्ति को क्रिसमस की पोशाक पहनाने को लेकर विवाद सामने आया है, जिसमें दक्षिणपंथी समूहों ने इसे हिंदू परंपराओं पर हमला बताते हुए इसकी निंदा की है।
ये घटनाएं धार्मिक असहिष्णुता की बढ़ती घटना को दर्शाती हैं, जहां क्रिसमस के उत्सव को सांस्कृतिक या धार्मिक आयोजन के रूप में नहीं, बल्कि व्यापक राजनीतिक और सांप्रदायिक संघर्षों के युद्ध क्षेत्र के रूप में देखा जा रहा है।
पलक्कड़, केरल: दो वीएचपी नेता गिरफ्तार
22 दिसंबर, 2024 को केरल के पलक्कड़ में एक सरकारी स्कूल में क्रिसमस के शांतिपूर्ण जश्न को विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के तीन स्थानीय कार्यकर्ताओं की हरकतों ने खराब कर दिया। वडक्कुमथारा के अनिलकुमार, मनमकुझी सुशासनन और थेक्कुमुरी वेलायुधन के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं के एक समूह ने नल्लेपिल्ली के सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय में धावा बोल दिया। उन्होंने प्रधानाध्यापिका और शिक्षकों के साथ गाली-गलौज की, क्रिसमस के उत्सव पर सवाल उठाए और इस बात पर जोर दिया कि श्री कृष्ण जयंती जैसे अन्य धार्मिक त्योहारों को भी समान महत्व दिया जाना चाहिए।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, वीएचपी नेताओं ने स्कूल पर एक धर्म को दूसरे धर्मों पर बढ़ावा देने का आरोप लगाया और क्रिसमस कैरोल को बाधित किया, यह सवाल उठाते हुए कि बच्चों और शिक्षकों ने क्रिसमस की पोशाक क्यों पहनी हुई थी। स्थिति तब और बिगड़ गई जब तीनों ने आक्रामक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कर्मचारियों और छात्रों को धमकाया, जिससे तनावपूर्ण और शत्रुतापूर्ण माहौल बन गया। पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप किया और तीनों कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया, उन पर पब्लिक ड्यूटी में बाधा डालने और धमकी देने का आरोप लगाया गया। पुलिस ने कहा कि आरोपी वीएचपी नेताओं पर बीएनएस धारा 329 (3), 296 (बी) और 351 (2) और 132 के तहत मामला दर्ज किया गया है। स्कूल के पीटीए अध्यक्ष के. मुरलीधरन ने कहा कि केरल के स्कूल में ऐसी घटना नहीं होनी चाहिए थी।
चुनाव से पहले ईसाई वोटों को अपने पाले में करने की कोशिश करते हुए राज्य भाजपा नेतृत्व ने इस घटना के बारे में स्पष्ट रूप से चुप्पी साधी, जिससे कई लोगों ने धार्मिक सहिष्णुता पर उनके रुख पर सवाल उठाए।
लुधियाना, पंजाब: नेताओं ने ईसाई पादरी को परेशान किया
पंजाब के लुधियाना में, क्रिसमस समारोह का भी धार्मिक चरमपंथियों से नहीं बल्कि राजनीतिक हस्तियों से विरोध हुआ। 20 दिसंबर, 2024 को एक स्थानीय कांग्रेस नेता सोनू सिंह राजपूत ने एक ईसाई पादरी का विरोध किया, जो एक परिवार के घर में प्रार्थना कर रहे थे। राजपूत ने पादरी पर धर्म परिवर्तन का प्रयास करने का आरोप लगाया और जोर देकर कहा कि इस तरह की प्रार्थनाओं की अनुमति इस इलाके में नहीं दी जाएगी।
यह टकराव एक चिंताजनक प्रवृत्ति को उजागर करता है, जहां त्योहारों के समय का इस्तेमाल परंपराओं की रक्षा की आड़ में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमला करने के मौके के रूप में किया जा रहा है। जबकि एक निजी घर में प्रार्थना कर रहे पादरी को परेशान करना कुछ लोगों को मामूली लग सकता है, लेकिन यह एक बड़ा मुद्दा है क्योंकि यह दिखाता है कि कैसे सार्वजनिक स्थान और घरों तक में लोग अपने धर्म का स्वतंत्र रूप से पालन करने में असुरक्षित होते जा रहे हैं। राजपूत की हरकतें उन इलाकों में अल्पसंख्यक धार्मिक प्रथाओं को लेकर भय और संदेह के माहौल को दर्शाती हैं, जहां नेता व्यक्तिगत लाभ के लिए सांप्रदायिक झगड़े को बढ़ावा देते हैं।
जैसलमेर: स्कूलों में क्रिसमस समारोह का विरोध
