कश्मीर टाइम्स के जम्मू दफ्तर पर छापा, संपादक बोले-मीडिया की आजादी पर हमला 

Written by sabrang india | Published on: November 22, 2025
जम्मू-कश्मीर पुलिस की राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने जम्मू स्थित कश्मीर टाइम्स के कार्यालय पर छापा मारा। अखबार के मालिकों ने इस छापेमारी को स्वतंत्र मीडिया को चुप कराने का प्रयास बताया। 


साभार : एएनआई (स्क्रीनग्रैब)

जम्मू-कश्मीर पुलिस की राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने गुरुवार, 20 नवंबर को जम्मू में स्थित कश्मीर टाइम्स के कार्यालय पर छापा मारा। 

अखबार के प्रबंधन ने इस कार्रवाई को स्वतंत्र प्रेस को दबाने की कोशिश बताया है। साथ ही, कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट सहित कई मीडिया स्वतंत्रता संगठन और कुछ राजनीतिक दलों ने भी इस छापेमारी की कड़ी आलोचना की है।

ध्यान वाली बात यह है कि यह छापेमारी ऐसे समय पर की गई है जब राजस्व संकट और अन्य चुनौतियों के चलते अखबार लगभग बंद होने की स्थिति में पहुंच चुका है। हालांकि, हालिया महीनों में कश्मीर टाइम्स ने अपने डिजिटल कंटेंट को विस्तार देकर फिर से सक्रिय होने की कोशिश की थी। 

रिपोर्टों के मुताबिक, एसआईए ने कश्मीर टाइम्स के कार्यालय पर उस मामले की जांच के तहत छापेमारी की जिसमें अखबार पर भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को नुकसान पहुंचाने, असंतोष भड़काने और अलगाववाद का महिमामंडन करने जैसे आरोप दर्ज किए गए हैं। 

फिलहाल अधिकारियों ने मामले से जुड़ी विस्तृत जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। वहीं, अखबार की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन, जिनका नाम कथित तौर पर एसआईए द्वारा दर्ज एफआईआर में शामिल है, का कहना है कि उन्हें सत्ता के खिलाफ सच उजागर करने की वजह से निशाना बनाया जा रहा है। 

उल्लेखनीय है कि यह पत्रिका भसीन और उनके पति प्रबोध जामवाल, जो वहां वरिष्ठ संपादक भी हैं, द्वारा संचालित है और दोनों देश से बाहर रहते हैं। 

द वायर ने लिखा, एक संयुक्त बयान में उन्होंने कहा कि एसआईए के आरोप जम्मू-कश्मीर में ‘स्वतंत्र मीडिया को डराने, उसकी वैधता को कम करने और अंततः उसे चुप कराने’ के लिए लगाए गए थे।

इससे पहले रिपोर्ट्स में कहा गया था कि एसआईए की एक टीम ने गुरुवार को जम्मू स्थित अखबार के मुख्य कार्यालय परिसर से ‘एके-47 कारतूस, पिस्तौल की गोलियां और तीन ग्रेनेड लीवर’ बरामद किए हैं।

एक स्थानीय समाचार एजेंसी ने अनाम सरकारी अधिकारियों के हवाले से बताया कि जांच का उद्देश्य अख़बार के कथित संपर्कों और उन गतिविधियों की पड़ताल करना है जिन्हें भारत की संप्रभुता के लिए खतरा माना जा रहा है। 

ज्ञात हो कि कश्मीर टाइम्स की स्थापना जम्मू-कश्मीर के प्रख्यात पत्रकार और अनुराधा भसीन के पिता वेद भसीन द्वारा 1954 में की गई थी। अखबार का मुख्यालय वर्तमान में जम्मू में है और 2019 से पहले - जब जम्मू और कश्मीर एक ही राज्य था -यह श्रीनगर से भी प्रकाशित होता था। 

लेकिन अनुच्छेद 370 हटाए जाने और जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद कश्मीर टाइम्स की स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई। उस दौरान, अनुराधा भसीन ने लंबे समय तक इंटरनेट बंद रहने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनकी याचिका के परिणामस्वरूप सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर भी इंटरनेट सेवाओं पर अनिश्चितकालीन प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि इंटरनेट अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्ण है।

