नाबालिग दलित लड़की से कथित गैंगरेप के मामले में पुलिस ने की कार्रवाई करते हुए 22 वर्षीय व्यक्ति को गिरफ्तार किया और एक नाबालिग को हिरासत में लिया है।

साभार : द इंडियन एक्सप्रेस
एक नाबालिग दलित लड़की से कथित गैंगरेप के मामले में प्रयागराज पुलिस ने 22 वर्षीय एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है तथा एक नाबालिग को हिरासत में लिया है। यह कथित घटना 2 मई का बताया जा रहा है, लेकिन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के दखल के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई।
पुलिस अधिकारी के हवाले से द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने बयान में दो व्यक्तियों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। लड़की का पड़ोसी दोनों संदिग्धों में गिरफ्तार व्यक्ति और हिरासत में लिया गया नाबालिग शामिल हैं। इस मामले में एक अन्य नाबालिग के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है।
पुलिस ने बताया कि दो नाबालिग और पांच वयस्क सहित सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इनमें कुछ महिलाएं भी शामिल हैं। अन्य आरोपियों की भूमिका की जांच की जा रही है।
पीड़िता के परिवार का कहना है कि वह बाजार जा रही थी, तभी उसकी एक दोस्त उसे एक घर में ले गई जहां आरोपी मौजूद थे। वहां कथित तौर पर उसके साथ यौन उत्पीड़न किया गया। उसी रात आरोपियों ने उसे उसके घर के पास छोड़ दिया और फिर भाग गए।
लड़की घर पहुंचकर अपने परिवार को घटना की जानकारी दी जिसके बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज की। पीड़िता का मेडिकल परीक्षण कराया गया है और रिपोर्ट का इंतजार है।
ज्ञात हो कि बीते साल उत्तर प्रदेश के भदोही में एक नाबालिग दलित बच्ची के साथ उसके घर में ही बार-बार लैंगिक अपराध की भयावह जानकारी सामने आई थी। परिवार को इस बात का पता तब चला जब उसमें गर्भावस्था के लक्षण दिखे और वे उसे डॉक्टर के पास ले गए।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, 17 वर्षीय लड़की के साथ उसके गांव के ही एक व्यक्ति ने बार-बार बलात्कार किया। लड़की के पिता ने सुरियावा पुलिस स्टेशन में राजू गुप्ता नामक व्यक्ति के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, अपराधी राजू गुप्ता ने बार-बार अपराध करने के लिए घर पर कोई न होने पर बच्ची के घर जाना शुरू कर दिया था।
एसएचओ राम नगीना यादव के अनुसार, पुलिस ने डुडवा धर्मपुरी निवासी 26 वर्षीय गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया था और उसके खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया था। गुप्ता के खिलाफ बलात्कार, आपराधिक धमकी और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) के साथ-साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए थे।
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साभार : द इंडियन एक्सप्रेस
एक नाबालिग दलित लड़की से कथित गैंगरेप के मामले में प्रयागराज पुलिस ने 22 वर्षीय एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है तथा एक नाबालिग को हिरासत में लिया है। यह कथित घटना 2 मई का बताया जा रहा है, लेकिन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के दखल के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई।
पुलिस अधिकारी के हवाले से द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने बयान में दो व्यक्तियों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। लड़की का पड़ोसी दोनों संदिग्धों में गिरफ्तार व्यक्ति और हिरासत में लिया गया नाबालिग शामिल हैं। इस मामले में एक अन्य नाबालिग के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है।
पुलिस ने बताया कि दो नाबालिग और पांच वयस्क सहित सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इनमें कुछ महिलाएं भी शामिल हैं। अन्य आरोपियों की भूमिका की जांच की जा रही है।
पीड़िता के परिवार का कहना है कि वह बाजार जा रही थी, तभी उसकी एक दोस्त उसे एक घर में ले गई जहां आरोपी मौजूद थे। वहां कथित तौर पर उसके साथ यौन उत्पीड़न किया गया। उसी रात आरोपियों ने उसे उसके घर के पास छोड़ दिया और फिर भाग गए।
लड़की घर पहुंचकर अपने परिवार को घटना की जानकारी दी जिसके बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज की। पीड़िता का मेडिकल परीक्षण कराया गया है और रिपोर्ट का इंतजार है।
ज्ञात हो कि बीते साल उत्तर प्रदेश के भदोही में एक नाबालिग दलित बच्ची के साथ उसके घर में ही बार-बार लैंगिक अपराध की भयावह जानकारी सामने आई थी। परिवार को इस बात का पता तब चला जब उसमें गर्भावस्था के लक्षण दिखे और वे उसे डॉक्टर के पास ले गए।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, 17 वर्षीय लड़की के साथ उसके गांव के ही एक व्यक्ति ने बार-बार बलात्कार किया। लड़की के पिता ने सुरियावा पुलिस स्टेशन में राजू गुप्ता नामक व्यक्ति के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, अपराधी राजू गुप्ता ने बार-बार अपराध करने के लिए घर पर कोई न होने पर बच्ची के घर जाना शुरू कर दिया था।
एसएचओ राम नगीना यादव के अनुसार, पुलिस ने डुडवा धर्मपुरी निवासी 26 वर्षीय गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया था और उसके खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया था। गुप्ता के खिलाफ बलात्कार, आपराधिक धमकी और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) के साथ-साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए थे।
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