23 दिसंबर, 2024 को वीएचपी पदाधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जैसलमेर जिला कलेक्टर से मुलाकात की जिसमें उन्होंने मिशनरी स्कूलों द्वारा "धर्मांतरण के प्रयासों और धार्मिक अनादर" के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। प्रतिनिधिमंडल ने स्कूलों द्वारा क्रिसमस कार्यक्रम आयोजित करने और छात्रों को सांता क्लॉज़ की पोशाक पहनाने पर चिंता व्यक्त की और कहा कि इस तरह की प्रथाओं से धार्मिक परिवर्तन को बढ़ावा मिलता है।
वीएचपी के जिला सचिव लालू सिंह सोधा ने स्कूलों पर छात्रों को ईसाई विचारधाराओं से प्रभावित करने और त्यौहार के मौके का इस्तेमाल धर्मांतरण को बढ़ावा देने के लिए करने का आरोप लगाया। क्रिसमस के जश्न के प्रति वीएचपी का विरोध केवल धार्मिक पहलू को लेकर नहीं है, बल्कि पूरे भारत में स्कूलों में इसके सांस्कृतिक महत्व को लेकर भी है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि "यहां के स्कूलों में 98% हिंदू छात्र होने के बावजूद, राम नवमी, कृष्ण जन्माष्टमी, दिवाली, होली और रक्षा बंधन जैसे त्यौहार नहीं मनाए जाते हैं।"
मथुरा: लड्डू गोपाल की क्रिसमस पोशाक पर गुस्सा
भगवान कृष्ण की जन्मस्थली पवित्र शहर मथुरा में दक्षिणपंथी नेताओं ने भगवान लड्डू गोपाल की मूर्ति को क्रिसमस पोशाक पहनाने को लेकर बवाल मचाया। मथुरा में विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष कन्हैया अग्रवाल ने सार्वजनिक रूप से इसकी निंदा की और इसे हिंदू परंपराओं पर हमला बताया है। अग्रवाल के अनुसार, भगवान कृष्ण की मूर्ति को क्रिसमस की पोशाक पहनाना धर्म परिवर्तन का प्रयास और सनातन धर्म का अपमान है।
मथुरा-वृंदावन लाखों हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थल है, जो भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा करने के लिए आते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि सांता क्लॉज़ की पोशाक में लड्डू गोपाल की मूर्ति को सजाना, मिशनरी समूहों द्वारा हिंदू और ईसाई प्रतीकों को मिलाने के व्यापक प्रयास का प्रतीक है, जिसे वे अपनी परंपराओं की पवित्रता को कम करने के रूप में देखते हैं। जबकि दूसरे लोग इसे बिना नुकसान वाले सांस्कृतिक अदला-बदली के रूप में देखते हैं। इसने स्थानीय लोगों के बीच गहरा गुस्सा और दरार पैदा कर दिया है।
विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने इस तरह के कपड़ों की बिक्री पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है और चेतावनी दी है कि उनके कार्यकर्ता हिंदू देवताओं के “अपवित्रीकरण” को रोकने के लिए कार्रवाई करेंगे।
जोधपुर: स्कूल में क्रिसमस समारोह के खिलाफ बजरंग दल का विरोध
राजस्थान के जोधपुर में 23 दिसंबर, 2024 को बजरंग दल का विरोध एक निजी स्कूल में क्रिसमस कार्यक्रम के खिलाफ आक्रामक हो गया। प्रदर्शनकारियों ने क्रिसमस समारोह की आड़ में धर्मांतरण को बढ़ावा दिए जाने की चिंताओं का हवाला देते हुए कार्यक्रम के विज्ञापन वाले पोस्टर फाड़ दिए और जला दिए। बजरंग दल के कार्यकर्ता सिवांची गेट स्कूल के बाहर इकट्ठा हुए और ईसाई स्कूलों के "धर्मांतरण एजेंडे" को समाप्त करने की मांग की।
यह घटना छुट्टियों के मौसम में ईसाई समुदाय के उद्देश्यों के प्रति कुछ समूहों के बीच बढ़ते संदेह को दर्शाती है। पोस्टर जलाना, स्कूल के कार्यक्रमों में रुकावट डालना और धर्मांतरण का डर, ये सभी धार्मिक समुदायों के बीच गहरे दरार को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चालें हैं।
हालांकि, पूरे भारत में क्रिसमस समारोहों के विरोध की बढ़ती घटनाएं चिंताजनक हैं जो सांप्रदायिक सद्भाव और आपसी समझ को खतरे में डालती हैं। इस आपसी समझ और सद्भाव ने लंबे समय से देश के विविध सांस्कृतिक ताने-बाने को परिभाषित किया है। केरल से लेकर पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश तक, दक्षिणपंथी समूहों ने इस त्योहारी समय को निशाना बनाया है, स्कूल के कार्यक्रमों में बाधा डाली है, धार्मिक हस्तियों को परेशान किया है और धर्मांतरण के निराधार आरोप फैलाए हैं।