उल्लेखनीय है कि अनुराधा भसीन ‘ए डिसमैंटल्ड स्टेट: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ कश्मीर आफ्टर आर्टिकल 370’ पुस्तक की लेखिका भी हैं। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल प्रशासन ने इस पुस्तक पर, अन्य 24 शीर्षकों के साथ, प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया था। 

द वायर से बात करते हुए भसीन ने कहा कि 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक घटनाक्रम और मीडिया पर लगे प्रतिबंधों के बाद उनका प्रिंट संस्करण ‘लगभग बंद’ हो गया है।

उन्होंने कहा, ‘लगातार निशाना बनाए जाने के बाद 2021-2022 में हमारे प्रिंट संस्करण को बंद कर दिया था, लेकिन हम डिजिटल रूप से काम करना जारी रखे हुए हैं।’

जम्मू-कश्मीर सरकार हर साल विज्ञापनों के रूप में करोड़ों रुपये देती है, जो इस केंद्र शासित प्रदेश के अखबारों के राजस्व का प्रमुख स्रोत है।. हालांकि, कश्मीर टाइम्स उन कई अखबारों में से एक है जिन्हें बिना कोई लिखित कारण बताए सरकारी विज्ञापन प्राप्त करने की सूची से ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले 2020 में भसीन ने आरोप लगाया था कि इस अंग्रेजी अखबार को श्रीनगर के प्रेस एन्क्लेव स्थित उसके कार्यालय से ‘बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के’ बेदखल कर दिया गया था। 

श्रीनगर कार्यालय बंद होने के बाद, अखबार का जम्मू कार्यालय लगभग एक वर्ष तक पुराने हेरिटेज शहर की उस इमारत से संचालित होता रहा, जिसे कई वर्ष पहले सरकार से लीज पर लिया गया था। 

उन्होंने कहा, ‘हमने लीज समझौते के नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था, लेकिन यह वर्षों से लंबित है। कार्यालय 2021 तक कभी-कभार खुला था, उसके बाद बंद हो गया।’

इस मामले में कश्मीर टाइम्स से जुड़े एक सुरक्षा गार्ड को कथित तौर पर हिरासत में लिया गया है।

अखबार स्वतंत्र पत्रकारिता के एक स्तंभ के रूप में खड़ा है: भसीन

भसीन ने कहा कि यह अखबार ‘स्वतंत्र पत्रकारिता के एक स्तंभ के रूप में खड़ा है’ जिसने ‘क्षेत्र की सफलताओं और असफलताओं को समान रूप से गहराई से चित्रित किया है’।

दंपति ने संयुक्त बयान में कहा है, ‘हमने उन समुदायों को आवाज दी है जिनकी अन्यथा कोई सुनवाई नहीं होती। जब दूसरे चुप रहे, तब हमने कठिन सवाल पूछे। हमें इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि हम यह काम जारी रखे हुए हैं। ऐसे दौर में जब आलोचनात्मक आवाजें लगातार कम होती जा रही हैं, हम उन चंद स्वतंत्र माध्यमों में से एक हैं जो सत्ता के सामने सच बोलने को तैयार हैं।’

बयान में अधिकारियों से आग्रह किया गया है कि वे ‘इस उत्पीड़न को तुरंत रोकें, इन निराधार आरोपों को वापस लें और प्रेस की स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी का सम्मान करें।’

बयान में आगे कहा गया है, ‘हम मीडिया के अपने साथियों से हमारे साथ खड़े होने का आह्वान करते हैं। हम नागरिक समाज और अपने जानने के अधिकार को महत्व देने वाले नागरिकों से यह समझने का आह्वान करते हैं कि यह इस बात की परीक्षा है कि क्या पत्रकारिता तानाशाही के बढ़ते माहौल में जिंदा रह सकती है।’

उन्होंने आगे कहा, ‘पत्रकारिता कोई अपराध नहीं है। जवाबदेही मांगना देशद्रोह नहीं है। और हम उन लोगों को सूचित करना, जांच करना और उनकी वकालत करना जारी रखेंगे जो हम पर निर्भर हैं। राज्य के पास हमारे दफ्तरों पर छापा मारने की शक्ति हो सकती है, लेकिन वह सत्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता पर हमला नहीं कर सकता।’

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