अंजलि-इब्राहिम के विवाह के साम्प्रदायिकरण पर PUCL की दो टूक- प्यार का अपराधीकरण बंद करो

Written by sabrang india | Published on: October 28, 2019
पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज (PUCL) की छत्तीसगढ़ इकाई ने सांप्रदायिक समूहों द्वारा अंतर्धार्मिक विवाह को "लव जिहाद" का रूप देकर साम्प्रदायिकता बढ़ाने के प्रयासों की कड़े शब्दों में निंदा की है। साथ ही प्यार, सम्मान और समानता के आधार पर दो सहमत वयस्कों के बीच रिश्तों के प्रति अपना मजबूत समर्थन दोहराया, चाहे वे किसी भी जाति, वर्ग, धर्म, राष्ट्रीयता, जाति या लैंगिकता के हों। 



प्रेस विज्ञप्ति जारी कर PUCL ने कहा कि इब्राहिम सिद्दीकी उर्फ आर्यन आर्य के साथ अंजलि जैन की शादी के बाद अंजलि के साथ अपनी इच्छानुसार साथी चुनने के कारण प्रताड़ना और उसके वकील - प्रियंका शुक्ला और मोइनुद्दीन कुरैशी – जो केवल उसे अपने अधिकारों के पालन में मदद कर रहे थे – उनके प्रति हिंसा को लेकर पीयूसीएल अति चिंतित है। ऐसी स्थिति छत्तीसगढ़ ही नहीं, पूरे देश में है - जहां स्थानीय कानून प्रवर्तन और न्यायपालिका के साथ शक्तिशाली राजनीतिक परिवारों का एक सांठगांठ है, जो प्रमुख जाति, वर्ग और धर्म समूहों के हितों की रक्षा करता है। इसके द्वारा अपनी वयस्क बेटियों को अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने के लिए जबरन प्रतिबंधित किया जाता है, और ऐसे युवा जोड़ों को अवैध उत्पीड़न होता है। 

मौजूदा उदाहरण में, पीयूसीएल छत्तीसगढ़ मानता है कि धमतरी के इब्राहिम सिद्दीकी और अंजलि जैन अपनी सहमति से 2018 में कानूनी तौर पर शादी कर चुके हैं। अंजलि के परिवार के विरोध को कम करने के लिए इब्राहिम ने हिंदू धर्म को अपनाया और आर्यन आर्य का नाम लिया। फिर भी, अंजलि के परिवार ने इस शादी का विरोध किया, और कुछ हिंदू सांप्रदायिक संगठनों की मदद से, उसे जबरन अपने पति से मिलने से रोक दिया। यह दावा कर कि अंजलि मानसिक रूप से कमजोर है, वे अन्य धर्मों के लोगों से प्रेम को पागलपन की निशानी के रूप में चित्रित करना चाहते हैं। पीयूसीएल अंतर्धार्मिक विवाहों के लिए "लव जिहाद" शब्द के उपयोग का दृढ़ता से विरोध करता है क्योंकि यह हर उस महिला को, जो सक्रिय रूप से अपनी पसंद को व्यक्त कर रही हो, उसे जीत में हासिल एक निष्क्रिय वस्तु बना देता है और विवाह को युद्ध का दर्जा देता है।

पीयूसीएल छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित रायपुर सखी सेंटर की भूमिका की भी आलोचना करता है, जहां अंजलि वर्तमान में स्थित है। वहाँ अंजलि की मर्ज़ी के खिलाफ उससे विभिन्न धार्मिक संगठनों के लोगों को उससे मिलने की इजाजत दी गई, जिन्होंने उसे इब्राहिम को छोड़ने का दबाव डाला, हालांकि वह असफल रहा। दुर्ग जिले की रेडियो एसपी ऋचा मिश्रा की भूमिका भी बेहद संदिग्ध है- अभी तक कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं है कि वे रायपुर सखी सेंटर में, अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर, क्यों थी और उन्होंने अंजलि को अपने अधिवक्ताओं, प्रियंका शुक्ला और मोइनुद्दीन कुरैशी, या महिला अधिकार कार्यकर्ताओं - स्वाति मानव और कुमुद, से मिलने से किस हैसियत में रोका । एसपी ऋचा मिश्रा और स्वयंभू कार्यकर्ता ममता शर्मा द्वारा एडवोकेट शुक्ला और कुरैशी पर किए गए शारीरिक हमले की कड़ी निंदा करते हैं।

अपने जीवन साथी चुनने में जाति, वर्ग, धर्म आदि की बाधाओं को तोड़ने में युवा जोड़ों का साहस एक बहुलवादी और विविध समाज में आदर्श के रुप में मनाया जाना चाहिये, न कि उसे धृणा दृष्टि से देख दोषारोपण करना चाहिये। परन्तु आज हमारे समाज में राजनीतिक बाहुबल से प्रोत्साहित बढ़ती असहिष्णुता के कारण ऐसे जोड़ों के उत्पीड़न के मामलों की संख्या बढ़ रही है। हाल ही में, उत्तर प्रदेश के एक भाजपा विधायक की बेटी साक्षी मिश्रा का मामला सामने आया, जहां उन्होंने दावा किया कि उन्हें निचली जाति के व्यक्ति से शादी करने के लिए आतंकित किया जा रहा है। भोपाल के एक पूर्व विधायक सुरेंद्र नाथ सिंह की बेटी के मामले में, जो एक अलग समुदाय के व्यक्ति से शादी करना चाहती थी, पिता ने दावा किया कि वह मानसिक रूप से परेशान थी और मुस्लिम कांग्रेस विधायक को "लव जिहाद" को प्रोत्साहित करने के लिए दोषी ठहराया। महू (मध्य प्रदेश) में पिछले साल, एक 27 वर्षीय हिंदू महिला पर उसके माता-पिता और उनके वकीलों द्वारा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के कक्ष में दबाव डाला गया कि वे अपने मुस्लिम पति के साथ शादी तोड़ें क्योंकि उनकी शादी से क्षेत्र की कानून व्यवस्था में बाधा उत्पन्न होगी । ये कट्टरता और जातिवादी पितृसत्ता के शर्मनाक उदाहरण हैं, और हम निश्चित रूप से निंदा करते हैं।

वर्तमान मामले के संदर्भ में, PUCL छत्तीसगढ़ निम्नलिखित मांगें करता है-

1. जब तक अंजलि अदालत के आदेशों के अन्तर्गत सखी सेंटर रायपुर में रुकी है, तो उसे अपनी इच्छानुसार लोगों से मुलाकात करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

2. अंजलि और इब्राहिम के खिलाफ धमकियों को गंभीरता से लेते हुए, दोनों को पूरी सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।

3. अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला और मोइनुद्दीन कुरैशी के खिलाफ शारीरिक हमले की तुरंत जांच की जानी चाहिए, और दुर्ग जिले के रेडियो एसपी ऋचा मिश्रा के खिलाफ विभागीय जांच अविलम्ब शुरू की जानी चाहिए।
 

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