मुंबई। भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबडे को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुणे पुलिस ने तेलतुंबडे को मुंबई डोमेस्टिक एयरपोर्ट से तड़के 3.30 बजे गिरफ्तार किया। आनंद तेलतुंबड़े कोचि से मुंबई लौट रहे थे। इस मामले में एडवोकेट प्रदीप मंध्यान ने इंस्पेक्टर इंदुलकर से बात की जिन्होंने आनंद तेलतुंबड़े को गिरफ्तार किया है। इंदुलकर ने कहा कि पुणे ट्रायल कोर्ट से तेलतुंबड़े की अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया है।
आनंद तेलतुंबड़े की गिरफ्तारी पर एडवोकेट प्रदीप मंध्यान ने कहा कि यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करती है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 14 जनवरी को अपने आदेश में आनंद को गिरफ्तारी से 4 सप्ताह के लिए सुरक्षा दी है ताकि वे जमानत के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटा सकें। कोर्ट के आदेश की कॉपी सबरंग इंडिया द्वारा पढ़ी गई है जिसमें उन्हें 4 सप्ताह की सुरक्षा प्रदान है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, तेलतुम्बडे को आदेश की तारीख से 4 सप्ताह पूरा होने के बाद ही गिरफ्तार किया जा सकता था। इस अवधि में वे निचली या उच्च अदालत में बेल के लिए अप्लाई कर सकते थे। सु्प्रीम कोर्ट द्वारा डॉ. आनंद को दी गई गिरफ्तारी से सुरक्षा की यह 4 सप्ताह की अवधि 11 फरवरी को समाप्त होगी जबकि उन्हें पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया। आज सुबह उनकी गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का घोर उल्लंघन है।
आनंद तेलतुंबड़े पुणे ट्रायल कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद अपने वकील मिहिर देसाई के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने मुंबई आए थे जहां उन्हें एयरपोर्ट से ही गिरफ्तार कर लिया गया।
बाद में जोड़ा गया आनंद का नाम:
आनंद की गिरफ्तारी के बाद उनके परिवार का आरोप है कि उन्हें झूठे मामले में गिरफ्तार किया गया है। परिवार के मुताबिक, भीमा कोरेगांव संघर्ष के 200 वीं वर्षगांठ पर आयोजित सभा का आयोजन सेवानिवृत न्यायधीश पीबी सावंत और न्यायमूर्ति बीजी कोलसे पाटिल ने किया था। जिसमें खुद डॉ. आनंद शामिल भी नहीं थे, अपितु अपने लेख में इस तरह के प्रयास का समर्थन किया था। पहली एफआईआर में प्रोफेसर आनंद का नाम नहीं था, जो 8 जनवरी 2018 को हुई थी। बाद में जांच के दौरान 21 अगस्त 2018 को उनका नाम एफआईआर में शामिल किया गया। जिसके बाद कुछ दिन पहले उनके गोवा स्थित घर पर छापा भी डाला गया।
आनंद तेलतुंबड़े की गिरफ्तारी पर एडवोकेट प्रदीप मंध्यान ने कहा कि यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करती है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 14 जनवरी को अपने आदेश में आनंद को गिरफ्तारी से 4 सप्ताह के लिए सुरक्षा दी है ताकि वे जमानत के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटा सकें। कोर्ट के आदेश की कॉपी सबरंग इंडिया द्वारा पढ़ी गई है जिसमें उन्हें 4 सप्ताह की सुरक्षा प्रदान है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, तेलतुम्बडे को आदेश की तारीख से 4 सप्ताह पूरा होने के बाद ही गिरफ्तार किया जा सकता था। इस अवधि में वे निचली या उच्च अदालत में बेल के लिए अप्लाई कर सकते थे। सु्प्रीम कोर्ट द्वारा डॉ. आनंद को दी गई गिरफ्तारी से सुरक्षा की यह 4 सप्ताह की अवधि 11 फरवरी को समाप्त होगी जबकि उन्हें पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया। आज सुबह उनकी गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का घोर उल्लंघन है।
आनंद तेलतुंबड़े पुणे ट्रायल कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद अपने वकील मिहिर देसाई के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने मुंबई आए थे जहां उन्हें एयरपोर्ट से ही गिरफ्तार कर लिया गया।
बाद में जोड़ा गया आनंद का नाम:
आनंद की गिरफ्तारी के बाद उनके परिवार का आरोप है कि उन्हें झूठे मामले में गिरफ्तार किया गया है। परिवार के मुताबिक, भीमा कोरेगांव संघर्ष के 200 वीं वर्षगांठ पर आयोजित सभा का आयोजन सेवानिवृत न्यायधीश पीबी सावंत और न्यायमूर्ति बीजी कोलसे पाटिल ने किया था। जिसमें खुद डॉ. आनंद शामिल भी नहीं थे, अपितु अपने लेख में इस तरह के प्रयास का समर्थन किया था। पहली एफआईआर में प्रोफेसर आनंद का नाम नहीं था, जो 8 जनवरी 2018 को हुई थी। बाद में जांच के दौरान 21 अगस्त 2018 को उनका नाम एफआईआर में शामिल किया गया। जिसके बाद कुछ दिन पहले उनके गोवा स्थित घर पर छापा भी डाला गया।