नई दिल्ली। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने बुधवार को भाग कर शादी करने वाले और दूसरे धर्म में शादी करने वाले जोड़ों की सुरक्षा को लेकर बड़ी बात कही है। कोर्ट ने ऐसे जोड़ों द्वारा भारी संख्या में दायर की जा रही संरक्षण याचिकाओं पर चिंता व्यक्त की और सरकार से उन्हें सुरक्षा देने की बात कही है।

न्यायमूर्ति अवनीश झिंगन की एकल पीठ ने कहा कि भारी संख्या में रोजाना दायर की जा रही इन याचिकाओं के बीच कई बार वास्तविक मामले जिन्हें सच में खतरा है वे अनदेखा हो जाते हैं। कोर्ट ने ऐसे जोड़ों के जीवन को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कार्यकारी को जिम्मेदार बनाने के कई सुझाव दिये हैं, ताकि कोर्ट पर से बोझ कम हो सके। न्यायमूर्ति ने सुझाव दिया कि ऐसे जोड़ों के लिए पंजाब और हरियाणा के प्रत्येक जिले और केंद्र शासित प्रदेश, चंडीगढ़ में सेफ हाउस बनाए जाने चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि पुलिस ऐसे मामलों को गंभीरता से ले। उच्च न्यायालय ने सुझाव दिया कि पीड़ित व्यक्तियों द्वारा या किसी के माध्यम से ऐसे अभ्यावेदन दाखिल करने के लिए तहसील स्तर पर 24×7 हेल्प डेस्क होनी चाहिए। न्यायमूर्ति ने कहा कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए पुलिस विभाग में एक मौजूदा सेल को प्रतिनियुक्त किया जा सकता है या एक नया सेल बनाया जा सकता है। जो 48 घंटे के भीतर इसपर एक्शन ले।
जज ने इसी बीच जो सुझाव दिए हैं, वो इस प्रकार हैं-
-केंद्र शासित प्रदेश,चंडीगढ़ के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा के प्रत्येक जिले में सेफ हाउस उपलब्ध कराए जाने चाहिए।
-एक वेबसाइट या एक ऑन-लाइन मॉड्यूल को ऐसे जोड़ों के लिए बनाया जाना चाहिए ताकि वह फिजिकल तौर पर पेश हुए बिना ही अपनी शिकायतों को दायर कर सकें।
-पीड़ित व्यक्तियों द्वारा या किसी के माध्यम से ऐसे अभ्यावेदन दाखिल करने के लिए तहसील स्तर पर 24x7 हेल्प डेस्क उपलब्ध कराना।
कोर्ट द्वारा दिये गए सुझावों पर स्टेट काउंसल्स ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। जिसके बाद कोर्ट ने दोनों राज्यों के एडवोकेट जनरलों, केंद्र शासित प्रदेश के वरिष्ठ वकील और कानूनी सेवा प्राधिकरणों के सदस्य सचिवों को इस मुद्दे से निपटने के लिए संयुक्त प्रयास करने के निर्देश दिये हैं।

न्यायमूर्ति अवनीश झिंगन की एकल पीठ ने कहा कि भारी संख्या में रोजाना दायर की जा रही इन याचिकाओं के बीच कई बार वास्तविक मामले जिन्हें सच में खतरा है वे अनदेखा हो जाते हैं। कोर्ट ने ऐसे जोड़ों के जीवन को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कार्यकारी को जिम्मेदार बनाने के कई सुझाव दिये हैं, ताकि कोर्ट पर से बोझ कम हो सके। न्यायमूर्ति ने सुझाव दिया कि ऐसे जोड़ों के लिए पंजाब और हरियाणा के प्रत्येक जिले और केंद्र शासित प्रदेश, चंडीगढ़ में सेफ हाउस बनाए जाने चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि पुलिस ऐसे मामलों को गंभीरता से ले। उच्च न्यायालय ने सुझाव दिया कि पीड़ित व्यक्तियों द्वारा या किसी के माध्यम से ऐसे अभ्यावेदन दाखिल करने के लिए तहसील स्तर पर 24×7 हेल्प डेस्क होनी चाहिए। न्यायमूर्ति ने कहा कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए पुलिस विभाग में एक मौजूदा सेल को प्रतिनियुक्त किया जा सकता है या एक नया सेल बनाया जा सकता है। जो 48 घंटे के भीतर इसपर एक्शन ले।
जज ने इसी बीच जो सुझाव दिए हैं, वो इस प्रकार हैं-
-केंद्र शासित प्रदेश,चंडीगढ़ के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा के प्रत्येक जिले में सेफ हाउस उपलब्ध कराए जाने चाहिए।
-एक वेबसाइट या एक ऑन-लाइन मॉड्यूल को ऐसे जोड़ों के लिए बनाया जाना चाहिए ताकि वह फिजिकल तौर पर पेश हुए बिना ही अपनी शिकायतों को दायर कर सकें।
-पीड़ित व्यक्तियों द्वारा या किसी के माध्यम से ऐसे अभ्यावेदन दाखिल करने के लिए तहसील स्तर पर 24x7 हेल्प डेस्क उपलब्ध कराना।
कोर्ट द्वारा दिये गए सुझावों पर स्टेट काउंसल्स ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। जिसके बाद कोर्ट ने दोनों राज्यों के एडवोकेट जनरलों, केंद्र शासित प्रदेश के वरिष्ठ वकील और कानूनी सेवा प्राधिकरणों के सदस्य सचिवों को इस मुद्दे से निपटने के लिए संयुक्त प्रयास करने के निर्देश दिये हैं।